Sunday , September 29 2024

UP Election 2022: योगी के खिलाफ चुनाव लड़ने वालीं सुभावती के परिवार में दो फाड़, सोशल मीडिया पर मची रार

भाजपा से बगावत कर गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं सुभावती शुक्ला के परिवार में दो फाड़ हो गया है। उनके दोनों बेटों के बीच सोशल मीडिया पर तकरार मची है।

छोटे बेटे अमित दत्त शुक्ल ने दो दिन पहले फेसबुक पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फोटो पोस्ट कर जीत पर उन्हें बधाई दी। साथ ही लिखा कि वह उनके साथ हैं और हमेशा साथ रहेंगे। वहीं, बड़े बेटे अरविंद दत्त शुक्ल ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ वाली अपनी मां सुभावती शुक्ल की फोटो पोस्ट कर सपा और अखिलेश के प्रति अपनी निष्ठा दोहराई है।

हालांकि, भाजपा से बगावत कर जब सुभावती ने लखनऊ सपा कार्यालय में पार्टी का दामन थामा था तो उनके दोनों बेटे अरविंद और अमित भी वहां मौजूद थे। अमित ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि- ऐतिहासिक विजय की हार्दिक शुभकामनाएं, बधाई। आप भारत का नेतृत्व करेंगे। मैं, आपके साथ हूं और रहूंगा। इस पोस्ट के बाद सुभावती के बड़े बेटे अरविंद ने अपनी एक अलग पोस्ट में लिखा- सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के द्वारा जो सम्मान प्राप्त हुआ, उसके लिए हृदय की गहराई से धन्यवाद एवं आभार।

उन्होंने आगे लिखा कि छोटे भाई अमित उपेंद्र दत्त शुक्ल ने अपने फेसबुक आईडी से जो लिखा है, वह उनका स्वतंत्र विचार है। इससे मां और उनके परिवार का कोई सरोकार नहीं है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशों पर समाजवादी पार्टी की विचारधारा को आगे ले जाने के लिए वह और उनकी मां दृढ़ संकल्पित हैं।

इस पर एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा कि- अब बची-खुची इज्जत भी लेने को आप लोग तैयार हैं। स्व. उपेंद्र दत्त शुक्ल भी आपलोगों से खुश नहीं होंगे। वहीं, एक ने नसीहत देते हुए लिखा कि-भाजपा में ही आपकी सही पहचान है। आपका इंतजार रहेगा भारतीय जनता पार्टी को।  

अमित की पोस्ट पर आए कमेंट में कुछ लोगों ने सपा में जाने के फैसले को भूल बताया। कुछ लोगों ने कोसा भी और लिखा कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के दिए सम्मान को भूल फिर से भाजपा के राग अलापना मौकापरस्त की श्रेणी में आएगा। एक यूजर ने लिखा कि- आपकी पहचान आपके कट्टर राष्ट्रवादी पिता (स्व. उपेंद्र दत्त शुक्ल) के नाते रही, आपने समय का इंतजार नहीं किया और बहुत जल्दी में फैसला लेकर घोर परिवारवादियों के साथ जा मिले। आपका असली परिवार भाजपा ही है।

सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव मैदान में आने के बाद से ही सुभावती के दोनों बेटों में रार शुरू हो गई थी। यही वजह है कि चुनाव प्रचार में छोटे बेटे अमित ने उतनी सक्रियता नहीं दिखाई थी।

भाजपा के कद्दावर नेता थे स्व. उपेंद्र शुक्ला

भाजपा संगठन के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले स्व. उपेंद्र दत्त शुक्ला गोरखपुर, बस्ती और आजमगढ़ मंडल में पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा थे। पार्टी में लंबे समय तक संगठन की सेवा करने वाले उपेंद्र दत्त  विभिन्न पदों पर रहे। वह भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे। कौड़ीराम विधानसभा सीट से भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी भी बनाया था, लेकिन वह चुनाव हार गए।

योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर सदर लोकसभा सीट पर 2018 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने उन्हें एक बार फिर प्रत्याशी बनाया, लेकिन इस बार भी उपेंद्र शुक्ला सपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद से पराजित हो गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परंपरागत सीट से भाजपा की हार के बाद उपेंद्र शुक्ला सक्रिय राजनीति से दूर होते गए। इस बीच उपेंद्र की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई थी।

बगावत करके थामा सपा का दामन

20 जनवरी को भाजपा से बगावत कर स्व. उपेंद्र शुक्ला के परिवार ने लखनऊ में सपा का हाथ थाम लिया। पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2022 में स्व. उपेंद्र दत्त की पत्नी सुभावती को गोरखपुर शहर सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपना उम्मीदवार बनाया, मगर जनता ने उन्हें नकार दिया।

सुभावती को मिले 62 हजार वोट

विधानसभा चुनाव के 10 मार्च को आए नतीजे में शहर विधानसभा सीट से सपा की उम्मीदवार सुभावती दत्त शुक्ला दूसरे पायदान पर रहीं। उन्हें 62,109 वोट मिले। उन्हें भाजपा प्रत्याशी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक लाख से अधिक मतों से हराया। मुख्यमंत्री योगी को 1,65,499 वोट मिले। सपा पूरे गोरखपुर जिले में लगातार दूसरी बार खाता नहीं खोल सकी।

अरविंद दत्त शुक्ल ने कहा कि छोटे भाई अमित की विचारधारा अलग हो सकती है। उनके विचार से मेरा या मां सुभावती दत्त शुक्ला का कोई सरोकार नहीं है। हमारी पूरी निष्ठा समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव में है। उनका जो भी दिशा-निर्देश मिलेगा, हम आगे भी वैसे ही कार्य करते रहेंगे। वैसे यह हमारा पारिवारिक मामला है। मैं, छोटे भाई के साथ बैठकर इसे सुलझा लूंगा। अभी दो दिनों से मेरी उनसे मुलाकात नहीं हुई है।

new