वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर के सर्वे मामले में आज फिर से दो याचिकाओं के सात बिंदुओं पर सुनवाई होगी। इनमें शिवलिंग की जगह पर दर्शन-पूजन और वजूखाने से शौचालय, मछलियों को हटाने की मांग पर बुधवार को सुनवाई होगी। सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में यह सुनवाई होगी। हालांकि आज दी बनारस बार एसोसिएशन और दी सेंट्रल बार एसोसिएशन के वकील हड़ताल पर हैं। वहीं, बताया जा रहा कि हड़ताल का सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
इससे पहले, ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग को सील करवाए जाने के अगले दिन मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र को कमीशन की कार्रवाई से हटा दिया था।
विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह की मांग पर कमीशन की कार्रवाई की रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने के लिए और दो दिन का समय दिया गया है। इसके साथ ही वादी पक्ष की ओर से शिवलिंग की जगह पर दर्शन-पूजन व वजूखाने से शौचालय, मछलियों को हटाने की मांग पर आज सुनवाई होगी।
वादी पक्ष के आवेदन पर न्यायालय ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी सहित अन्य प्रतिवादियों से आज आपत्ति मांगी है। इसके अलावा, प्रतिवादी पक्ष की ओर से उठाई गई आपत्तियों पर भी न्यायालय ने संज्ञान लिया है।
ज्ञानवापी में सर्वे की कार्रवाई पूरी होने के बाद न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र पर पदीय दायित्वों के निवर्हन में गैरजिम्मेदार होने का आरोप लगाया। उनकी ओर से नियुक्त फोटोग्राफर आरपी सिंह के द्वारा मीडिया को दिए गए बयान का जिक्र भी किया गया।
इस पर न्यायालय ने अजय कुमार मिश्र को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया। विशेष अधिवक्ता आयुक्त को 12 मई के बाद की कमीशन की कार्रवाई की रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया गया है। पहले इसके इसके लिए 17 मई की तिथि तय की गई थी। सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह को भी आदेश दिया गया है कि वे स्वतंत्र रूप से कुछ नहीं करेंगे। विशेष अधिवक्ता आयुक्त के निर्देश पर ही काम करेंगे।
वादी पक्ष की तीन प्रमुख मांगें
वादी पक्ष की रेखा पाठक, मंजू व्यास, सीता साहू की ओर से मंगलवार को न्यायालय में आवेदन दिया गया कि शिवलिंग की जगह पर दर्शन-पूजन के साथ ही वजू स्थल पर मिले शिवलिंग के नीचे और नंदी महराज के सामने तहखाने के उत्तरी और पूरब की चुनी हुई दीवारों को तोड़कर सर्वे करवाया जाए। परिसर में कई स्थानों पर रखे बांस, बल्ली, ईंट व बालू का मलबा हटवाकर भी सर्वे करवाने की मांग की गई है।
प्रतिवादी पक्ष ने जताई आपत्ति
प्रतिवादी पक्ष की ओर से अधिवक्ताओं ने न्यायालय में उपस्थित होकर मौखिक आपत्ति जताई और सोमवार को वजूखाने के स्थान को सील करने पर एतराज किया। उन्होंने कहा, न्यायालय ने बिना उन्हें सुने ही एक पक्षीय आदेश दिया है। इस पर पुनर्विचार कर पहले की स्थिति बहाल की जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह न्याय नहीं होगा।
जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल (डीजीसी) महेंद्र प्रसाद पांडेय की ओर से आवेदन दिया गया कि वजूखाने की पाइप लाइन बाहर शिफ्ट करने के साथ ही शौचालय को हटाया जाए। इसके साथ ही मानव निर्मित तालाब के पानी में सील बंद मछलियों को हटाने की मांग की गई है।