संसद के मानसून सत्र में विद्युत संशोधन विधेयक पारित कराने की केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह की घोषणा का बिजली इंजीनियरों ने कड़ा विरोध किया है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने कहा है कि विधेयक पारित कराने की एकतरफा कार्रवाई का पुरजोर विरोध किया जाएगा। अगर विधेयक पारित कराया जाता है तो देश भर के बिजली कर्मचारी व अभियंता राष्ट्रव्यापी हड़ताल के लिए बाध्य होंगे।
एआईपीईएफ के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने शुक्रवार को यहां कहा कि बीते साल किसान आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा को भेजे गए पत्र में यह लिखित आश्वासन दिया था कि विद्युत संशोधन विधेयक सभी हितधारकों को बिना विश्वास में लिए और बिना चर्चा के संसद में नहीं रखा जाएगा। बिजली के क्षेत्र में सबसे बड़े हितधारक बिजली के उपभोक्ता और कर्मचारी हैं। लेकिन केंद्र सरकार ने आज तक न ही उपभोक्ता संगठनों और न ही बिजली कर्मचारियों के किसी भी संगठन से कोई वार्ता की है। अगर बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना इस विधेयक को संसद के मानसून सत्र में रखा जाता है तो यह सरकार के लिखित आश्वासन का खुला उल्लंघन होगा।
दुबे ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के बयान को भ्रामक और जनता के साथ धोखा बताते हुए कहा कि विधेयक के जरिए उपभोक्ताओं को वितरण कंपनी के चयन का विकल्प देने की बात पूरी तरह गलत है। दरअसल, इस संशोधन के जरिए केंद्र सरकार बिजली वितरण का लाइसेंस समाप्त कर निजी घरानों को सरकारी बिजली वितरण के नेटवर्क के जरिए बिजली आपूर्ति करने की सुविधा देने जा रही है।
इससे निजी घरानों को बिजली के सरकारी निगमों के अरबों-खरबों रुपये खर्च करके तैयार किए ट्रांसमिशन और वितरण के नेटवर्क के इस्तेमाल की खुली छूट मिल जाएगी। गौरतलब है कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने बृहस्पतिवार को दिल्ली में फिक्की के कार्यक्रम में संसद के मानसून सत्र में विधेयक पेश और पारित कराने की बात कही थी।