पिछले तीन वित्तीय वर्ष से चुनौतियों का सामना कर रहे प्रदेश के लिए राहत के संकेत हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी, केंद्र से सहायता अनुदान व कर्ज के रूप में करीब 2.57 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है। यह चालू वित्त वर्ष की अपेक्षा 48,977 करोड़ रुपये और 26.28 प्रतिशत ज्यादा है। इसे अर्थव्यवस्था के तेजी से पटरी पर लौटने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में यूपी को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी, केंद्र से सहायता अनुदान व केंद्र से कर्ज व एडवांस के रूप में 2,08,673.77 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया था। 2022-23 में इन्हीं मदों में 2,57,651.23 करोड़ मिलने का अनुमान लगाया गया है। यह चालू वित्त वर्ष की अपेक्षा 48,977.46 करोड़ रुपये ज्यादा है। केंद्रीय करों में जीएसटी, निगम कर, सीमा शुल्क, सेवा शुल्क, सेवा कर आदि मद शामिल हैं।
प्रदेश सरकार ने राज्य के कर व करेत्तर राजस्व में भी अच्छी वृद्धि का अनुमान लगाया है। उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की अपेक्षा कर राजस्व में करीब 34,310 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। हालांकि, करेत्तर राजस्व में कुछ कमी की संभावना व्यक्त की गई है। 2021-22 में करेत्तर राजस्व 25,421.67 करोड़ रहने का अनुमान लगाया गया था। इसे 2022-23 में घटाकर 23,406.48 करोड़ रहने का अनुमान लगाया गया है। इस तरह 2015.19 करोड़ रुपये की कमी हो सकती है।
2022-23 में इस तरह केंद्रीय सहायता मिलने की उम्मीद (करोड़ रुपये में)
मद वित्त वर्ष 2021-23 वित्त वर्ष 2022-23
केंद्रीय करों में राज्य का अंश 119395.30 146498.76
केंद्र सरकार से सहायता अनुदान 87178.47 108652.47
केंद्र सरकार से कर्ज व एडवांस 2100.00 2500.00
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योग 2,08,673.77 2,57,651.23
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राज्य कर में मदवार आय का लक्ष्य
मद 2021-22 2022-23
राज्य वस्तु एवं सेवा कर 73285 88264.31
भू-राजस्व 860 915.38
स्टांप व पंजीयन फीस 25500 29692.12
राज्य उत्पाद शुल्क 41500 49152.46
बिक्री व्यापार कर 31100 36212.74
वाहन कर 9350 10887.11
विद्युत कर तथा शुल्क 4750 5530.88
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योग 1,86,345 2,20,655 (करोड़ में)
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विकास पर 10 हजार करोड़ ज्यादा होगा खर्च
पूंजीगत परिव्यय से अवस्थापना सुविधाओं व आधारभूत सेवाओं का सृजन होता है। प्रदेश सरकार ने 2020-21 में वास्तविक रूप से इस मद में 52,237.11 करोड़ रुपये खर्च किए। यह वित्त वर्ष 2019-20 की अपेक्षा 7760.92 करोड़ रुपये कम है। 2019-20 में 59998.03 करोड़ रुपये वास्तविक रूप से खर्च हुए थे। 2021-22 के बजट में इस मद में 1,13,767.70 करोड़ रुपये की व्यवस्था की थी। 2022-23 में 1,23,919.85 करोड़ रुपये पूंजीगत खर्च के लिए प्रस्तावित है। यह चालू वित्त वर्ष की अपेक्षा 10,152.15 करोड़ रुपये ज्यादा है।
कोविड में बेहतर आर्थिक प्रबंधन, अनुमान से कम राजस्व घाटा
राज्य का राजस्व बचत बताता है कि प्रदेश के पास न सिर्फ राजस्व खर्च पूरा करने के लिए आवश्यक राशि है बल्कि पूंजीगत कार्यों के लिए भी अतिरिक्त धन उपलब्ध है। 2020-21 में राजस्व बचत 27,450.88 करोड़ रहने का अनुमान लगाया गया था। कोविड की भयावहता बढ़ी तो पुनरीक्षित अनुमानों में बचत के ऋणात्मक (-13160.77 करोड़) रहने का अनुमान लगाया गया। मगर, वास्तविक आंकड़ों में बेहतर वित्तीय प्रबंधन का असर सामने आया है। राज्य केवल 2367.13 करोड़ राजस्व घाटे में रहा। 2021-22 में राजस्व बचत 23,210.09 करोड़ रहने का अनुमान लगाया गया था। 2022-23 में राजस्व बचत बढ़कर 43,123.65 करोड़ रहने का अनुमान लगाया गया है।
अर्थव्यवस्था का भी अनुमान से बेहतर प्रदर्शन
2020-21 में प्रदेश की अर्थव्यवस्था (जीएसडीपी) 17,91,263 करोड़ रहने का अनुमान लगाया गया था। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद यह 19,40,527 करोड़ रुपये रही। 2019-20 में यह 16,89,871 करोड़ रुपये थी। 2021-22 में 21,73,390 करोड़ की उम्मीद जताई गई है और 2022-23 में 20,48,234 करोड़।
राजकोषीय घाटा व ऋणग्रस्तता में भी कमी की उम्मीद
2022-23 में राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3.96 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया गया है। यह 2021-22 के बजट में अनुमानित 4.17 प्रतिशत से 0.21 प्रतिशत कम है। इसी तरह ऋणग्रस्तता में भी कमी का अनुमान लगाया गया है। 2022-23 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 32.5 प्रतिशत ऋणभार रहने का अनुमान है। यह 2021-22 के बजट के पुनरीक्षित अनुमान (34.9 प्रतिशत) की अपेक्षा बेहतर है। हालांकि 2021-22 के बजट में ऋणग्रस्तता 28.1 प्रतिशत ही आंकी गई थी।
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