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कृषि कानून वापसी: कलराज मिश्र के बयान पर अतुल अंजान का पलटवार, बोले- राजस्थान के राज्यपाल ने भाजपा की मंशा साफ कर दी

यूपी के भदोही पहुंचे राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कृषि कानून वापसी पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ी तो फिर से तीनों कृषि कानून बनेगा। उनके इस बयान पर राष्ट्रीय किसान आयोग (डॉ.स्वामीनाथन आयोग) के पूर्व सदस्य एवं अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार अंजान ने पलटवार किया।

रविवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि आरएसएस एवं भाजपा के सक्रिय नेता वर्तमान में संवैधानिक पद पर आसीन राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा ने साफ कर दिया है कि जरूरत पड़ी तो फिर से कृषि कानूनों को संसद में नए तरीके से पेश किया जाएगा।

 किसानों का आंदोलन जारी रहेगा
अंजान ने कहा है कि संवैधानिक पद पर बैठे राज्यपाल ने आरएसएस और भाजपा के केंद्र सरकार की मंशा को जाहिर कर दिया है। उन्होंने कहा कि संसद में जब तक तीनों काले कृषि कानून वापस नहीं हो जाते और सभी कृषि उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की कानूनी गारंटी नहीं दी जाती तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।
इसके साथ ही उन्होंने बिजली बिल 2020 को वापस  लेने की मांग दोहराई। अतुल अंजान ने आह्वान किया कि सोमवार को लखनऊ महापंचायत को सफल बनाएं। 28 नवंबर को सारे देश में मशाल जुलूस निकालकर तीन कृषि कानूनों सहित बिजली बिल की वापसी, लेबर कोड की वापसी तथा सभी कृषि उत्पाद के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग करेंगे। 29 नवंबर को किसान टिकरी बॉर्डर से ट्रैक्टरों के माध्यम से संसद की ओर कूच करेंगे और वहां सरकार को अपना ज्ञापन सौंपेंगे।
कलराज मिश्र ने क्या कहा था
फिल्म निर्माता कृष्णा मिश्रा के पुत्री की शादी में शामिल होने के लिए राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र शनिवार को भदोही पहुंचे थे। यहां मीडिया से बात करते हुए  कृषि कानूनों को लेकर सरकार के निर्णय को सराहा। कहा कि सरकार कानून के संबंध में समझाने की कोशिश की लेकिन किसान आंदोलित थे।

वह इस बात पर अडिग थे कि तीनों कानून को वापस लिया जाए। अंत में सरकार को लगा कि इसे वापस ले लेना चाहिए।  यदि फिर दोबारा इस संबंध में कानून बनाने की आवश्यकता पड़ी तो बनाया जाएगा। केंद्रीय सरकार ने तीनों कानून को किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए बनाई थी। बताया कि सरकार ने कानून के संबंध में सकारात्मक तरीके से समझाने की कोशिश की लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं थे।

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