लखनऊ : आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कैंसर की जांच व इलाज को बेहतर बनाने के लिए बने राज्यस्तरीय स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप ने शनिवार को मंथन किया। मंथन में कैंसर केयर सेवा को जमीनी स्तर से ट्रीटमेंट लेवल तक मजबूत करने के लिए कई अहम सुझाव आए। प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की अध्यक्षता और स्टेट एजेंसी फॉर कम्प्रेहेंसिव हेल्थ एंड इंटिग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) की सीईओ संगीता सिंह के नेतृत्व में बने इस स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप के सदस्य साचीज के दफ्तर में एकत्रित हुए थे। कार्यक्रम को टेक्निकल पार्टनर एक्सेस हेल्थ, केजीएमयू और रोश इण्डिया हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट ने सहयोग प्रदान किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में साचीज की सीईओ ने कहा कि कैंसर की जाँच, इलाज व देखभाल से जुड़े अस्पतालों के डाक्टरों के क्षमतावर्धन और मानक को मजबूत बनाने पर लगातार काम हो रहा है। इस वक्त तीन विषयगत क्षेत्र जहां गैप दिख रहा है और समाधान खोजने की कोशिश हो रही है, उस पर साचीज का फोकस है। पहला- प्रारंभिक जांच रेफरल और निदान, दूसरा- पीएमजेएवाई के तहत निदान और उपचार सुविधाओं को मजबूत करना और तीसरा-फंड स्टैकिंग या राज्य में कैंसर देखभाल के लिए वित्त और उपलब्ध धन के विकास को समझना। उन्होंने कहा कि आज हम यहां चुनौतियों और समस्याओं पर चर्चा करने के लिए नहीं एकत्रित हुए हैं बल्कि कुछ समाधानों और आगे बढ़ने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए आए हैं। इस चर्चा के तहत आने वाले कई अन्य प्रासंगिक क्षेत्र हैं जैसे कि एचडब्ल्यूसी और जिला अस्पताल क्या भूमिका निभा सकते हैं। मेडिकल कॉलेज क्या भूमिका निभा सकते हैं। निजी क्षेत्र क्या कर सकता है क्योंकि उनके पास सेवा करने की बहुत क्षमता है।
मंथन में केजीएमयू की रेडिएशन कैंसर विशेषज्ञ प्रोफेसर कीर्ति श्रीवास्तव, एंडोक्राइन एंड ब्रेस्ट डिजीज के प्रोफ़ेसर एंड हेड डॉ. आनंद मिश्रा ने कैंसर केयर के विभिन्न पहलुओं पर बात की। इस मौके पर एक्सेस हेल्थ इंटरनेशनल की नेशनल डायरेक्टर हिमानी सेठी और स्टेट डायरेक्टर मनीषा त्रिपाठी ने कहा कि कैंसर ऐसी बीमारी है जिस पर बड़ी धनराशि खर्च होती है, इसलिए कोशिश यही है कि कमजोर वर्ग को अपनी जेब से कुछ भी खर्च न करना पड़े और उनको इलाज भी आसानी से मिल सके। कार्यक्रम के अंत में सवाल-जवाब के लिए खुला सत्र आयोजित किया गया। इस मौके पर केजीएमयू के डीन डॉ एके त्रिपाठी समेत प्रदेश के कई जिलों के डाक्टर मौजूद थे।