दशाश्वमेध में एक ही घर में तीन शव मिलने से मुहल्ले में हड़कंप, जांच में जुटी पुलिस
वाराणसी : शहर के दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के मुंशी घाट के समीप बंगाली टोला में किराये के मकान में रह रह बाप, बेटे व बच्चे ने जहर खाकर जान दे दी। पुलिस के मुताबिक गुरुवार को चाय विक्रेता जनार्दन तिवारी (67) अपने बेटे अश्वनी (27) और नाती दीपू पांडेय (8) के साथ मृत पड़ा मिला। सूचना मिलने मौके पर पहुंची पुलिस कमरे का दरवाजा तोड़कर तीनों का शवों को बाहर निकालने के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस के अनुसार तीनों ने जहर खाकर जान दी है। जहर क्यों खाया, इसकी जांच की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक पिता-पुत्र के बीच आए दिन शराब पीने के बाद पैसे को लेकर होने वाला झगड़ा घटना की मूल वजह है।
गाजीपुर जिले के सैदपुर थाना क्षेत्र के मलिकपुरा का मूल निवासी जनार्दन तिवारी दशाश्वमेध थाना क्षेत्र में मुंशी घाट के समीप बंगाली टोला में किराये पर कमरा लेकर दो साल से रहता था। जनार्दन के साथ उसका बड़ा बेटा अश्वनी, छोटा बेटा भरत और नाती दीपू रहता था। जनार्दन की पत्नी की मौत हो चुकी थी। जनार्दन, अश्वनी और भरत कमरे में ही चाय बनाकर दशाश्वमेध और उसके आसपास के अन्य घाटों पर घूम-घूम कर बेचते थे। गुरुवार सुबह छह बजे के लगभग भरत कमरे पर आया और दरवाजा खटखटाया तो नहीं खुला। इस पर वह कमरे के समीप ही सो गया। लगभग 10 बजे भरत की नींद खुली और फिर वह दरवाजा खटखटाया तो नहीं खुला। इस पर भरत ने मकान मालिक को सूचना दी। मकान मालिक ने खिड़की की जाली तोड़कर देखा तो एक बिस्तर पर जनार्दन व दीपू और दूसरे पर अश्वनी निढाल पड़ा हुआ था। आनन-फानन मकान मालिक ने दशाश्वमेध थाने की पुलिस को सूचना दी।
इस संबंध में डीसीपी काशी जोन आरएस गौतम ने बताया कि तीनों लोगों की थाली के समीप सल्फास के कुछ कण मिले हैं। घटना की वजह क्या थी, इसका पता लगाया जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार प्रकरण में आगे की कार्रवाई की जाएगी। पुलिस के मुताबिक मृत पड़े मिले चाय विक्रेता जनार्दन तिवारी, उनके बेटे अश्वनी और नाती के बिस्तर के समीप ही तीनों की थाली रखी हुई थी। तीनों थालियों में चावल, सब्जी और दाल परोसी हुई थी। इसे लेकर पुलिस ने आशंका जताई कि तीनों ने बुधवार की रात के भोजन से पहले जहर खाया था। इसके बाद तीनों बिस्तर पर लेट गए होंगे। एसीपी दशाश्वमेध ने बताया कि तीनों के मुंह से झाग निकल रहा था और उन्होंने बिस्तर पर ही लघुशंका व दीर्घशंका भी कर दी थी। बच्चा कपड़ा भी नहीं पहने हुआ था और उसका शरीर अंकड़ा हुआ था। तीनों के शरीर पर चोट वगैरह का कोई निशान नहीं था।