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नवंबर का महीना भी रहेगा गर्म, सर्दियों के लिए अभी थोडा और समय बाकी

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने भविष्यवाणी की है कि नवंबर का महीना गर्म ही रहने वला है। इसका मतलब यह हुआ कि लोगों को सर्दियों के लिए अभी थोड़ और इंतजार करना पड़ सकता है। आईएमडी ने नवंबर में देश के अधिकांश हिस्सों में रात का तापमान सामान्य से ऊपर रहने की भी भविष्यवाणी की है। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने ये बातें कही हैं। मौसम विभाग ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बड़े हिस्सों में भी दिन का तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। पूर्वानुमानों ने इस महीने में शीतलहर की स्थिति से इनकार किया है। मृत्युंजय महापात्र ने कहा, “देश के कुछ क्षेत्रों में बादल छा सकते हैं क्योंकि न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। इसका मतलब यह होगा कि नवंबर के दौरान शीतलहर की स्थिति नहीं बनने वली है।” उत्तर भारत में आमतौर पर नवंबर के मध्य में सर्दियों की स्थिति देखने को मिलती है। यहं तापमान गिरना शुरू हो जाता है। रातें सर्द हो जाती हैं। नवंबर महीने में ही शीतलहर देखने को मिलती है। आईएमडी निदेशक ने कहा कि पूर्वोत्तर मॉनसून 29 अक्टूबर को तमिलनाडु और आसपास के क्षेत्रों में स्थापित हुआ है। महापात्रा ने कहा कि दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी में भी देरी हुई है। आईएमडी के निदेशक ने यह भी कहा कि मौसम कार्यालय ने 13 अक्टूबर को चक्रवात सितरंग के बारे में विस्तारित रेंज आउटलुक जारी किया था। उन्होंने कहा कि मौसम कार्यालय ने भी चार दिन पहले बांग्लादेश में चक्रवात सितरंग के पहुंचने की भविष्यवाणी की थी। दिल्ली की वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार, अब भी बहुत खराब श्रेणी में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में मौसम की अपेक्षाकृत बेहतर परिस्थितियों के कारण बुधवार मामूली सुधार हुआ और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने कहा कि ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (जीआरएपी) के चौथे चरण के तहत प्रतिबंध लागू करने की तत्काल आवश्यकता नहीं है। जीआरएपी के चौथे चरण के तहत प्रतिबंधों में ट्रकों के प्रवेश पर रोक और शिक्षण संस्थानों को बंद करना शामिल होता है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाली एक पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ ने कहा कि अनुकूल परिवहन-स्तरीय हवा की गति के कारण दिल्ली के पीएम2.5 प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी बढ़कर 32 प्रतिशत हो गई। परिवहन-स्तर की हवाएं वातावरण की सबसे निचली दो परतों – क्षोभमंडल और समताप मंडल में चलती हैं और खेतों में पराली जलाने से निकलने वाले धुएं को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लाती हैं। मौसम विज्ञान के विशेषज्ञों ने कहा कि मध्यम रूप से अनुकूल सतह-स्तरीय हवा की गति (8 किमी प्रतिघंटे तक) ने प्रदूषकों को तेजी से जमा नहीं होने दिया। दिल्ली का 24 घंटे का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 376 रहा, जो मंगलवार को 424 था, जो पिछले साल 26 दिसंबर से सबसे खराब था जब यह 459 था।