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UP News : यूपी में बच्चों को एक ही छत के नीचे मिलेगी विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधा, आसपास के राज्यों को भी मिलेगा लाभ

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प्रदेश में बच्चों के उपचार की विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधा शुरू करने की तैयारी है। इसके लिए एसजीपीजीआई में पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर खोला जाएगा। इसमें एक ही छत के नीचे बाल रोग से जुड़ी 24 सुपर स्पेशियलिटी सुविधा मिलेगी। यहां उपचार के साथ  अलग- अलग विधा के बाल रोग विशेषज्ञ तैयार किए जा सकेंगे। इससे उत्तर प्रदेश के साथ बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के बच्चों को फायदा मिलेगा। एसजीपीजीआई की टीम विभिन्न देशों में चल रहे पीडियाट्रिक सेंटर की विशेषता का अध्ययन करते अपने सेंटर की कर्ययोजना तैयार कर रही है। इस सेंटर का निर्माण करीब पांच सौ करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा।

प्रदेश में बच्चों के उपचार के लिए एसजीपीजीआई, केजीएमयू व लोहिया संस्थान में अलग- अलग विभाग हैं। नोएडा में बाल चिकित्सालय एवं स्नातकोत्तर शैक्षणिक संस्थान भी शुरू हो गया है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले से चल रहे सेंटरों की अपेक्षा पीडियाट्रिक  एडवांस सेंटर शुरू करने की बात कही, जिसमें बच्चों की जन्मजात सहित अन्य बीमारियों के उपचार तो हो ही, साथ ही उन बीमारियों पर अध्ययन किया जा सके। यह भी निर्देश दिया था कि यह सेंटर ऐसा होना चाहिए, जो देश, दुनिया के लिए मॉडल हो। इसकी कार्ययोजना तैयार करने की जिम्मेदारी एसजीपीजीआई को दी गई। एसजीपीजीआई की टीम ने विभिन्न देशों में चल रहे पीडियाट्रिक सेंटरों की सुविधाओं का अध्ययन करने के बाद वहां की उत्कृष्ट सेवाओं को जोड़कर कार्ययोजना तैयार की। 

पीडियाट्रिक एसवांस सेंटर के लिए जमीन तलाशी गई। काफी मंथन के बाद संस्थान परिसर में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के नवनिर्मित भवन के बगल में खाली पड़ी जमीन को चुना गया है। यहां दो फेज में अस्पताल बनेगा। पहले फेज में करीब 20 हजार वर्गमीटर में छह मंजिला भवन बनेगा। इसमें न्यूनेटोलॉजी, पीडियाट्रिक क्रिटिकल केयर, पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, यूरोलॉजी, हेमोटोलॉजी, आप्थमोलॉजी सहित 24 विभाग के वार्ड, ऑपरेशन थिएटर, जांच केंद्र आदि होंगे। इससे बच्चों के उपचार की प्रतीक्षा खत्म होगी। दिल, किडनी, लिवर, ब्रेन से जुड़ी जन्मजात विकृतिं के उपचार के लिए दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में नहीं जाना पड़ेगा।।

किशोर- किशोरियों के लिए अलग अस्पताल
दूसरे फेज में 12 से 18 साल की उम्र वाले किशोर- किशोरियों से जुड़ी बीमारियों के उपचार के लिए केंद्र बनेगा। यह पूरी तरह से मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा होगा। उम्र बढ़ने के साथ किशोर- किशोरियों में होने वाले विभिन्न हार्मोनल बदलाव की समस्या का निस्तारण किया जाएगा। किशोरों के स्ट्रेस मैनेजमेंट, साइको सेक्सुअल डिस्आर्डर, साइकियाट्री एंड बिहैवियर एडिक्शन, एक्शिन साइकियाट्री, किशोरियों के लिए गाइनी- साइकियाट्री क्लीनिक जैसी सुविधाएं दी जाएंगी।

तैयार होंगे चिकित्सा विशेषज्ञ
इस सेंटर के शुरू होने से संबंधित सुपर स्पेशियलिटी विभाग में पढाई शुरू हो सकेगी। डिग्री एवं डिप्लोमा कोर्स शुरू होने से संबंधित क्षेत्र में विशेषज्ञ तैयार होंगे। नेशनल मेडिकल काउंसिल ने 24 विभागों में डीएम व एमएसी की दो-दो सीटों में मान्यता दी तो हर साल बच्चों के उपचार के लिए 48 विशेषज्ञ तैयार होंगे। इससे इन विधाओं से जुड़ी क्लीनिक भविष्य में मेडिकल कॉलेजों में भी शुरू की जा सकेगी।

क्या कहते हैं जिम्मेदार
पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर को विश्वस्तरीय बनाने का प्रयास किया जा रहा है। कोशिश है कि विकसित देशों में जिस तरह से बच्चों के उपचार की सुविधा है, वह उत्तर प्रदेश में भी मिल सके। परियोजना तैयार है। अगले माह शिलान्यास की तैयारी है। इसे दिसंबर तक तैयार करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। यहां बच्चों व किशोरों का उपचार ही नहीं, नए डॉक्टर तैयार किए जाएंगे। संबंधित विधाओं में विशेषज्ञों की कमी दूर होगी।
– प्रो आरकेधीमान, निदेशक एसजीपीजीआई

पीडियाट्रिक एडवांस सेंटर को सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैश किया जाएगा। यह प्रदेश ही नहीं देश का बेहतरीन सेंटर होगा। इससे यूपी के साथ पड़ोसी राज्यों को भी फायदा मिलेगा। कई विभाग मिलकर बीमारी के नियंत्रण के लिए नया शोध कर सकें, इसके लिए एसजीपीजीआई परिसर में यह सेंटर खोलने का फैसला लिया गया है। यहां से तैयार होने वाले विशेषज्ञ भविष्य में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में सेवाएं दे सकेंगे। इससे देशभर में बाल रोग विशेषज्ञों की कमी दूर होगी।
– आलोक कुमार, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा