कम उम्र में पति हरभजन सिंह की मौत हो गई। पति का सपना रिटायर होने के बाद गरीब व जरूरतमंद बच्चों में मुफ्त शिक्षा बांटने का था लेकिन पति की मौत से राजपाल कौर टूटी नहीं, बल्कि उनके सपने को अपना जुनून बना लिया। शुरुआत में 21 नंबर रेलवे फाटक के नजदीक फुटपाथ पर ही गरीब व जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। बाद में फ्लाईओवर बनने पर इसके नीचे वह मस्ती की पाठशाला लगाने लगीं।
आज पूरे 25 साल हो गए हैं राजपाल कौर को गरीब बच्चों में शिक्षा की अलख जगाते हुए। धूप हो, बारिश हो या फिर कड़ाके की ठंड कभी वह पाठशाला में आने से नहीं चूकीं। उनकी मदद को इस मस्ती की पाठशाला में शहर के कई प्रतिष्ठित स्कूलों से रिटायर अध्यापक बच्चों को पढ़ाने आते हैं। इस समय स्कूल में 100 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं।
राजपाल कौर ने बताया कि शुरु में उन पर काफी लोग ताने कसते थे। कहते थे- पति के पेट्रोल पंप चलते हैं और खुद फुटपाथ पर बैठकर बच्चों को पढ़ाती हैं लेकिन मैंने इन व्यंग्य की परवाह नहीं की, क्योंकि उनके सामने लक्ष्य साफ था। धीरे-धीरे करके अपनी पाठशाला से झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले और अन्य गरीब वर्ग के बच्चों को जोड़ा।
उनके अभिभावकों को जागरुक करके बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजना शुरू किया। जबकि शाम को उनका होमवर्क कराने के लिए अपनी मस्ती की पाठशाला में पढ़ाने लगीं। जिन बच्चों को स्कूल भेजा, उनकी फीस, यूनिफार्म और किताबें व कापियां वगैरह देकर मदद की। राजपाल कौर ने बताया कि अब तक वह सैकड़ों बच्चों को शिक्षित कर चुकी हैं। इनमें से कुछ सरकारी नौकरियां कर रहे हैं तो कुछ लड़कियों ने अपना ब्यूटी पार्लर या सिलाई-कढ़ाई का काम शुरू किया है। कुछ पढ़-लिखकर अच्छे घरों में ब्याही गई हैं।
कई संस्थाएं कर रहीं मदद
राजपाल कौर ने कहा कि उनके इस काम में अब कई संस्थाएं आर्थिक रूप से मदद कर रही हैं। वहीं सेवानिवृत्त अध्यापक मस्ती की पाठशाला में बच्चों को पढ़ाने आते हैं। उन्होंने कहा कि मस्ती के साथ-साथ बच्चों को यहां पढ़ाया जाता है, जिससे वह और दिल लगाकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। राजपाल कौर ने कहा कि जीवन के अंतिम क्षण तक वह बच्चों को शिक्षा बांटने के पवित्र काम में जुटी रहेंगी।