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UP Assembly History: मतदान के मामले में प्रयागराज कमजोर, सबसे ज्यादा वोट का रिकॉर्ड मुस्लिम बहुल सीट के नाम

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों का एलान हो गया है। ऐसे में हम आपको प्रदेश के चुनाव का इतिहास बताने जा रहे हैं। पिछले 45 साल के आंकड़े बताते हैं कि प्रयागराज का शहर उत्तरी विधानसभा क्षेत्र वोटिंग के मामले में सबसे ज्यादा कमजोर है, जबकि इसकी गिनती प्रदेश के सबसे शिक्षित क्षेत्रों में होती है। इसी क्षेत्र में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय और मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमएनएनआईटी) भी है। शहर उत्तरी विधानसभा क्षेत्र के नाम 1996 से लेकर 2017 तक सबसे कम वोटिंग का रिकॉर्ड दर्ज है। इससे पहले 1977-1991 तक सबसे कम वोटिंग का रिकॉर्ड अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों के नाम रहा है।

सबसे ज्यादा वोटिंग का रिकॉर्ड अमरोहा के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र के नाम दर्ज है। यहां 2012 में रिकॉर्ड 83.2% वोटिंग हुई थी। उस वक्त यहां समाजवादी पार्टी के कमाल अख्तर ने जीत हासिल की थी। यह विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल है।

कब कहां सबसे ज्यादा और सबसे कम वोटिंग हुई?

यूपी चुनाव इतिहास

1977 : झांसी में सबसे ज्यादा, अमेठी में कम वोटिंग
झांसी के गरौठा विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 71.1 फीसदी मतदान हुआ था। तब यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार रंजीत सिंह ने जीत हासिल की थी। कुल 1.20 लाख वोटर्स में 86 हजार लोगों ने वोट डाले थे।

अमेठी के जगदीशपुर में सबसे कम 18.4% वोट पड़े थे। तब यहां से जनता पार्टी के रामफेर कोरी ने जीत हासिल की थी। कुल 1.17 लाख वोटर्स में से महज 21 हजार लोगों ने वोट डाले थे।  

1980 : इटावा में 66% और अमेठी में 18.6% वोटिंग
इटावा के जसवंतनगर में सबसे ज्यादा 66.2% वोट पड़े थे। तब यहां से इंदिरा गांधी की कांग्रेस-आई के उम्मीदवार बलराम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी। कुल 1.32 लाख में से 87 हजार लोगों ने वोट डाला था।

अमेठी के जगदीशपुर में सबसे कम 18.6% वोटिंग हुई थी। तब यहां इंदिरा गांधी की कांग्रेस आई के उम्मीदवार रामसेवक जीते थे। कुल 1.28 लाख वोटर्स में से 23 हजार लोगों ने मतदान किया था।   

1985 : अमेठी विधानसभा अव्वल, श्रावस्ती की एकौना सबसे पीछे
अमेठी विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 78.8% वोटिंग हुई थी। तब यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार राजकुमार संजय सिंह ने जीत हासिल की थी। कुल 1.60 लाख वोटर्स में से 1.26 लाख लोगों ने मतदान किया था।

श्रावस्ती के एकौना विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 19.6% वोट पड़े थे। तब यहां से रामसागर राव ने जीत दर्ज की थी। आंकड़ों के अनुसार तब 1.56 लाख मतदाताओं में से केवल 30 हजार लोगों ने मतदान किया था।

1989 : बागपत नंबर-1 और राजधानी लखनऊ फिसड्डी
बागपत के छपरौली विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 78.4% वोट पड़े थे। तब यहां जनता दल के नरेंद्र सिंह ने जीत दर्ज की थी। कुल 1.87 लाख मतदाताओं में 1.42 लाख लोगों ने मतदान किया था। सबसे कम वोटिंग लखनऊ सेंट्रल में हुई थी। यहां महज 25.9% वोट पड़े थे। भारतीय जनता पार्टी के बसंतलाल गुप्ता ने यहां से जीत दर्ज की थी।

1991 : बिजनौर अव्वल, सुल्तानपुर के कादीपुर में रिकॉर्ड वोटिंग घटे
बिजनौर विधानसभा में सबसे ज्यादा 66.7% वोट पड़े थे। तब यहां भाजपा के महेंद्र पाल सिंह ने जीत हासिल की थी। सुल्तानपुर के कादीपुर विधानसभा में सबसे कम 6% वोट पड़े थे। कुल 14 लाख वोटर्स में से केवल 89 हजार लोगों ने वोट डाले थे। तब यहां भाजपा के रामचंदर ने जीत हासिल की थी।

1993 : मुरादाबाद में सबसे ज्यादा वोटिंग हुई, बागेश्वर में कम
ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद में सबसे ज्यादा 74.9% वोट पड़े थे। तब यहां से भारतीय जनता पार्टी के सर्वेश कुमार ने जीत हासिल की थी। कुल 2.09 लाख वोटर्स में 1.56 लाख लोगों ने वोट डाले थे। बागेश्वर (अब उत्तराखंड का हिस्सा) में सबसे कम 39% वोट पड़े थे। तब यहां कांग्रेस के रामप्रसाद ने जीत हासिल की थी।

1996 : मायावती के क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोटिंग, प्रयागराज हुआ पीछे
मुरादाबाद के हरोरा विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा 76.2% वोट पड़े थे। तब यहां से मायावती ने चुनाव लड़ा था। वहीं, सबसे कम इलाहाबाद शहर उत्तरी (अब प्रयागराज, उत्तरी) में 32.8% वोट डाले गए थे। भाजपा के नरेंद्र सिंह गौर ने जीत हासिल की थी।

2002 : मुरादाबाद अव्वल, प्रयागराज कमजोर
मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा विधानसभा में सबसे ज्यादा 78.7% वोटिंग हुई। यहां भाजपा के उम्मीदवार कुंवर सर्वेश कुमार ने जीत हासिल की थी। तब पूरे क्षेत्र के 2.42 लाख वोटर्स में 1.90 लाख लोगों ने मतदान किया था। वहीं, सबसे कम वोटिंग इलाहाबाद शहरी उत्तरी विधानसभा में हुई थी। तब यहां 25.5% लोगों ने वोट डाले थे। भाजपा के नरेंद्र सिंह गौर ने जीत हासिल की थी।  

2007 : मुजफ्फराबाद नंबर-1, प्रयागराज फिर फिसड्डी
मुजफ्फराबाद में सबसे ज्यादा 71.1% वोटिंग हुई थी। तब निर्दलीय उम्मीदवार इमरान मसूद ने जीत हासिल की थी। पूरे विधानसभा क्षेत्र के 2.19 लाख वोटर्स में 1.55 लाख लोगों ने वोट डाला था। वहीं, इलाहाबाद शहर उत्तरी में सबसे कम 24% लोगों ने वोट डाले थे। तब यहां से कांग्रेस के अनुग्रह नारायण सिंह विधायक चुने गए थे।

2012 : अमरोहा में रिकॉर्ड मतदान, प्रयागराज फेल
अमरोहा के हसनपुर इलाके में सबसे ज्यादा 83.2% वोट पड़े थे। तब यहां से समाजवादी पार्टी के कमाल अख्तर ने जीत हासिल की थी। कुल 2.65 लाख वोटर्स में 2.20 लाख लोग घरों से निकलकर वोट देने पहुंचे थे। वहीं, सबसे कम वोटिंग इलाहाबाद शहर उत्तरी विधानसभा में हुई थी। तब यहां 40.9% लोगों ने वोट किए थे। कांग्रेस के अनुग्रह नारायण सिंह ने यहां से जीत दर्ज की थी।

2017 : सहारनपुर आगे, प्रयागराज फिर फेल
सहारनपुर के नकुर विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 77.2% वोट पड़े। यहां से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार डॉ. धरम सिंह सैनी ने जीत हासिल की थी। कुल 3.29 लाख वोटर्स में 2.54 लाख लोगों ने वोटिंग की। वहीं, सबसे कम 41.7%  वोटिंग इलाहाबाद शहर उत्तरी में हुई थी। तब यहां से भाजपा के हर्षवर्धन वाजपेयी ने जीत हासिल की थी। कुल 4.13 लाख लोगों में से 1.72 लाख लोगों ने वोट डाले थे।

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