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बीजेपी की तीसरी सूची में पूर्वांचल समेत बलिया से रामइकबाल को भी मिल गया टिकट

maan-ki-baat-56ad9c7f579fc_exlstभारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 67 प्रत्याशियों की तीसरी सूची भी जारी कर दी है. पार्टी अब तक 403 विधानसभा सीटों में से 371 प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है.
भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 67 प्रत्याशियों की तीसरी सूची भी जारी कर दी है. पार्टी अब तक 403 विधानसभा सीटों में से 371 प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है. इससे पहले भाजपा ने पहली सूची में 149 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया था, जबकि दूसरी सूची में 155 प्रत्याशी उतारे थे.
इसमें बसपा छोड़कर आए स्वमी प्रसाद मौर्या को पड़रौना से टिकट दिया गया है, वहीं लखनऊ की मोहनलालगंज सीट से आरके चौधरी को उतारा गया है.
ये रही पूरी सूची
मोहनलालगंज से आरके चौधरी
बछरावां से राम नरेश रावत
सुल्तानपुर से सूर्यभान सिंह
बबेरू से चंद्रपाल कुशवाहा
मानिकपुर से आरके पटेल
मेजा से नीलम करवरिया
रामनगर से शरद अवस्थी
फरेंदा से बजरंग बहादुर
नौतनवा से समीर त्रिपाठी
सिसवा से प्रेमसागर पटेल
महाराजगंज से जयमंगल कनौजिया
पनियरा से ज्ञानेंद्र सिंह
कैंपियरगंज से फतेह बहादुर
पिपराइच से महेंद्र पाल सिंह सैथवार
गोरखपुर ग्रामीण से बिपिन सिंह
सहजनवा से शीतल पांडेय
चौरीचौरा से संगीता यादव
बांसगांव से विमलेश पासवान
चिल्लूपार से राजेश त्रिपाठी
खड्डा से जटाशंकर त्रिपाठी
पड़रौना से स्वामी प्रसाद मौर्या
तमकुहीराज से जगदीश मिश्रा
कुशीनगर से रजनीकांत मणि
हाटा से पवन केडिया
रुद्रपुर से जयप्रकाश निषाद
पथरदेवा से सूर्य प्रताप शाही
रामपुर कारखाना से कमलेश शुक्ला
भाटपार रानी से जयनाथ कुशवाहा
सलेमपुर से काली प्रसाद
बरहज से सुरेश तिवारी
अतरौलिया से कन्हैयालाल निषाद
गोपालपुर से कृष्णपाल
सगड़ी से गोपाल निषाद
मुबारकपुर से लक्ष्मण मौर्य
आजमगढ़ से अखिलेश मिश्र
निजामाबाद से विनोद राय
फूलपुर पवई से अरुण यादव
दीदारगंज से कृष्णमुरारी विश्वकर्मा
लालगंज से दरोगा सरोज
मधुबन से दारा सिंह चौहान
घोसी से फागू सिंह चौहान
मुहम्मदाबाद गोहना से श्रीराम सोनकर
बेलथरारोड से धनंजय कनौजिया
रसड़ा से राम इकबाल सिंह
बदलापुर से रमेश मिश्रा
जौनपुर से गिरीश यादव
मल्हनी से सतीश सिंह
मछलीशहर से अनीता रावत
जफराबाद से डॉ हरेंद्र सिंह
केराकत से दिनेश चौधरी
सैदपुर से विद्यासागर सोनकर
गाजीपुर से संगीता बलवंत बिंद
जंगीपुर से रामनरेश कुशवाहा
मोहम्मदाबाद से अलका राय
जमानियां से सुनीता परिक्षित सिंह
चकिया से शारदा प्रसाद
शिवपुर से अनिल राजभर
रोहनियां से सुरेंद्र नारायण औढ़े
वाराणसी उत्तर से रविंद्र जायसवाल
वाराणसी दक्षिण से नीलकंठ तिवारी
वाराणसी कैंट से सौरभ श्रीवास्तव
औराई से दीनानाथ भास्कर
मिर्जापुर से रत्नाकर मिश्रा
मझवां से सुचिस्मिता मौर्य
चुनार से अनुराग सिंह
राबट्र्सगंज से भूपेश चौबे
घोरावल से अनिल मौर्य
उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी से 8 मार्च के बीच सात चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के अखिलेश धड़े के बीच गठबंध के बावजूद बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद जिस तरह से बीजेपी को दिल्ली और बिहार में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है, वैसे में उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. मुख्यमंत्री चेहरे को सामने न लाकर एक बार फिर बीजेपी ने पीएम मोदी के चेहरे पर दांव खेला है. इसका कितना फायदा उसे इन चुनावों में मिलेगा वह 11 मार्च को सामने आ ही जाएगा.
इस बार उत्तर प्रदेश चुनावों में समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के अलावा प्रदेश की कानून व्यवस्था, सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी और विकास का मुद्दा प्रमुख रहने वाला है. जहां एक ओर बीजेपी और बसपा प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर अखिलेश सरकार को घेर रही हैं, वहीँ विपक्ष नोटबंदी के फैसले को भी चुनावी मुद्दा बना रहा है.
यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं. 2012 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 224 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. पिछले चुनावों में बसपा को 80, बीजेपी को 47, कांग्रेस को 28, रालोद को 9 और अन्य को 24 सीटें मिलीं थीं.

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन से मुस्लिम मतदाताओं को लेकर बहुजन समाज पार्टी बेचैन दिखाई रही है. पार्टी की लगातार कोशिश है कि जनता के बीच ये मैसेज पहुंचाया जाए कि अल्पसंख्यकों की एकमात्र हितैशी पार्टी सिर्फ बसपा ही है.
दरअसल सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने से राजनीतिक विश्लेषक का मानना है कि मुस्लिम मतदाताओं का रुझान एक बार फिर सपा की तरफ लौट सकता है. कारण ये था कि मुजफ्फरनगर दंगों, अखलाक कांड, कैराना पलायन सहित तमाम ऐसी घटनाएं प्रदेश में पिछले साढ़े चार साल में हुईं, जिन्हें सपा सरकार बेहतर ढंग से नहीं संभाल सकी.
अब पश्चिम उत्तर प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर सपा ने रणनीति के तहत कांग्रेस के प्रत्याशियों को जगह दे दी है. कांग्रेस ने पिछले उपचुनाव में मुस्लिम बाहुल्य देवबंद जैसी अहम सीट सपा से छीन ली थी. इसलिए माना जा रहा है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन कर सकती है. और यही बसपा की चिंता का अहम कारण है.
दरअसल तमाम मुश्किलों और कई विश्वस्त नेताओं की बगावत के बाद भी बसपा सुप्रीमो सियासत के मैदान में पूरे तेवर से खड़ी नजर आ रही हैं. पांच साल पहले सपा के हाथों सत्ता गंवाने के बाद और फिर 2014 के लोकसभा चुनावों में बुरी हार झेलने के बाद मायावती ने तेजी से रणनीति में बदलाव किया और बसपा ने अपनी सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की नीति में मुस्लिमों की हिस्सेदारी बढ़ा दी.
बसपा ने 2007 में जहां कुल प्रत्याशियों मे 61 मुस्लिम प्रत्याशियों को जगह दी थी, वहीं 2012 में उसने इसमें इजाफा किया और 85 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे. गौर करने वाली बात ये है कि मुस्लिम प्रत्याशियों की सीट से बसपा को अच्छा रुझान देखने को मिला, जिसे देखते हुए बसपा ने इस बार 97 मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.
लेकिन अब बसपा में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन को देखते हुए मुस्लिम मतदाताओं को संभालने की बेचैनी देखी जा रही है.
ये बेचैनी खुद मायावती के बयानों में लगातार आती दिख रही है. जब सपा कांग्रेस के बीच गठबंधन की महज चर्चाएं चल रही थीं और सपा में वर्चस्व की जंग चरम पर थी तो कई प्रेस कांफ्रेंस में मायावती ने इस गठबंधन पर सवाल उठाते हुए इसे बीजेपी की राजनीति तक करार दे दिया था.
मायावती के अनुसार ये गठबंधन अल्पसंख्यक वोटों को बांटने की कोशिश है और बीजेपी के इशारे पर सपा के रामगोपाल इस गठबंधन की कोशिशें कर रहे हैं. अगर कांग्रेस और सपा में गठबंधन होता है तो सीधे-सीधे फायदा बीजेपी को हो जाएगा. यही नहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन होने के बाद भी बसपा सुप्रीमो की तरफ से बयान आया कि मुस्लिम मतदाताओं को संभलकर चलने की जरूरत है. उन्हें किसी भी हाल में बंटना नहीं है. सिर्फ बसपा ही अकेली ऐसी पार्टी है, जो अल्पसंख्यकों के बारे में सोचती है.
2007 में बसपा
114 ओबीसी, 61 मुस्लिम, 89 दलित और 139 सवर्ण प्रत्याशी उतारे थे.
सवर्ण में 86 ब्राह्मण, 38 क्षत्रिय और 15 अन्य प्रत्याशी.
2012 में बसपा
113 ओबीसी, 85 मुस्लिम, 88 दलित और 117 सवर्ण प्रत्याशी उतारे.
सवर्ण में 74 ब्राह्मण, 33 क्षत्रिय और 10 अन्य प्रत्याशी.
2017 में बसपा
106 ओबीसी, 97 मुस्लिम, 87 दलित और 113 सवर्ण प्रत्याशी उतारे.
सवर्ण में 66 ब्राह्मण, 36 क्षत्रिय और 11 अन्य.