दिवंगत सपा नेता के बेटे द्वारा की गई युवती की हत्या में मंगलवार को नया मोड़ आ गया। मां की ओर से बेटी के शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराने की मांग पर शव को श्मशान घाट से निकलवाकर लखनऊ से आई फॉरेंसिक एक्सपर्ट की टीम से पोस्टमार्टम कराया गाया। देर शाम करीब आठ बजे पोस्टमार्टम के बाद मृतका मां ने तुंरत पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
मृतका के परिवार की ओर से पैरवी करने आए हाईकोर्ट के वकीलों ने एफएसएल के एडी से रिपोर्ट की जानकारी ली तो उन्होंने पहले और आज हुए पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अंतर होने की जानकारी दी। इस पर परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। पीड़ित परिवार की तरफ से पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता ने एक्सपर्ट मेडिकल बोर्ड गठित करने की मांग की है। वहीं परिवार ने शव को पोस्टमार्टम हाउस से न ले जाने देने की बात कही है। बवाल बढ़ते देख भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
शहर के एक मोहल्ला निवासी 22 वर्षीय युवती पूजा को आठ दिसंबर 2021 को सपा नेता व पूर्व राज्यमंत्री स्व. फतेहबहादुर सिंह के बेटे रजोल ने अगवा कर हत्या कर दी थी। 10 फरवरी को पुलिस ने उसका शव दिव्यानंद आश्रम परिसर से जमीन में गड्ढा खोदकर दबाए गए गड्ढे से बरामद किया था। 11 फरवरी को शव का पोस्टमार्टम के बाद जाजमऊ के चंदन घाट पर शव को मिट्टी में दबा दिया गया था।
मृतका की मां रीता की मांग पर डीएम रवींद्र कुमार ने सोमवार को दोबारा पोस्टमार्टम की स्वीकृति दे दी। मंगलवार शाम 4:30 बजे सिटी मजिस्ट्रेट विजेता व पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में शव को श्मशान घाट से निकाल कर पोस्टमार्टम हाउस लाया गया। जहां लखनऊ से विधि विज्ञान प्रयोगशाला के अपर निदेशक डॉ. जी खान के नेतृत्व में एमडी फॉरेंसिक मेडिसिन डॉ. कीर्तिवर्धन, डॉ. एमपीएम सिविल अस्पताल लखनऊ और डॉ. कंचन यादव एमडी फॉरेंसिक मेडिसिन के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। जैसे ही पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी हुई और टीम बाहर निकली, मृतका की मां ने रिपोर्ट तत्काल देने की मांग करते हुए शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने से रोक दिया।
एफएसएल के एडी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट तय प्रक्रिया के कारण तत्काल न दे पाने की बात कही तो हंगामा शुरू हो गया। परिजनों ने निर्भया की वकील रहीं सीमा समृद्धि कुशवाहा से बात कर पूरी जानकारी दी। इस पर सुप्रीम कोर्ट की वकील अवनी बंसल और प्रखर दीक्षित ने एफएसएल के अपर निदेशक डॉ. जी खान ने दोनों रिपोर्ट में भिन्नता स्वीकार की।
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