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Jhansi News: बिना रोक टोक मोबाइल गेम खेलता रहे, इसलिए मां-बाप को नींद की गोलियां देने लगा किशोर

प्रतीकात्मक तस्वीर

सीपरी बाजार में रहने वाला किशोर दिनभर मोबाइल से चिपका रहता था। 10वीं की बोर्ड परीक्षा नजदीक आ गई तो मां-बाप ने मोबाइल गेम खेलने से मना किया। फिर किशोर रात में उनके खाने में नींद की गोलियां मिलाने लगा। परिजन के सोने के बाद रातभर किशोर मोबाइल गेम खेलता रहता। ये सिर्फ एक मामला नहीं है। गेम खेलने से मना करने पर झांसी में बच्चे परिजनों के साथ मारपीट भी कर रहे हैं। 

हाल ही में लखनऊ में दिल दहलाने वाली वारदात सामने आई है। मोबाइल गेम पबजी खेलने से रोकने पर किशोर ने अपनी मां की गोली मारकर हत्या कर दी। यही नहीं, तीन दिनों तक शव को छिपाए भी रखा। इसके बाद अमर उजाला ने जब झांसी के मनोचिकित्सकों से बातचीत की तो बच्चों के हिंसक व्यवहार और गलत कदम उठाने जैसे कई केस सामने आए। जिला अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. शिकाफा जाफरीन ने बताया कि सीपरी बाजार का किशोर बिना किसी रोक टोक के मोबाइल गेम खेलता रहे, इसलिए परिजनों को नींद की गोलियां देने लगा। उसके मन में ये बात भी नहीं आई कि इन गोलियों से परिजनों को शारीरिक दिक्कतें हो सकती हैं। परिजनों को जब शक हुआ तो उन्होंने बेटे के कमरे की तलाशी ली। जब नींद की गोलियां मिलीं तो भेद खुल गया। अभी उसका इलाज चल रहा है। 

उन्होंने बताया कि महीने में आठ से दस केस उनके पास मोबाइल गेम खेलने से रोकने पर बच्चों के हिंसक व्यवहार शुरू कर देने के आ रहे हैं। कोई तो परिजनों को आत्महत्या करने की धमकी देने लगता है। मनोचिकित्सक डॉ. अर्जित गौरव ने भी बताया कि कोरोना काल शुरू होने के बाद बच्चों में मोबाइल की लत बढ़ी है। पहले ऐसे मामले साल में दो-चार आते थे। अब तो महीने में सात-आठ रोगी वह देख रहे हैं।

ये ओसीडी की ही एक बीमारी है
डॉ. शिकाफा ने बताया कि ये ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिस्ऑर्डर (ओसीडी) की ही एक बीमारी है। इसमें मरीज को जिस चीज से जुड़ाव हो जाता है, तो वो खुद को उससे अलग नहीं कर पाता। यदि ऐसे रोगियों को मोबाइल गेम खेलना पसंद आ जाता है तो उन्हें उसी में आनंद मिलता है। उन्हें मोबाइल गेम का नशा हो जाता है। बाकी, सब चीजें यहां तक की परिजनों की मौजूदगी भी उनके लिए शून्य हो जाती है। ऐसे मरीज किसी से नहीं मिलते हैं। कोई बात साझा नहीं करते। आगे चलकर कई अन्य प्रकार के मानसिक रोग और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।

परिजन इन बातों का रखें ध्यान
– निगाह रखें कि बच्चा मोबाइल पर पढ़ाई कर रहा या गेम खेल रहा
– गेम का लती हो गया तो उसका ध्यान दूसरी तरफ लगाएं
– बच्चों को पीटे नहीं, उन्हें समझाएं कि ये लत बीमारी बन चुकी है
– बच्चा बहुत ज्यादा लती हो जाए, बात न सुने तो इलाज कराएं

ये भी मामले सामने आए

केस-1
गेम खेलने से रोका तो कलाई काट लूंगा
परिजनों द्वारा मोबाइल गेम खेलने से रोकने पर बड़ाबाजार निवासी एक बच्चे ने कलाई काटने की धमकी दे दी। वह दिनभर खुद को कमरे में कैद रखता था। किसी तरह परिजन उसे जिला अस्पताल की मनोचिकित्सक के पास लेकर आए। काउंसलिंग और दवाएं देने के बाद कुछ सुधार हुआ है।

केस-2
नस काट चुका है, अब मां-बाप को पीटने भी लगा
शहर के एक किशोर मोबाइल गेम खेलने से रोके जाने पर नस काट चुका है। अब वह मां-बाप और छोटे भाई के साथ मारपीट भी करता है। उसकी उम्र सिर्फ 15 साल है। हाल ही में मनोचिकित्सक ने उसकी काउंसलिंग की। वह कहने लगा कि मोबाइल गेम खेलने को नहीं मिला तो जिंदा नहीं रह पाएगा।

केस-3
इंटरनेट पैक नहीं डलवाया तो घर छोड़कर चला गया
झांसी का एक किशोर सिर्फ इस बात पर घर छोड़कर चला गया कि पिता ने उसके मोबाइल फोन पर इंटरनेट पैक नहीं डलवाया। परिजन कहते थे कि परीक्षा के दौरान पढ़ाई करो। मगर वो रात भर मोबाइल गेम खेलता रहता था। बाद में पुलिस की मदद से उसे बरामद किया जा सका। अभी उसका इलाज चल रहा है।

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