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UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में महंगाई-बेरोजगारी पर वोट या विकास पर होगा विश्वास, जानें जनता के मुद्दे

उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है। 10 फरवरी से यहां सियासी समर की शुरुआत होगी और 10 मार्च को नतीजे घोषित होंगे। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच पिछले दो महीने के दौरान यहां काफी रैलियां हुईं। नेताओं ने जमकर वादे किए। राजनीतिक दलों ने अपनी बात तो जनता को बता दी, लेकिन जनता की बात किसी ने नहीं सुनी।  ‘अमर उजाला’ ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। यूपी की जनता का मूड समझने और उनके मुद्दों को जानने के ‘अमर उजाला’ का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ उत्तर प्रदेश के 45 जिलों में पहुंचा। छह हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी करके नौ हजार से ज्यादा लोगों से बात की गई। पढ़ें जनता के वे मुद्दे, जो अमर उजाला के सत्ता के संग्राम में खुद जनता ने बताए…

टॉप-8 मुद्दे, जो इस चुनाव में रहेंगे हावी

नोएडा में चुनावी मुद्दों पर चर्चा करते  युवा।

1. बेरोजगारी : युवा हों या महिलाएं, बुजुर्ग हों या कामगार… हर किसी ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। ज्यादातर लोगों ने दो बातें कहीं। पहली यह कि तमाम विभागों में रिक्तियां होते हुए भी भर्ती नहीं निकाली जा रही हैं और दूसरी यह कि जो भर्ती निकलती है, उसकी प्रक्रिया में भी देरी की जा रही है। कोरोना के चलते भर्ती प्रक्रियाओं में देरी के दावे पर युवाओं का कहना है कि जब एक जगह लाखों की भीड़ जुटाकर चुनावी रैलियां हो सकती हैं तो भर्ती परीक्षाओं को कराने में क्या समस्या है?

2. महंगाई : महंगाई के सवाल पर यूपी के लोग दो धड़ों में बंट जाते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि महंगाई से आम जनता काफी परेशान है। पहले जो गैस-सिलेंडर 400 से 500 रुपये में मिलता था, आज वह एक हजार का हो गया है। पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। बिजली का बिल काफी ज्यादा आता है। बच्चों की स्कूल की पढ़ाई महंगी हो गई है। सब्जी, राशन, तेल सबकुछ महंगा हो गया है। सरकार को इसे कम करने की दिशा में काम करना चाहिए।दूसरा पक्ष यह तो मानता है कि महंगाई बढ़ी है, लेकिन इसके पीछे वह दलीलें भी देता है। ऐसे लोगों का कहना है कि महंगाई के साथ-साथ सुविधाएं भी बढ़ी हैं। पहले दस-दस दिन लाइन में लगने के बाद भी समय पर सिलेंडर नहीं मिलता था। आज एक मैसेज के जरिए 10 मिनट के अंदर सिलेंडर की सप्लाई हो जाती है। इसी तरह आज करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन, तेल, आवास दिया जा रहा है। कोरोना के समय लोगों को इलाज मिला। वैक्सीन लगाई जा रही है। इन सब कामों के लिए सरकार को पैसों की जरूरत होगी। पैसे कहां से आएंगे?

3. सड़क : यूपी सरकार का दावा है कि प्रदेश की सड़कों को गड्ढे मुक्त कर दिया गया है। खूब हाईवे और फ्लाईओवर बनाए गए हैं। एक्सप्रेसवे को लेकर भी यूपी सरकार तारीफें बटोर रही है। हालांकि, इन दावों के बीच जनता का यह भी कहना है कि कई जिलों में अंदर की सड़कें अब भी खराब हैं। सड़कों पर काफी गड्ढे हैं और आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

4. स्वास्थ्य : कोरोनाकाल के दौरान यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश में ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड की कमी का मुद्दा सामने आया था। लगभग हर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लोगों ने अपनी बात रखी। लोगों का यह मानना है कि पहले के मुकाबले स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हुआ है, लेकिन अब भी काफी दिक्कतें हैं। अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी है। आईसीयू, ऑक्सीजन प्लांट अब भी कम ही हैं। अस्पताल का स्टाफ लोगों से सही से बात नहीं करता।  

5. शिक्षा : ज्यादातर लोगों ने यह माना कि पहले के मुकाबले शिक्षा व्यवस्था में सुधार आया है। नकल पर लगाम लगी है। कई जिलों में नए विश्वविद्यालय भी खुले हैं। रोजगारपरक कोर्स शुरू किए गए। नई एजुकेशन पॉलिसी भी युवाओं के करियर के हिसाब से अच्छी है। 

किसानों के क्या हैं मुद्दे?

यूपी चुनाव 2022

1.आवारा पशुओं का मुद्दा : पूरे यूपी में यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया जा रहा है। किसानों का कहना है कि आवारा पशुओं ने खेती बर्बाद कर दी है। रातभर जागकर जानवरों को भगाना पड़ता है। इसके बावजूद जानवर कई बार फसलों को खराब कर देते हैं।

2. खाद का संकट : पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के कुछ जिलों में खाद के संकट का मुद्दा उठा। लोगों का कहना है कि सरकारी केंद्रों से खाद नहीं मिल रही है। इसके चलते खेती करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों ने खाद की कालाबाजारी का भी आरोप लगाया। 

3. फसलों का उचित समर्थन मूल्य न मिलना : किसानों ने फसलों का उचित समर्थन मूल्य न मिलने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार भले कहती है कि वह किसानों की आय दोगुनी कर देगी, लेकिन जब तक समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी नहीं होगी, तब तक किसान खुश नहीं होंगे। हालांकि, किसान सम्मान निधि के जरिए मिल रही मदद को किसानों ने अच्छा कदम भी बताया।

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