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भाजपा को झटका: बदायूं जिले के बिल्सी से विधायक राधाकृष्ण शर्मा सपा में शामिल

उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी को एक और झटका लगा है। बदायूं जिले के बिल्सी से भाजपा विधायक राधा कृष्ण शर्मा ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली है।

भाजपा विधायक के पार्टी में शामिल होने की जानकारी देते हुए समाजवादी पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है। इस ट्वीट में लिखा है, ‘राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में आस्था जताते हुए बदायूं, बिल्सी से भाजपा विधायक राधा कृष्ण शर्मा जी ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन।’

चढ़ा सियासी पारा, घर बदलने की लगी होड़
विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही जिले की दोनों विधानसभा सीटों का सियासी पारा चढ़ गया। चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग अपनी-अपनी निष्ठाएं बदलने लगे। राजनीतिक पार्टियां अपनी पुरानी सीट पर कब्जा बहाली को लेकर मंथन में लगी हैं। तो कुर्सी पर काबिज अपनी कुर्सी को बचाए रखने की होड़ में लगे है। वहीं जनता भी इस उठापटक से अपने आप को अलग नहीं कर पा रही है। वोटरों में भी लाबिंग शुरू हो गई है।

बदल गई निष्ठा
भिनगा विधानसभा क्षेत्र पर मौजूदा समय में असलम रायनी बसपा से जीतकर आए थे। लेकिन जैसे-जैसे कार्यकाल खत्म होता गया। वैसे-वैसे उनकी निष्ठा में भी परिवर्तन होता गया। कभी भाजपा मुख्यमंत्री की गणेश वंदना के लिए चर्चा में आए तो कभी अपनी किसी दूसरी हरकतों के लिए चर्चा में बने रहे। लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा उनका यह रहा कि बसपा से विधायक होने के बावजूद उन्होंने अपने ही कार्यकाल में निष्ठा परिवर्तित कर सपा का दामन थाम लिया।

अब वह इसी दल से अपनी जमीन तलाशने में लगे हुए हैं। वहीं इसी विधानसभा सीट पर अब तक सपा के संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर रहे दद्दन खां ने अधिसूचना लगते ही अपनी निष्ठा बदलते हुए सपा छोड़ बसपा का दामन थाम लिया। वहीं श्रावस्ती में भी वर्ष 2017 में भाजपा के विरोध में लोकदल से चुनाव लड़ने वाले विनोद त्रिपाठी चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी निष्ठा बदल कर भाजपा में शामिल हो गए थे।

कब्जा वापसी की दिखेगी जंग
विधानसभा चुनाव में इस बार राजनैतिक दलों के बीच मंथन का मुख्य मुद्दा अपनी पुरानी सीट पर कब्जा वापसी ही है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि कब्जा वापसी को लेकर चुनाव में जंग दिखाई देगी। इसका कारण है कि भिनगा विधानसभा में भाजपा सात बार अपने नुमाइंदों को विधानसभा भेज चुकी है। जबकि भाजपा से बसपा ने सीट हथियाई थी। लेकिन वह 2012 में उस स्थिति को बरकरार नहीं रख पाई। जिसके चलते बसपा के हाथों सपा ने सीट हथिया ली थी। लेकिन 2017 के चुनाव में बसपा ने एक बार फिर अपनी खोई हुई सीट वापस ले ली थी।

इस बार जब बसपा से जीता विधायक सपा के खेमे में खड़ा हो गया है तो सपा को उम्मीद है कि वह अपनी सीट पर कब्जा कर लेगी। वहीं सात बार इस सीट से सदन पहुंची भाजपा अपनी खोई हुई सीट वापस लेने का हर संभव प्रयास कर रही है। यही स्थिति जिले की दूसरी विधानसभा सीट श्रावस्ती का भी है। यहां आठ बार भाजपा ने सदन में अपने नुमाइंदे भेजे। लेकिन 2007 में भाजपा की इस सीट पर बसपा का कब्जा हो गया था। इसके बाद 2012 में बसपा से सपा ने सीट हथिया ली।

2017 में सपा से भाजपा ने इस सीट को वापस लेकर अपना कब्जा जमा लिया था। लेकिन 2017 में जीत का अंतराल मात्र सैकड़े में था। इसलिए सपा को अब यह लग रहा है कि उस छोटे अंतराल को वह समाप्त करके फिर से अपनी सीट पर कब्जा कर सकती है। यही मंथन भाजपा भी कर रही है।

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