Saturday , July 27 2024

जानें आज खरना का महत्व और पूजन विधि

नहाय-खाय के साथ शुक्रवार को लोक आस्था के महापर्व की शुरुआत हो गई। शुक्रवार को महिलाओं ने व्रत रखा और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाया। अरवा चावल, चने की दाल, कद्दू, लौकी की सब्जी लहसुन प्याज रहित तैयार की गई। व्रती लोगों ने परिवार के साथ भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया। आज शनिवार को खरना पूजन के साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा। रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य और सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर महापर्व की समाप्ति होगी। मान्यता है कि जो महिलाएं छठ के नियमों का पालन करती हैं, छठी माता उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। छठ पूजा में सूर्य देव का पूजन किया जाता है।
आचार्य माधवानंद (माधव जी) कहते हैं कि शनिवार को सूर्यास्त के बाद खरना कर सकते हैं। शनिवार को सुबह 10 बजकर 28 मिनट में कार्तिक शुक्ल पंचमी चढ़ रही है। उस दिन शाम 5 बजकर 25 मिनट के बाद पटना में सूर्यास्त हो रहा है। इसके बाद खरना किया जा सकता है। शाम 5 बजकर 38 मिनट से शाम 7 बजकर 15 मिनट तक लाभ का चौघरिया होने के कारण खरना के लिए अमृत कारक योग बन रहा है। इस मुहूर्त में खरना करना लाभदायी होगा। इस बीच व्रती पूजन के बाद चांद को अर्घ्य देंगी। आज महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रहेंगी। शाम को खरना पूजन करेंगी। चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद ग्रहण करेंगी। ठेकुआ का प्रसाद कुल देवता और छठ मइया को अर्पित किया जाएगा। घरों में छठ मइया का अखंड दीप जलाकर मनौती की जाएगी। सूर्य षष्ठी पर छठ मइया की पूजा की जाएगी। घाटों पर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ महापर्व में महिलाएं व घर का हर सदस्य चार दिन तक लहसुन, प्याज नहीं खाता है। पूरा परिवार सात्विक भोजन ग्रहण करता है और पूजा अर्चना में शामिल होता है।