22 साल पहले 16 वर्षीय किशोरी से दुष्कर्म के 16 वर्षीय आरोपी (अब 38 वर्षीय) को किशोर न्याय बोर्ड ने बरी किया है। बोर्ड के समक्ष रखे गए साक्ष्यों व गवाही में हुई जिरह के दौरान साबित हुआ कि मुख्य आरोपी के सहयोगी से पीड़ित परिवार की जमीन को लेकर दुश्मनी थी। इसी दुश्मनी में यह मुकदमा दर्ज कराया गया था। मुकदमे के बाद उन दोनों पक्षों में समझौता हो गया। इस तथ्य को आधार मानते हुए बोर्ड ने मुख्य आरोपी को बरी कर दिया है। बता दें कि समझौते के आधार पर मुख्य आरोपी का सहयोगी पहले ही बरी हो चुका है। घटना अतरौली क्षेत्र के एक गांव की है।
बचाव पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता जीसी सिन्हा व केके गौतम ने बताया कि घटना 26 अगस्त 2000 की दर्शाते हुए थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिसमें 16 वर्षीय विधि विरुद्ध आरोपी व उसके बालिग सहयोगी योगेंद्र पर आरोप लगाया गया था कि 16 वर्षीय किशोरी जब खेत पर गोबर डालने गई थी, तभी दोनों उसे खींचकर खेत में ले गए, जहां नाबालिग ने दुष्कर्म किया और योगेंद्र निगरानी करता रहा। बाद में घर पहुंची किशोरी ने वाकया बताया तो मुकदमा दर्ज कराया गया। पुलिस ने दोनों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। इस मामले में नाबालिग आरोपी लगभग साढ़े चार माह जेल में भी रहा। बाद में योगेंद्र पूर्व में सत्र न्यायालय से समझौते के आधार पर बरी हो चुका है।
दोनों अधिवक्ताओं के अनुसार, नाबालिग के खिलाफ किशोरी के पिता, किशोरी व उसके चाचा ने गवाही दी। जिरह में किशोरी व उसके पिता के बयानों में यह उजागर हुआ कि इस परिवार की योगेंद्र से तीन बीघा जमीन को लेकर रंजिश थी। योगेंद्र व नाबालिग आरोपी अच्छे दोस्त हैं। इसी रंजिश में दोनों को नामजद कर मुकदमा दर्ज कराया गया था। बयान में खुद किशोरी ने यह बात स्वीकारी कि परिवार में यह कहा गया था कि इस तरह मुकदमा दर्ज कराने से जमीन का विवाद दबाव बनाकर निपटाया जा सकता है। वहीं, किशोरी व उसके पिता के बयानों में विरोधाभास था। इसी तथ्य को आधार मानकर किशोर न्याय बोर्ड ने मुख्य आरोपी को बरी कर दिया है। अधिवक्ताओं के अनुसार, अब उसकी उम्र 38 वर्ष है और दो बच्चों का पिता है।