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श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी बोले: पहले और आज की भाजपा में अंतर, नेता वही जिसके पास कार्यकर्ता हों

लेफ्टिनेंट जनरल पद से अवकाश प्राप्त करने के बाद राजनीति में कदम रखने वाले श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने 1990 में पहले ही चुनाव में खांटी समाजवादी मोहन सिंह को देवरिया संसदीय सीट पर शिकस्त दी थी। लोकप्रियता हासिल की और इसी का नतीजा रहा कि दोबारा चुनाव लड़े तो भी जीते। श्रीप्रकाश मणि के पिता सूरत नारायण मणि त्रिपाठी गोरखपुर के जिलाधिकारी थे। सेवानिवृत्ति के बाद दो बार गोरखपुर-फैजाबाद स्नातक क्षेत्र का चुनाव लड़े और जीतकर विधान परिषद पहुंचे। लिहाजा उन्हें राजनीति विरासत में मिली थी। जब से इसे संभाला तो अच्छे से निभाया भी। तब और अब की राजनीति पर पूर्व सांसद ने खुलकर बात की। पेश है से उनसे हुई बातचीत के अंश-

भाजपा में किस तरह का बदलाव देखते हैं?
पहले और आज की भाजपा में अंतर है। आज की भाजपा नरेंद्र मोदी के हाथ में है। मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार ऊंचाई को छू रहा है। सांसदों को बेहतर काम करना चाहिए। हर काम के लिए प्रधानमंत्री की ओर नहीं देखना चाहिए। सांसद का क्या औचित्य है? क्षेत्र में सांसदों को भी महत्व मिलना चाहिए। नेता वही है, जिसके पास कार्यकर्ता हों। आज भाजपा में कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है। इसी नाते भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। कार्यकर्ताओं की सामूहिक बात सुनी जानी चाहिए। हर नेता को पार्टी के बारे में सोचना चाहिए। पार्टी रहेगी, तभी नेताओं का वजूद रहेगा। जो योजनाएं संचालित हो रही हैं, वह कार्यकर्ताओं के दिमाग की उपज हैं। गरीबों की मदद के लिए जो योजनाएं चल रही हैं, वह बहुत ही शानदार हैं।

आप राजनीति में कैसे आए?
सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद पैतृक गांव देवरिया आ गए। कुछ करने की ललक थी। इसी बीच भाजपा ने देवरिया से लोकसभा प्रत्याशी बना दिया। 1990 का चुनाव लड़ा और जीतने में कामयाब रहा। पिता व परिवार के लोग उच्च प्रशासनिक पदों पर आसीन रहे लेकिन राजनीति में सक्रियता रही। बड़े भाई श्रीनिवास मणि त्रिपाठी देवरिया सदर से विधायक रहे। छोटे भाई श्रीविलास मणि त्रिपाठी आईपीएस बने और यूपी के डीजीपी की कुर्सी तक संभाली।

तब टिकट कैसे मिलता था?
देखिए, सब कुछ बहुत आसान था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से दिल्ली में मुलाकात हुई थी। इसके बाद भाजपा की सदस्यता ली और पहली बार चुनाव लड़कर न केवल जीता, बल्कि देवरिया में भाजपा को स्थापित कर दिया। अपने कार्यकाल के दौरान देवरिया में 75 हजार इंदिरा आवास बनवाए थे। उस समय प्रमोद महाजन संचार मंत्री थे, उनसे कह कर अपने क्षेत्र में दूरसंचार का जाल बिछवाया।

कृषि कानूनों की वापसी को आप कैसे देखते हैं?
केंद्र सरकार ने जो कानून बनाया था, वह किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए फायदेमंद था। इसे वापस नहीं किया जाना चाहिए था। यह कानून किसानों को बड़ा बाजार उपलब्ध कराता और उन्हें कहीं भी अपनी फसल बेचने की आजादी होती।

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