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उत्तर प्रदेश के निजी स्कूलों की फीस इस साल भी न बढ़ाए जाने के शासनादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी है। उधर, पहले के आदेश के तहत बृहस्पतिवार को सुनवाई के समय महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह व उनके सहयोगी वकील एचपी श्रीवास्तव कोर्ट की मदद के लिए उपलब्ध नहीं हुए। इस पर कोर्ट ने नाखुशी जताई। हालांकि राज्य सरकार के अधिवक्ता के आग्रह पर महाधिवक्ता के पेश होने के आखिरी मौके के रूप में एसोसिएशन ऑफ प्राईवेट स्कूल्स ऑफ यूपी की याचिका पर अगली सुनवाई 10 फरवरी को नियत की है।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने यह आदेश एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल कुमार व एक अन्य के जरिए दायर याचिका पर दिया। इसमें राज्य सरकार के गत 7 जनवरी के शासनादेश को चुनौती दी गई है। याची ने इसे शैक्षिक संस्थानों के सांविधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला कहा है। याची के वकील मनीष वैश्य के मुताबिक राज्य सरकार ने इस शासनादेश के तहत निजी स्कूलों में पिछले दो साल की तरह इस वर्ष भी फीस बढ़ाने पर रोक लगा दी है। इससे उनके हित प्रभावित हो रहे हैं।
उधर, गत 24 जनवरी को राज्य सरकार समेत अन्य पक्षकारों की तरफ से पेश हुए सरकारी वकील रणविजय सिंह ने कोर्ट से आग्रह किया था कि इस मामले में अदालत की मदद को महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह पेश होंगे। लिहाजा इस केस की सुनवाई 3 फरवरी को नियत की जाए। इस पर कोर्ट ने केस को पहले की तीन अन्य संबंधित याचिकाओं के रिकॉर्ड की उपलब्धता के साथ तीन फरवरी को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था। बृहस्पतिवार को फिर सरकारी वकील ने मामले की सुनवाई 10 फरवरी को नियत करने की गुजारिश की। इसे कोर्ट ने अंतिम मौका देकर मंजूर कर लिया।
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