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गुरुग्राम हादसा: लंबे समय के बाद कल ही घर आए थे पीएमओ में तैनात अरुण, 16 घंटे बाद भी नहीं निकाला जा सका

गुरुग्राम के सेक्टर 109 में चिनटेल पैराडाइज अपार्टमेंट के छठे प्लोर के लिविंग रूम की छत गिरने से इस इमारत का एक हिस्सा धराशाई हो गया। इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि प्रधानमंत्री कार्यालय के सीडब्लूसी विभाग में तैनात अरुण श्रीवास्तव और उनकी पत्नी सहित एक दर्जन लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है। इसके अलावा दो दर्जन से अधिक लोगों के घायल होने की जानकारी है। शुक्रवार सुबह 11.00 बजे तक अरुण श्रीवास्तव और उनकी पत्नी को निकाले जाने की कोई सूचना नहीं मिल सकी है। कहते हैं कि जो हादसा जिसके नसीब में हो उसे कोई नहीं टाल सकता, यह बात पीएमओ में तैनात अरुण श्रीवास्तव के लिए भी सटीक बैठती है। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं यह बात आपको पूरी खबर पढ़कर मामूल हो जाएगी।

अब तक मिली आधिकारिक जानकारी के चिनटेल पैराडाइज हाउसिंग सोसायटी का डी टावर 18 मंजिला इमारत है। इस टावर में एक फ्लैट की कीमत लगभग ढाई-तीन करोड़ है। इस सोसायटी में बने फ्लैट्स को लेकर काफी समय से शिकायत होती रही है कि इसका निर्माण खराब सामग्री से हुआ है। इसी टावर की छठी मंजिल पर गुरुवार को भी काम चल रहा था कि शाम को अचानक छठी मंजिल का फ्लोर धंस गया और फिर यह गिरते-गिरते पहले मंजिल तक जा पहुंचा। हालांकि इस इमारत की पहली और दूसरी मंजिल पर ही लोग रह रहे थे। पहली मंजिल पर ही पीएमओ में तैनात अधिकारी अरुण श्रीवास्व और उनकी पत्नी रहती हैं। वहीं दूसरी मंजिल पर रहने वाली एकता भारद्वाज का शव तो पुलिस ने मलबे से निकाल लिया था।

अरुण श्रीवास्वत मूलतः बिहार के रहने वाले हैं और वह काफी महीनों से चिनटेल पैराडाइज में नहीं रह रहे थे। वह गुरुवार यानी हादसे वाले दिन ही सोसायटी में वापस लौटे थे और शाम करीब 6.30 बजे यह दुर्घटना हो गई। उन्हें नहीं पता था कि शायद यह हादसा ही उन्हें यहां खींच लाया था। अरुण और उनकी पत्नी को निकालने का प्रयास अब भी जारी है। बताया जा रहा है कि रात करीब 1.00 बजे तक अरुण श्रीवास्तव की आवाज आ रही थी लेकिन उनकी पत्नी की कोई आवाज नहीं सुनी जा सकी।

शाम को हादसे की खबर मिलते ही अरुण श्रीवास्तव के दोस्त भी घटनास्थल पर पहुंचे, जहां उन लोगों की बात भी हुई थी। श्रीवास्तव ने बताया कि वह चारों ओर से मलबे से घिरे हैं और उनका पैर फंसा हुआ है। जिसके बाद छत के रास्ते कटर से काटकर मलबा हटाते हुए उन्हें निकालने का प्रयास भी किया गया लेकिन सफलता नहीं मिल सकी।

एकता भारद्वाज के पति की ऐसे बची जान

कहते हैं कि जिसे भगवान बचाए उसका मौत भी कुछ नहीं कर सकती। ऐसा कुछ हुआ पैराडाइज हाउसिंग सोसायटी में मरने वाली महिला एकता भारद्वाज के पति के साथ। दरअसल एकता के पति हादसे के वक्त वह दफ्तर में होने के कारण यहां मौजूद नहीं थे, जिसके चलते उनकी जान बच गई।

एडीसी को सौंपी जांच, मुआवजे का भी हो सकता है एलान

उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने इस मामले की जांच एडीसी को दे दी है कि इस मामले में क्या लापरवाही हुई है। इसके साथ ही मृतक महिला एकता भारद्वाज के परिजनों की शिकायत पर बिल्डर के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज होने की तैयारी चल रही है। वहीं ये भी बताया जा रहा है कि इस मामले में जल्द मुआवजे का एलान हो सकता है।

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