जांजगीर। सुरंग की राह में एक बड़ा चट्टान आ गया है। जिसके चलते सुरंग बनाने में परेशानी आ रही है। मात्र सात फीट की दूरी पर है राहुल। हैंड ड्रिलिंग मशीन से चट्टान को तोड़ा—काटा जा रहा है। आसपास से मलबा हटाने के लिए कलेक्टर ने इससे बड़ी मशीन मंगाई है। ज्यादा बड़ी मशीन का उपयोग यहां करने से आसपास कंपन की आशंका बढ़ जाएगी, जो कि राहुल के लिए खतरनाक बन सकता है। इसलिए सूझबूझ और एक्सपर्ट के बीच चर्चा करके ही कोई फैसला लिया जा रहा है।
10 साल के राहुल को बचाने रेस्क्यू दल की ओर से खोदाई की जा रही है। वहीं बीच में बड़ा पत्थर आ जाने से मशीन से काम लेना आसान नहीं रह गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां ज्यादा बड़ी मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। अब हाथ से ही सुरंग बनाने का काम किया जा रहा है। वहीं बालक राहुल भी गजब की आत्मशक्ति दिखा रहा है। वह पिछले 55 घंटे से भी ज्यादा समय से फल व जूस के सहारे आठ इंच संकरे बोर में फंसा हुआ है। सुबह ही उसने केला खाकर छिलके को डिब्बे में वापस भेज दिया। साथ ही बोर में भर रहे पानी को निकालने में रेस्क्यू टीम की सहायता की है।
खास यह भी है कि सामान्य व्यक्ति कमरे में भी बिना पंखे के एक घंटे तक नहीं रह सकता लेकिन, राहुल तीन दिनों से बोर के अंदर फंसा हुआ है, जहां हाथ—पैर भी सीधा करना भी संभव नहीं है। घुप अंधेरे में अपनों से दूर रहकर वह जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है। उसकी मां व दादी की करुण पुकार भी बालक को हिम्मत बंधाने में सहायक साबित हो रही है।
जी—जान एक कर जुटे सलामती के लिए
रेस्क्यू टीम के सदस्यों ने भी राहुल को बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। सभी रतजगा कर एक ही प्रयास में जुटे हैं कि कैसे भी करके राहुल को सकुशल बाहर निकालना है। स्थिति यह है कि कई आरक्षकों ने पिछले दो से तीन दिन तक अपनी वर्दी तक नहीं बदली है। इसके साथ ही कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला, पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के जवान हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी पल—पल की जानकारी ले रहे हैं और कलेक्टर समेत रेस्क्यू टीम व राहुल के स्वजन से भी बीच—बीच में बात कर रहे हैं।