प्रचंड गर्मी के कारण मांग में भारी वृद्धि से प्रदेश की बिजली आपूर्ति लड़खड़ा गई है। गांवों में पूरी रात बिजली नहीं मिल पा रही है, जबकि शहरी क्षेत्रों में अघोषित कटौती से हालात बदतर होते जा रहे हैं। प्रदेश में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की 3615 मेगावाट क्षमता की इकाइयों के बंद होने से बिजली की उपलब्धता घट गई है। दूसरी तरफ केंद्रीय सेक्टर की भी तमाम इकाइयों के बंद होने से यूपी के कोटे में कमी हो गई है। अप्रैल में अब तक राज्य विद्युत उत्पादन निगम को 280 मिलियन (28 करोड़) यूनिट बिजली उत्पादन की हानि उठानी पड़ी है।
प्रदेश में फिलहाल आपूर्ति की स्थिति में सुधार के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। खुद ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा भी मान रहे हैं कि कुप्रबंधन की वजह से प्रदेश में बिजली व्यवस्था चरमराई है। एक तरफ उत्पादन इकाइयां साथ नहीं दे रही हैं तो दूसरी तरफ वितरण और ट्रांसमिशन नेटवर्क भी आपूर्ति व्यवस्था सुचारू रखने में नाकाम साबित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोस्टर के अनुसार बिजली नहीं मिल रही है। शहरी क्षेत्रों में ओवरलोड सिस्टम बाधक बन रहा है।
गांवों में 8 घंटे तक कटौती
पावर कॉर्पोरेशन की आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार बीती रात गांवों में औसतन 7:57 घंटे, तहसील मुख्यालयों पर 6:02 घंटे, नगर पंचायतों में 6:17 घंटे व बुंदेलखंड 6:51 घंटे की कटौती की गई। रिपोर्ट में जिला व मंडल मुख्यालयों, महानगरों और उद्योगों को 24 घंटे आपूर्ति का दावा किया गया है लेकिन राजधानी समेत पूरे प्रदेश में जमीनी स्तर पर हालात कुछ और हैं।
यूपी में कई इकाइयां बंद
प्रदेश में ओबरा की 200 मेगावाट, अनपरा 210 मेगावाट, मेजा, बारा, हरदुआगंज व ललितपुर की 660-660 मेगावाट की एक-एक, हरदुआगंज की 250 मेगावाट के अलावा बजाज हिंदुस्तान की 315 मेगावाट क्षमता की इकाइयां बंद चल रही हैं।
कोयले की किल्लत बरकरार
बुधवार की रिपोर्ट के अनुसार अनपरा में छह, ओबरा व हरदुआगंज में चार-चार दिन तथा पारीछा में एक दिन का कोयला बचा है। इस कमी से तापीय इकाइयां पूरी क्षमता से नहीं चल पा रही हैं। प्रदेश के बिजली घरों के लिए रोजाना 87900 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत है, जबकि आपर्ति 61000 मीट्रिक टन ही हो पा रही है।
मांग 22 हजार
यूपी में बिजली की मांग 22,000 मेगावाट से ऊपर पहुंच गई है। जबकि अधिकतम आपूर्ति 19,250 मेगावाट है। चूंकि पूरे उत्तर भारत में बिजली की मांग बढ़ गई है इसलिए ग्रिड से अतिरिक्त बिजली का आयात संभव नहीं हो पा रहा है। वैसे भी अधिकांश समय ग्रिड में अनशिड्यूल इंटरचेंज (निर्धारित कोटे से ज्यादा आयात) की दरें आठ रुपये प्रति यूनिट के आसपास चल रही है और एनर्जी एक्सचेंज में इससे ज्यादा दर पर बिजली उपलब्ध है इसलिए अतिरिक्त बिजली खरीदना भी संभव नहीं हो पा रहा है। कॉर्पोरेशन के अधिकारी मार्केट में बिजली न होने की बात कहकर हाथ खड़े कर दे रहे हैं।
कोयले की मालगाड़ियों का रास्ता खाली करने के लिए 8 ट्रेनें निरस्त
कोयले की निर्बाध आपूर्ति के लिए मुरादाबाद मंडल की आठ यात्री ट्रेनों को निरस्त कर दिया गया है, ताकि कोयला लाने वालीं मालगाड़ियों को प्राथमिकता दी जा सके। मुरादाबाद मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) सुधीर सिंह ने बताया कि गर्र्मी में बिजली की खपत अत्यधिक बढ़ गई है। साथ ही बिजलीघरों में भी कोयले की कमी हो रही है। बिजलीघरों तक कोयले की निर्बाध रुप से आपूर्ति करने के लिए रेल प्रशासन की ओर से भी काम किया जा रहा है। सीनियर डीसीएम ने बताया कि कोयले की सुगम व तीव्र गति से कोयला ले जाने वाली मालगाड़ियों को प्राथमिकता दी जा रही है। जिसके कारण आठ ट्रेनों को अग्रिम आदेशों तक निरस्त करने का निर्णय लिया गया है।
पावर एक्सचेंज में 13 से 17 रुपये प्रति यूनिट बिजली
देश व प्रदेश में बिजली संकट के बीच पावर एक्सचेंज में एक बार फिर मुनाफाखोरी का खेल शुरू हो गया है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय और केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए पावर एक्सचेंज में 13 से 17 रुपये प्रति यूनिट में बिजली बेची जा रही है। आयोग ने इसकी अधिकतम सीमा 12 रुपये प्रति यूनिट तय कर दी है।