कैदियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें देने के लिए जेलों के डॉक्टर व पैरा मेडिकल स्टाफ के दूसरे बैच की ट्रेनिंग
लखनऊ : प्रदेश की जेलों में निरुद्ध कैदियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर वृहस्पतिवार को यहाँ एक निजी होटल में प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गयी। यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के नेतृत्व में यूपीएनपी प्लस संस्था के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में प्रदेश के सभी जेलों के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ के दूसरे बैच को तकनीकी और व्यावहारिक रूप से प्रशिक्षित किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के अपर परियोजना निदेशक डॉ. हीरा लाल ने किया। इस मौके पर डॉ. हीरा लाल ने कहा कि कैदियों को बीमारियों से सुरक्षित बनाना उनकी प्राथमिकता में शामिल है। इसी के तहत हर कैदी के स्वास्थ्य की समय-समय पर जाँच की जाती है। स्क्रीनिंग एवं जांच के लिए संसाधनों को भी बेहतर बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि किसी भी व्यक्ति को स्वस्थ रखना है, समाज को स्वस्थ बनाना है तो हमें बचाव पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है, क्योंकि बचाव उपचार से अच्छा होता है।
डॉ. हीरा लाल ने जनपद बांदा में अपने जिलाधिकारी कार्यकाल के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि बांदा जेल में कैदियों को स्वस्थ रखने और अच्छा जीवन शैली अपनाने के लिए उन्होंने कई नवाचार किए। इसके फलस्वरूप बांदा जेल को पुरस्कृत भी किया गया। अपनी लिखी किताब डायनमिक डीएम का सन्दर्भ देते हुए उन्होंने विस्तार से बताया कि उन्होंने कैसे बांदा जेल में बेहतर काम करवाये। डॉ. हीरा लाल ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए बीमारियो से बचना बेहतर है, बीमार होकर दवा इलाज कराने की अपेक्षा। उन्होंने योग, व्यायाम, स्वस्थ जीवन शैली सहित कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्यपरक बातों पर भी चर्चा किया। यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के संयुक्त निदेशक रमेश श्रीवास्तव ने प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गनाइजेशन (नाको) के दिशा निर्देश के मुताबिक़ प्रदेश के सभी कारागार के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को कैदियों के गुणवत्तापूर्ण जाँच और बेहतर इलाज के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
स्टेट टीबी सेल के स्टेट एचआईवी /टीबी समन्वयक डॉ. नरेंद्र सिंह ने बताया कि एचआईवी मरीजों की सबसे ज्यादा मृत्यु टीबी की बीमारी की वजह से हो जाती है, इसलिए टीबी संक्रमण संबंधित जागरुकता, जांच और समय पर इलाज की अधिक जरूरत होती है। डॉ. सिंह ने टीबी से बचाव के उपायों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा सभी एचआईवी संक्रमितों की टीबी जांच और सभी टीबी मरीजों की एचआईवी जांच को सुनिश्चित किया गया है। स्टेट टीबी सेल के साथ काम कर रहीं डब्ल्यूएचओ सलाहकार डॉ. प्रीति पी एस ने भी इस मौके पर क्षय रोग और भविष्य में मरीजों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के विविध पक्षों पर प्रतिभागियों से चर्चा की ।