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उत्तराखंड का रण: …तो क्या बदजुबानी ने खत्म की टिकट की कहानी, विवादित बयानों को लेकर पांच साल भाजपा रही असहज

भाजपा के चार विधायक अपने चुनाव क्षेत्र में खासे सक्रिय होने के बावजूद टिकट नहीं बचा पाए। विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन को सिर्फ इतनी ही राहत मिली कि उनका टिकट उनकी पत्नी कुंवरानी देवरानी को मिला। अन्यथा बाकी तीन विधायकों की टिकट की कहानी बदजुबानी और विवाद के कारण खत्म हो गई।

झबरेड़ा विधानसभा सीट के भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल सड़क से सदन तक में अतिरिक्त तेजी दिखाते रहे, लेकिन सियासी जानकारों का मानना है कि वह अपने बयानों पर संयम नहीं रख पाए। उनके कुछ विवादित बयानों के ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिसके कारण पार्टी को भी असहज होना पड़ा। एक विवादित बयान के कारण वह आरएसएस के निशाने पर आ गए। अपनी ही पार्टी के विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन से उनकी जुबानी जंग ने भाजपा के अनुशासन का खूब मखौल उड़ाया। उन्हें पार्टी से समय-समय पर कारण बताओ नोटिस भी जारी हुए। जब पार्टी ने उनके पांच सालों के कामकाज का बही-खाता खोला तो टिकट की कहानी पलट गई। अंतिम सांस तक टिकट के लिए लड़ी गई उनकी जंग बेकार साबित हुई।

रुद्रपुर से दो बार के विधायक राजकुमार ठुकराल भी अपना टिकट नहीं बचा पाए। टिकट काटे जाने से नाराज ठुकराल ने पार्टी छोड़ दी। उनके टिकट की कहानी भी बदजुबानी की चक्कर में खत्म हुई। विरोधियों ने मौका देखकर उनकी बातचीत के कुछ विवादित ऑडियो केंद्रीय नेतृत्व को पहुंचा दिए। मामला गंभीर देख पार्टी ने उनके टिकट पर कैंची चला दी। पिछले पांच साल में ठुकराल निर्विवाद नहीं रहे।

द्वारहाट के विधायक महेश नेगी का भी पार्टी ने टिकट काट दिया

कुछ अवसरों पर विधायक राजकुमार ठुकराल के बड़बोलेपन के कारण पार्टी को असहज भी होना पड़ा। ये सभी उनके टिकट कटने के कारण माने जा रहे हैं। द्वारहाट के विधायक महेश नेगी का भी पार्टी ने टिकट काट दिया। महेश नेगी एक युवती के गंभीर आरोपों के कारण विवादों में रहे। उनके इस विवाद की वजह से पार्टी को असहज होना पड़ा। सियासी जानकारों का मानना है कि बेशक पार्टी ने नेगी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन उनके विवाद की आंच से बचने के लिए उनके टिकट पर कैंची चला दी गई।

 भाजपा के इन तीनों विधायकों से जुदा खानपुर के पार्टी विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन थोड़े किस्मत वाले रहे कि उनका पत्ता कटने के बावजूद टिकट घर से बाहर नहीं गया। चैंपियन अपनी बदजुबानी के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिए गए थे। क्षमा याचना के बाद भाजपा ने उन्हें अभयदान दिया। लेकिन इस चुनाव में उनके चुनाव लड़ने की हसरत पूरी नहीं की। हालांकि चैंपियन अपने और अपनी पत्नी के लिए टिकट की मांग कर रहे थे। लेकिन पार्टी ने चैंपियन की जगह उनकी पत्नी कुंवरानी देवरानी को उम्मीदवार बनाया।

हरक को तो पार्टी ने निकाल ही दिया
भाजपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को तो पार्टी से बाहर का रास्ता ही दिखा दिया। सरकार में मंत्री रहते हुए हरक सिंह के बयानों के कारण संगठन और सरकार दोनों को कई बार असहज होना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक हरक
की भाजपा से विदाई अनायास नहीं हुई बल्कि इसके पीछे विवादों की लंबी श्रृंखला थी। 

भाजपा का सिद्धांत है पहले राष्ट्र, फिर संगठन और उसके बाद व्यक्ति। लेकिन कई व्यक्ति का मैं संगठन से ऊपर होने लगता है। ऐसे अवसर पर पार्टी को संदेश देना होता है।

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