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उत्तराखंड: आध्यात्मिक और पर्यटन नगरी जोशीमठ पर मंडरा रहा खतरा, घरों पर पड़ रहीं दरारें, हो रहा भू-धंसाव

आध्यात्मिक और पर्यटन नगरी जोशीमठ में जगह-जगह आवासीय भवनों पर दरारें पड़ रही हैं। सामान्य मौसम में भी यहां भू-धंसाव हो रहा है। जोशीमठ के गांधी नगर मोहल्ले में कई भवनों में पड़ी दरारों का दायरा बढ़ रहा है। नृसिंह मंदिर परिसर में भी कई जगहों पर जमीन बैठ गई है।

भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि जोशीमठ नगर पुराने रॉक स्लाइड (भूस्खलन क्षेत्र) पर बसा है। डिप स्लोप होने के कारण अलकनंदा से भू-कटाव हो रहा है, जिससे धीरे-धीरे भूमि खिसक रही है। जोशीमठ नगर क्षेत्र का भूसर्वेक्षण करने के साथ ही यहां निर्माण कार्यों को कम से कम कर पानी के ड्रेनेज के प्रबंधन पर विशेष जोर दिए जाने की आवश्यकता है।

जोशीमठ नगर की वर्तमान में जनसंख्या लगभग 25000 है। पिछले कुछ महिनों से नगर में कई आवासीय मकानों और सड़कों में दरारें पड़नी शुरू हुई, जो दिनों दिन मोटी होती जा रही हैं। पेट्रोल पंप से लेकर ग्रेफ कैंप तक जगह-जगह बदरीनाथ हाईवे पर भी भू-धंसाव हो रहा है। जिसे देखते हुए स्थानीय लोगों के साथ ही पैनखंडा संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने तहसील प्रशासन से शीघ्र नगर का भूगर्भीय सर्वेक्षण कर सुरक्षा के इंतजाम करने की मांग की, लेकिन आज तक भी इस ओर कोई कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई है। 

पिछले चार सालों से जोशीमठ क्षेत्र में बदरीनाथ हाईवे पर भू-सर्वेक्षण का कार्य करने वाले भू वैज्ञानिक डा. दिनेश सती का कहना है कि जोशीमठ नगर क्षेत्र पुराने रॉक स्लाइड पर बसा हुआ है। यहां पेट्रोल पंप, नृसिंह मंदिर और ग्रेफ कैंप के निचले हिस्से में रुके बड़े-बड़े बोल्डर इसका प्रमाण हैं। इसी भूस्खलन से गौरसों बुग्याल से लेकर अलकनंदा तक जोशीमठ का डिप स्लोप है। अलकनंदा से भू कटाव होने के कारण जोशीमठ में भूमि के अंदर हलचल पैदा हो रही है। जोशीमठ के भूगर्भीय सर्वेक्षण के बाद ट्रीटमेंट होना बेहद जरूरी है।

जोशीमठ नगर के भूगर्भीय सर्वेक्षण के लिए जिला प्रशासन को लिखा गया है। समस्या की गंभीरता को देखते हुए रिमाइंडर भी भेजा गया है। संभवत: इसी सप्ताह नगर का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया जाएगा। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
-कुमकुम जोशी, एसडीएम, जोशीमठ

जोशीमठ एक नजर में 

समुद्र तल से करीब 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) को बदरीनाथ धाम का प्रवेश द्वार कहा जाता है। यहां नृसिंह मंदिर के दर्शनों के बाद ही तीर्थयात्री अपनी बदरीनाथ धाम की तीर्थयात्रा शुरू करते हैं। तिब्बत (चीन) सीमा क्षेत्र का यह अंतिम नगर क्षेत्र है। नगर के अधिकांश क्षेत्र में सेना और आईटीबीपी के कैंप स्थित हैं। जोशीमठ से ही पर्यटन स्थल औली के लिए रोपवे और सड़क मार्ग है। 

ये उपाय हो सकते हैं कारगर 
– जोशीमठ नगर में पानी की निकासी के लिए मजबूत ड्रेनेज सिस्टम हो। 
– संपूर्ण नगर क्षेत्र को सीवरेज से कवर किया जाए, जिससे पानी भूमि के अंदर न जा सके। 
– आवासीय भवनों से निकलने वाले पानी की निकासी का भी उचित प्रबंधन हो। 
– नए बहुमंजिला भवनों की अनुमति न दी जाए, जिससे भूमि पर अधिक दबाव न पड़ सके। 
– रीवर साइड पौधरोपण किया जाना चाहिए, जिससे भू कटाव पर प्रभावी रोक लग सके।

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