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पत्नी की अंतिम इच्छा की पूरी: संतान नहीं तो सेवानिवृत्त डॉक्टर ने सरकार को वारिस बना दान की करोड़ों की संपत्ति

हमीरपुर जिले के उपमंडल नादौन के रहने वाले स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त चिकित्सक ने अपनी पत्नी की अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए सरकार को वारिस बनाकर अपनी करोड़ों की चल-अचल संपत्ति सरकार के ही नाम कर दी। पंचायत जोलसप्पड़ के गांव सनकर के 72 वर्षीय डॉ. राजेंद्र कंवर 33 वर्षों बाद स्वास्थ्य विभाग से और उनकी पत्नी कृष्णा कंवर शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हुईं थीं। एक वर्ष पूर्व पत्नी का देहांत हुआ था। दोनों की इच्छा थी कि उनकी कोई संतान न होने के चलते वे अपनी चल-अचल संपत्ति सरकार के नाम वसीयत कर देंगे, क्योंकि उन्होंने सरकारी नौकरी के दौरान ही सब कुछ अर्जित किया है।

डॉ. कंवर का जन्म 15 अक्तूबर, 1952 को माता गुलाब देवी और पिता डॉ. अमर सिंह के घर गांव धनेटा में हुआ था। 1974 में एमबीबीएस की पढ़ाई इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज तत्कालीन समय में स्नोडेन अस्पताल शिमला से पूरी की। उसके उपरांत इंटरनशिप पूरी करके 3 जनवरी, 1977 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भोरंज मे बतौर चिकित्सक ज्वाइन किया। नौकरी के दौरान उन्होंने सेवा भाव के जज्बे के चलते पदोन्नति को भी दरकिनार किया। डॉ. कंवर अभी भी प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों के स्वास्थ्य की देखभाल कर रहे हैं। वह एक नामी डॉक्टर (कांगू वाले डॉक्टर) के नाम से और समाजसेवी की हैसियत से जाने जाते हैं।

हो सकता है कि ऐसी वसीयत हुई हो, लेकिन यह व्यक्तिगत तथा कॉन्फिडेंशियल डॉक्यूमेंट होता है। व्यक्ति की मृत्यु के बाद संबंधित पटवार सर्कल में दर्ज करवा कर बाकायदा इसके इंतकाल के बाद ही वारिस इसका मालिक बन सकता है। इसके बारे में जिस व्यक्ति ने अपनी बिल दी होती है, वही अपनी इच्छानुसार इस पर कुछ बोल सकता है।

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