लखनऊ के ठाकुरगंज के मुसाहिबगंज में नगर निगम के प्राथमिक स्कूल में खेल रहे मासूम भाई-बहनों पर आवारा कुत्तों ने हमला बोल दिया। दोनों को गंभीर हालत में ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां मो. रजा (7) की मौत हो गई। उसकी बहन जन्नत फातिमा (5) की हालत गंभीर बनी हुई है। मामले को लेकर पीड़ित परिवार ने नगर आयुक्त, महापौर और जोन-6 के अधिकारी के खिलाफ तहरीर दी है।
मुसाहिबगंज निवासी प्लंबर शबाब रजा के परिवार में पत्नी रानी, बेटा मो. रजा और बेटी जन्नत फातिमा है। बुधवार शाम पांच बजे रजा छोटी बहन के साथ घर के बाहर खेल रहा था। इसी दौरान आवारा कुत्तों ने उन पर हमला कर नोचना शुरू कर दिया। शोर व चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग डंडा लेकर दौड़े, लेकिन तब तक मासूम गंभीर रूप से घायल हो चुके थे।
दोनों को तत्काल ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां रजा ने दम तोड़ दिया। जन्नत की हालत नाजुक बनी है। शबाब के मुताबिक बच्चों ने चीखना शुरू किया, लेकिन स्कूल का गेट बंद होने से मदद देरी से पहुंची। लोग किसी तरह दीवार व गेट फांदकर अंदर घुसे।
नगर निगम पर लापरवाही का आरोप, हंगामा
कुत्तों के हमले में मासूम की मौत की सूचना जैसे ही मिली, लोग आक्रोशित हो गए और नगर निगम के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। आरोप लगाया कि नगर निगम आवारा कुत्तों को पकड़ने का कोई इंतजाम नहीं करता है। हंगामे की सूचना पर पहुंची पुलिस ने उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर लोगों को शांत कराया।
वहीं, देर रात को शबाब रजा ने ठाकुरगंज थाने में दी तहरीर में हादसे के लिए नगर निगम के अधिकारियों को जिम्मेदार बताया। उसने नगर निगम जोन-6 के अधिकारी, नगर आयुक्त और महापौर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को तहरीर दी। साथ ही जिम्मेदार अधिकारी को निलंबित करने की मांग की। एडीसीपी पश्चिम चिरंजीव नाथ सिन्हा के मुताबिक तहरीर मिली है। जांच के बाद उचित कार्रवाई होगी।
मीट-मांस की दुकानों ने बढ़ाई मुसीबत
नगर निगम प्राथमिक विद्यालय के आसपास मीट-मांस की दुकानें है। इससे यहां आवारा कुत्तों का झुंड लगा रहता है। दुकानों के आसपास मीट फेंक दिए जाने से कुत्ते हिंसक हो गए हैं। हाल ही में इलाके के शान और सोनू पर भी कुत्तों ने हमला किया था।
आवारा कुत्ते पकड़ने पर रोक, नसबंदी ही कर सकते
नगर निगम के संयुक्त निदेशक डॉ. अरविंद राव का कहना है कि घटना का पता करने के लिए टीम को लगाया गया है। नगर निगम कुत्तों की आबादी रोकने के लिए नसबंदी ही कर सकता है। इसके अलावा वह न तो इन्हें पकड़कर रख सकता है और न ही शहर से बाहर छोड़ सकता है।
बताया कि एनिमल वेलफेयर के लिए बने कानून के तहत आवारा कुत्तों की सिर्फ नसबंदी की जा सकती है और इसके बाद उन्हें उसी क्षेत्र में छोड़ने की बाध्यता है, जहां से पकड़ा गया। एनिमल वेलफेयर के लिए काम करने वाली निजी संस्थाएं कई बार कुत्ते पकड़ने पर नगर निगम को कोर्ट में घसीट चुकी हैं। इस समय रोजाना करीब 100 कुत्तों की नसबंदी की जा रही है। शहर में आवारा कुत्तों की तादाद करीब 60 हजार है।