राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021 के लिए शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल पर संसदीय स्थायी समिति को विस्तार (एक्सटेंशन) दिया है जिसमें महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर 21 करने करने का प्रस्ताव है।
शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे का राज्यसभा कार्यकाल हाल ही में समाप्त हो गया है। सहस्त्रबुद्धे अब उच्च सदन के सदस्य नहीं हैं, समिति के लिए एक नए अध्यक्ष की नियुक्ति अभी भी लंबित है।
संसदीय बुलेटिन में कहा गया कि इसे ध्यान में रखते हुए राज्यसभा के सभापति नायडू ने शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति को 24 जुलाई, 2022 तक के लिए ‘बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021’ को एक्सटेंशन दिया है।
इससे पहले बजट सत्र के दौरान राज्यसभा के सभापति ने 24 जून 2022 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समिति को एक्सटेंशन दिया था। संसदीय पैनल ने पिछले संसद के शीतकालीन सत्र में विवाह विधेयक को संदर्भित किया था।
‘बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक 2021’ में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है। 31 सदस्यीय पैनल में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (एआईटीएमसी) की एकमात्र महिला राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव हैं। टीएमसी की सुष्मिता देव और शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी समेत कई सांसदों ने इस पर आपत्ति जताई थी।
भारत के संविधान के तहत राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (विशेषकर समानता का अधिकार और शोषण के खिलाफ अधिकार) लैंगिक समानता की गारंटी देते हैं। प्रस्तावित कानून के मुताबिक यह उसी के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की दिशा में एक मजबूत उपाय है क्योंकि यह महिलाओं को पुरुषों के बराबरी पर लाएगा।