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पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करने की जरुरत : डॉ. एस जयशंकर

विदेश मंत्री ने कहा, अभूतपूर्व और विविध संकटों का सामना कर रही दुनिया

सुरेश गांधी

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पं दीन दयाल हस्तकला संकुल में आयोजित जी-20 सम्मेलन के समापन के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि बैठक में दक्षिणी गोलार्ध सहित दुनियाभर के सभी देशों की चुनौतियों पर चर्चा की गई। साथ ही कहा गया कि एक परिवार, एक भविष्य व एक पृथ्वी के संकल्प के साथ आगे बढ़ना है। कोरोना महामारी के बाद की स्थिति, जलवायु परिवर्तन और जरूरतमंद लोगों की मदद के वैश्विक प्रयासों को बढ़ाने पर सहमति बनी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यक्तिगत के साथ सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाएगा। दुनिया में आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाए रखने के लिए सभी देशों की सहभागिता पर भी सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला में बाधा, कर्ज संकट, ऊर्जा, खाद्य एवं उर्वरक सुरक्षा संबंधी दबाव के मद्देनजर वैश्विक आर्थिक सुधार की संभावना धीमी बनी हुई है। ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुटता के साथ वैश्विक पहल की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि जी-20 की विकास मंत्री स्तरीय बैठक से विकास से जुड़े इन मुद्दों पर एकजुटता प्रदर्शित करने का अवसर मिला है। आज जो हम निर्णय करेंगे, उसमें समावेशी, टिकाऊ और लचीले भविष्य के लिए योगदान देने की क्षमता होगी। उन्होंने कहा कि जी-20 के विकास मंत्रियों की बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी देश अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों और क्षमताओं के साथ मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ पर्यावरण और जलवायु को स्वच्छ बनाने की ठोस योजना बनाकर काम करेंगे। खासकर विकासशील देश पर्यावरण संरक्षण में ज्यादा प्रभावी भूमिका निभाएंगे। विकास, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के बीच आपसी तालमेल बनाने पर जोर दिया गया ताकि सतत विकास की अवधारणा के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। इस बात पर सभी देशों के विकास मंत्रियों ने एक स्वर में कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यक्तिगत के साथ सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाएगा। दुनिया में आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाए रखने के लिए सभी देशों की सहभागिता पर भी सहमति बनी है।

उन्होंने कहा कि जी20 की बैठक में लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की बात कही गई और तय हुआ कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैठक करके इस दिशा में ठोस निर्णय लिया जाएगा। सबके साथ और प्रयास से विकास की प्रक्रिया से कोई वंचित नहीं रहेगा। किसी भी परिस्थिति में कोई व्यक्ति पीछे नहीं छूटेगा। विदेश मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी देश के हर नागरिक का ख्याल रखते हैं। वह कहते हैं, देश का एक भी नागरिक अगर बाहर फंसा हुआ है तो उसकी हरसंभव मदद करनी है। सबको यह विश्वास होना चाहिए कि कुछ भी हो जाए भारत सरकार उन्हें बचाने जरूर जाएगी। यूक्रेन में फंसे विदेशी छात्रों को ऑपरेशन गंगा और सूडान में फंसे नागरिकों के लिए ऑपरेशन कावेरी चलाकर सरकार ने यह विश्वास कायम रखा। ये ऑपरेशन दर्शाता है कि हम अपनों की चिंता करते हैं। आज दुनिया के किसी भी देश में भारतीय जाएं तो उनको यह भरोसा रहता है कि हमारे पीछे कोई है, जो हमारी चिंता करता है। हम अगर किसी परेशानी में हैं तो हमें मदद जरूर मिलेगी। प्रधानमंत्री का प्रयास है कि योग, आयुर्वेद और मोटा अनाज, आंदोलन की तरह पूरी दुनिया में पहुंच चुका है। जब देश का प्रधानमंत्री नागरिक के बारे में सोचने लगे, राष्ट्रवादी विचार हों, तो ऐसे ही बदलाव आते हैं। तकनीक और मिलजुलकर काम करने से ये बदलाव आया है।

जयशंकर ने बताया कि भारत ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए महत्वाकांक्षी सात वर्षीय कार्ययोजना तैयार की है। इस कार्ययोजना में डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ढांचा, विकास के लिए आंकड़े को मजबूत करने, महिला नीत विकास के लिए निवेश और धरती की सुरक्षा के लिए ऊर्जा संसाधनों के परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। विदेश मंत्री ने कहा कि कोविड-19 से पहले एसडीजी में प्रगति पिछड़ रही थी और इस कारण समस्या और बढ़ी है। इसमें कई देशों पर बढ़ती महंगाई, ब्याज दर और सिकुड़ते राजकोषीय स्थान का प्रभाव पड़ा है। ऐसे समय में हमेशा की तरह ही कमजोर सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।