अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम/एमपी एमएलए कोर्ट (गाजीपुर) रामसुध सिंह की अदालत में 21 वर्ष पुराने बहुचर्चित मुहम्मदाबाद कोतवाली के उसरी चट्टी हत्याकांड में गुरुवार को सुनवाई हुई। मिर्जापुर जेल में बंद त्रिभुवन सिंह की कड़ी सुरक्षा के बीच न्यायालय में पेशी हुई। तकनीकी कारणों से अभियोजन की तरफ से गवाह की गवाही नहीं हो सकी।
गवाहों ने गवाही दर्ज करने के लिए एवं अपने जान का खतरा होने के संबंध में अर्जी दी। मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने बांदा जेल में निरुद्ध पिता की सुरक्षा एवं अन्य सुविधाओं की मांग करते हुए अर्जी दी। जिस पर न्यायालय ने आदेश सुरक्षित करते हुए अगली तिथि 21 जून तय कर दी। जेल में बंद बृजेश सिंह की पेशी नहीं हो सकी।
ये है पूरा मामला
मुख्तार अंसारी 15 जुलाई 2001 को अपने घर से मऊ जा रहे थे। उसरी चट्टी पर खड़े ट्रक में सवार बदमाशों ने मुख्तार के काफिले पर स्वचालित हथियारों से गोलीबारी शुरू कर दी। मुख्तार के गनर ने बचाव में फायरिंग शुरू किया। गोलीबारी में मुख्तार का एक गनर मारा गया। वहीं एक हमलावर गोली लगने से घायल हुआ था। मामले में मुख्तार अंसारी ने बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह को नामजद करते अन्य 15 अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था।
विवेचना के बाद पुलिस ने चार लोगों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रेषित किया, जिसमें से दो आरोपी की विचारण के दौरान मौत हो गई। गुरुवार को अदालत में रमेश राम सहित तीन गवाह उपस्थित हुए। उन्होंने गवाही दर्ज करने एवं सुरक्षा की गुहार लगाते हुए अर्जी दी।
वहीं मुख्तार अंसारी के पुत्र ने कहा कि जेल में निरुद्ध पिता मुख्तार अंसारी से जेल में स्थित पीसीओ और जेल के टेलीफोन से बात होती है। बातचीत के दौरान पिता ने बताया है कि जेल के बैरक में वहां के डीएम और एसपी सहित एसओजी टीम के सदस्य हथियारों से लैस होकर आने की कोशिश की थी।
जेल प्रशासन ने हथियार ले जाने से रोका। बावजूद जबरदस्ती बैरक में घुस गए। पुत्र ने अर्जी में कहा कि खाने में जहर मिलाकर जान मारने का खतरा है। जेल में सुरक्षा व्यवस्था एवं अन्य सुविधाओं के लिए आदेश पारित करने की प्रार्थना की है।