किशोर न्याय बोर्ड ने इस साल की शुरुआत में पुराने शहर के हवाल इलाके में 24 वर्षीय महिला पर तेजाब फेंकने के मामले में दो वयस्कों के साथ आरोपी एक किशोर को जमानत देने से इनकार कर दिया। बोर्ड के प्रमुख मजिस्ट्रेट तौसीफ अहमद मगरे और दो सदस्यों डॉ. खैरुल निसा और डॉ.असीमा हसन ने किशोर की याचिका पर सुनवाई की।
आरोपी किशोर को जमानत दी जाती है तो उसका प्रभाव मामले पर पड़ सकता है
उन्होंने कहा कि आरोपों की प्रकृति, उसकी गंभीरता और समग्र परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह पाया कि यदि आरोपी किशोर को इस मौके पर जमानत दी जाती है तो उसका प्रभाव मामले पर पड़ सकता है। अत: जमानत की अर्जी खारिज की जाती है। पुलिस ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष 23 फरवरी को दो वयस्क आरोपियों साजिद अल्ताफ राथर और मोहम्मद सलीम कुमार उर्फ तोता के खिलाफ एक हजार पन्ने का आरोप पत्र दाखिल किया था।
अधिनियम 2014 के तहत एक वयस्क के रूप में माना जाता है
नाबालिग के खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष एक अतिरिक्त आवेदन के साथ एक समान आरोप पत्र दायर किया गया था कि उसे संशोधित किशोर न्याय (सीआईसीएल) अधिनियम 2014 के तहत एक वयस्क के रूप में माना जाता है। इस अधिनियम के तहत 16-18 आयु वर्ग के युवा यदि उन पर जघन्य अपराधों का आरोप लगाया जाता है तो उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
अभियोजन पक्ष ने कहा- गैर जमानती अपराध में था शामिल
किशोर के वकील का कहना था कि आरोपी आठवीं कक्षा का छात्र है और लगातार जेल में रहने के कारण उसकी पढ़ाई बाधित हो रही है। स्कूल में उसका चहुंमुखी विकास होगा। अभियोजन पक्ष ने अतिरिक्त लोक अभियोजक की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि किशोर एक गैर-जमानती अपराध में शामिल था और अधिकार के रूप में जमानत का दावा नहीं कर सकता।
सुधार गृह में दिख रहे सकारात्मक संकेत
किशोर न्याय बोर्ड ने कहा कि श्रीनगर के हरवन स्थित सुधार गृह (ऑब्जर्वेशन होम) में किशोर का रहना इस समय उसके हित में है। क्योंकि वहां उसमें सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं। किशोर को घटना के 24 घंटे के अंदर 2 फरवरी 2022 को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था उसके बाद से उसे ऑब्जर्वेशन होम में रखा गया है।