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रिपोर्ट में खुलासा: दो दिन में ही तीन गुना बढ़ी एंटीजन जांच, हर मरीज का नहीं मिल रहा संक्रमण स्त्रोत

दिल्ली में एक तरफ बीते दो दिन में कोरोना की एंटीजन जांच तीन गुना तक बढ़ गई हैं। लेकिन हजारों की तादाद में रोजाना संक्रमित रोगी मिलने के चलते अब संक्रमण स्त्रोत भी मिसिंग होने लगे हैं। हर मरीज का संक्रमण स्त्रोत नहीं मिल पा रहा है। 

दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट की मानें तो राजधानी में संक्रमण स्त्रोत लगतार मिसिंग हो रहा है, जिसकी वजह से आगामी दिनों में संक्रमण के और अधिक फैलाव की आशंका भी जताई जा रही है। इतना ही नहीं दिल्ली में एक बार फिर से बाहरी राज्यों के लोगों की जांच संख्या भी बढ़ने लगी है। आसपास के शहरों से दिल्ली आकर काफी लोग जांच करा रहे हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में जैसे जैसे कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में उछाल आया है। उसी के साथ संक्रमण स्त्रोत के मिसिंग मामले भी बढ़ने लगे हैं। साथ ही बाहरी राज्यों से आने वालों की जांच में भी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि अब राजधानी में एक दिन में ही 90 हजार सैंपल की जांच हो रही है जिसकी वजह से काफी हद तक संक्रमित मरीजों की पहचान भी हो पा रही है।

आंकड़ों की मानें तो इस साल एक जनवरी को राजधानी में 74622 सैंपल की जांच हुई थी जिनमें से 9999 जांच एंटीजन किट्स के जरिए हुईं। तीन जनवरी को एक दिन में 5664 सैंपल की जांच एंटीजन से हुई लेकिन पांच जनवरी को 17597 सैंपल की जांच में एंटीजन तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है।

दरअसल एंटीजन जांच का इस्तेमाल चिकित्सीय तौर पर नहीं किया जाता है लेकिन हाल ही में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड जांच में परिवर्तन करते हुए यह फैसला लिया है कि जो एंटीजन में संक्रमित मिल रहे हैं उन्हें आरटी पीसीआर कराने की जरूरत नहीं है। 

जिनमें लक्षण हैं लेकिन एंटीजन जांच की रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं हो रही है ऐसे रोगियों को आरटी पीसीआर जांच कराना अनिवार्य है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कोविड जांच को बढ़ाने के लिए आरटी पीसीआर और एंटीजन दोनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। चूंकि आरटी पीसीआर की गुणवत्ता अधिक है। इसलिए दिल्ली में रोजाना 60 फीसदी से ज्यादा सैंपल की जांच इस तकनीक से हो रही है।

अब हर मरीज का स्त्रोत पता चलना भी मुश्किल
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली में जिस तरह रोजाना हजारों की संख्या में लोग संक्रमित मिल रहे हैं। ऐसे में प्रत्येक मरीज में संक्रमण का स्त्रोत पता करना काफी मुश्किल है। आशंका है कि राजधानी में रोजाना 35 फीसदी से भी अधिक रोगियों का स्त्रोत नहीं मिल रहा है।

नहीं मिलेगा स्त्रोत तो जल्द नीचे नहीं आएगा ग्राफ
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि संक्रमण का स्त्रोत पता चलना बहुत जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है और मिसिंग मामले बढ़ते हैं तो समुदाय में संक्रमण का फैलाव अधिक हो सकता है और ऐसी स्थिति में दैनिक मामलों का बढ़ता ग्राफ भी जल्द नीचे नहीं आएगा। अगर राष्ट्रीय राजधानी में मिसिंग बढ़ते हैं तो यह लहर लंबे समय तक रुक सकती है।

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