लापरवाही के कारण मुकुल गोयल को डीजीपी के पद से हटाये जाने के बाद इंटेलिजेंस के डीजी देवेंद्र सिंह चौहान को प्रदेश का कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया है। डीजीपी की स्थायी व्यवस्था होने तक उन्हें डीजीपी का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। उनके पास डीजी विजिलेंस का अतिरिक्त चार्ज पहले से ही है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने आदेश जारी कर दिया है।
डीएस चौहान 1988 बैच के आईपीएस हैं और गौतमबुद्घनगर, गाजियाबाद, आगरा, सहारनपुर, बुलंदशहर, रामपुर और प्रतापगढ़ के पुलिस कप्तान रह चुके हैं। झांसी रेंज के डीआईजी और बरेली जोन के आईजी भी रह चुके हैं। दो बार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर वर्ष 2006 से 2011 के बीच ब्यूरो आफ सिविल एविएशन में डीआईजी और 2016 से 2020 के बीच सीआरपीएफ में आईजी व एडीजी केपद पर तैनात रहे। प्रशिक्षु आईपीएस के रूप में वे लखनऊ में भी तैनात रह चुके हैं। इसके अलावा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ओएसडी भी बदले गए हैं। अभिषेक कौशिक की जगह श्रवण बघेल नए ओएसडी बनाए गए हैं।
मुकुल गोयल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के बाद बुधवार रात को उनके पद से हटा दिया गया था। गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने और अकर्मण्यता के आरोप में उनको पद से हटाया गया। गोयल पर कार्रवाई के पीछे हाल के दिनों की घटनाएं बड़ी वजह मानी जा रही हैं।
गोयल को पिछले साल एक जुलाई को तत्कालीन डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी की सेवानिवृत्ति के बाद डीजीपी बनाया गया था। वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस लौटे थेे। शुरू से ही उनका कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। एक मामले में तो मुख्यमंत्री तक को बयान देना पड़ा।
यूपीएससी से होगा स्थायी डीजीपी का फैसला
प्रदेश के स्थायी डीजीपी का फैसला संघ लोक सेवा आयोग करेगा। इसके लिए प्रदेश सरकार पैनल मांगेगा। पैनल में 30 साल की सेवा पूरी कर चुके सभी आईपीएस अफसरों की सूची यूपीएससी को भेजी जाएगी। उनमें से वरिष्ठता, सत्यनिष्ठा और चरित्र पंजिका के आधार पर तीन नामों का चयन कर यूपीएससी राज्य सरकार को भेज देता है। राज्य सरकार उन तीन में से किसी एक को डीजीपी बना सकती है। मौजूदा समय में वरिष्ठता के क्रम में सबसे ऊपर 1987 बैच के आईपीएस प्रशिक्षण निदेशालय के डीजी आरपी सिंह हैं।
दूसरे नंबर पर इसी बैच के जीएल मीना हैं, जो सीबीसीआईडी में डीजी के पद पर तैनात हैं। मीणा को होमगार्ड विभाग में मस्टर रोल घोटाला उजागर होने के बाद उन्हें हटा कर मानवाधिकार आयोग भेज दिया गया था। बाद में उनका स्थानांतरण सीबीसीआईडी कर दिया गया। ऐसे में उनके नाम पर यूपीएससी विचार करेगा या नहीं यह राज्य सरकार की रिपोर्ट तय करेगी। इसके अलावा 1988 बैच के आईपीएस राज कुमार विश्वकर्मा तीसरे और देवेंद्र सिंह चौहान चौथे नंबर पर हैं। अगर अभी पैनल मांगा जाता है और मीणा के नाम पर विचार नहीं होता है तो डीएस चौहान के स्थायी डीजी बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।