स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मियों के भविष्य निधि (पीएफ) में करोड़ों रुपये का घालमेल हो गया है। आउटसोर्सिंग एजेंसियों ने कर्मचारियों के मानदेय से पीएफ की कटौती की, लेकिन उस रकम को खाते में जमा नहीं किया। लखनऊ सहित 25 जिलों में यह प्रकरण सामने आ चुका है। ऐसे में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. वेदब्रत सिंह ने सभी सीएमओ व सीएमएस को मामले की पड़ताल करने का निर्देश दिया है।
स्वास्थ्य विभाग में कोविड 19 व अन्य कार्यक्रमों के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसियों के जरिए कर्मचारियों की तैनाती की गई है। इन एजेंसियों का चयन जिला स्वास्थ्य समिति करती है, जिसके अध्यक्ष संबंधित जिलों के जिलाधिकारी हैं। प्रदेश भर में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की संख्या 15 हजार से अधिक है। इनके मानदेय से पीएफ कटौती होती है। पर आउटसोर्सिंग एजेंसियों ने मानदेय भुगतान करते वक्त कर्मचारी के हिस्से की पीएफ रकम की कटौती तो कर ली, लेकिन उसे खाते में जमा नहीं किया। लखनऊ में इस तरह का मामला सामने आया तो कर्मचारियों में खलबली मच गई। अब हर जिले में इस तरह का मामला खुल रहा है।
खास बात यह है कि कई मुख्य चिकित्साधिकारियों ने एजेंसियों को नोटिस जारी करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक सहित अन्य उच्चाधिकारियों को भी मामले की जानकारी दी, लेकिन सभी इस मुद्दे पर मौन हैं। उधर, कर्मचारी संगठन लगातार शिकायतें कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि एजेंसियां कर्मचारियों के खाते में जमा होने वाली रकम को दूसरे काम में लगाती हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो कुछ रकम खाते में जमा कर देती हैं। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की मिलीभगत से यह खेल लगातार चलता रहता है।
ईपीएफओ खाते के विवरण से हुआ खुलासा
लखनऊ के एक कर्मचारी ने ईपीएफओ खाते का विवरण निकाला तो पता चला कि उसके खाते में फरवरी और अप्रैल की रकम जमा है, लेकिन मार्च 2021 से अब तक के अन्य माह की रकम जमा नहीं की गई है। गोरखपुर में कार्यरत कर्मचारी को मार्च से सितंबर 2021 का बकाया जमा किया गया है। इसके बाद नहीं जमा किया गया है। फर्रुखाबाद के कर्मचारी की सितंबर 2021 से अब तक की रकम नहीं जमा की गई है। बरेली में भी इसी तरह का खेल हुआ है।
भुगतान रोकने के साथ दी कार्रवाई की चेतावन
लखनऊ में 200 से अधिक कर्मचारियों की रकम पीएफ खाते में जमा नहीं की गई है। कर्मचारियों की शिकायत पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल ने आउटसोर्सिंग एजेंसियों का मार्च से भुगतान रोक दिया है। उन्होंने निर्देश दिया है कि पहले हर कर्मचारी के पीएफ खाते में बकाया राशि जमा की जाए। तभी आगे का भुगतान किया जाएगा। साथ ही यह चेतावनी दी है कि 15 मई तक बकाया रकम जमा नहीं की गई तो कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह संतकबीरनगर के मुख्य चिकित्साधिकारी ने 11 मई को जिले में कार्यरत एजेंसी को नोटिस जारी किया है। निर्देश दिया है कि तीन दिन के अंदर कटौती एवं भुगतान का विवरण दिया जाए।
जारी हुआ नोटिस तो मचा हड़कंप
बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा एवं बलरामपुर में करीब 700 से अधिक कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट में पैसे जमा नहीं किए गए हैं। कर्मचारियों की शिकायत पर पीएफ कमिश्नर ने आउटसोर्सिंग एजेंसियों को नोटिस जारी किया है। यहां के अपर निदेशक स्वास्थ्य ने भी सभी सीएमओ से रिपोर्ट मांगी है।
सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया गया है कि जिन एजेंसियों ने ईपीएफ खाते में रकम जमा नहीं की है, उससे बात करके रकम जमा कराएं। कई एजेंसियों को नोटिस भी जारी किया गया है। एजेंसियों को हर हाल में कर्मचारियों की रकम जमा करनी होगी।
– डॉ. वेदब्रत सिंह महानिदेशक स्वास्थ्य
कर्मचारियों के खाते में पीएफ रकम जमा न होने की शिकायत कई बार की गई है। एनएचएम एवं स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने आश्वासन दिया गया था कि रकम जल्द जमा कराया जाएगा। एजेंसियों ने कहा कि मार्च में क्लोजिंग के वक्त बकाया राशि जमा हो जाएगी, लेकिन अप्रैल बीतने के बाद भी रकम जमा नहीं हुई है। ऐसे में कर्मचारियों में आक्रोश है।
– सच्चितानंद मिश्र, महामंत्री संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ