उत्तर प्रदेश सरकार मदरसा में टीचर्स की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इसके तहत इन शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने के लिए यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को पास करना अनिवार्य कर दिया जाएगा। मदरसों में नॉन-इस्लामिक सब्जेक्टस जैसे कि विज्ञान और सोशल साइंस की शिक्षा को बढ़ावा देना इस कदम का लक्ष्य है। साथ ही इससे अध्यापकों के चयन में पारदर्शिता आने की बात भी कही जा रही है।
फिलहाल मदरसों के मैनेजमेंट की ओर से उन टीचर्स की नियुक्ति होती है, जिनके पास ग्रेजुएशन और BEd की डिग्री हो। प्रस्ताव के मुताबिक, विभाग की ओर से ‘MTET’ का आयोजन होगा। यह TET से अलग होगा, जो कि बेसिक एजुकेशन बोर्ड ऑफ स्टेट की ओर से कराया जाता है।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2018 में मदरसों में NCERT सिलेबस लागू किया था। अब यह पाया गया है कि विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों की पढ़ाई-लिखाई संतोषजनक नहीं है। बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि जहां मदरसा प्रबंधन समितियां अभी भी शिक्षकों की नियुक्ति का अधिकार रखती हैं, अगर वे टीईटी योग्य नहीं हैं तो मदरसों की वित्तीय सहायता वापस ले ली जाएगी। राज्य में लगभग 560 सहायता प्राप्त मदरसे हैं जिनमें 8,400 शिक्षक हैं।
अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा, “हम नया नियम लाने की योजना बना रहे हैं। प्रस्ताव सरकार को विचार के लिए भेजा जा चुका है। टीईटी के जरिए टीचर्स की नियुक्ति प्रणाली केंद्रीकृत होगी और अधिक पारदर्शिता आएगी। वर्तमान में मुहैया कराई जा रही इस्लामी शिक्षा के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिए हाल ही में मदरसा ई-लर्निंग ऐप भी लॉन्च हुआ है।