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मोदी ने काशी से दुनिया को दिखाई विकास की राह

जी हां, एक तरफ जहां चीन विकास के नाम पर अतिक्रमणवाद व पाकिस्तान जैसे आतंकपरस्त देश का अपने वीटों पावर के जरिए समर्थन करता रहा है, वहीं भारत दुनिया में सबकी तरक्की और भाईचारे का संदेश दे रहा है. पूरी दुनिया को एक मंच पर लाने के लिए सतत् प्रयासरत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र काशी में आयोजित जी20 भारतीय अध्यक्षता के तहत जी20 विकास मंत्रियों की बैठक में जिस तरीके से विकास, पर्यावरण व लाइफस्टाल का जिक्र किया, वह निश्चित तौर पर अद्भूत व अकल्पनीय है। विकास वैश्विक दक्षिण के लिए एक प्रमुख मुद्दा है। ऐसे में इसके लिए मोदी ने जो सामूहिक जिम्मेदारी तय की है, उससे कहा जा सकता है आने वाले दिनों में पूरी दुनिया में तू तू मैं मैं के बजाए विकास ही पहला उद्देश्य होगा। खास यह है कि दुनिया के 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के विकास मंत्री सहित करीब 200 मेहमानों ने मोदी के सूर में सूर भी मिलाया.

सुरेश गांधी

फिलहाल, पौराणिक और सांस्कृतिक यादों को संजोकर भारत से जी-20 के डेलीगेट्स रवाना हो चुके है। इस तरह वाराणसी में तीन दिवसीय जी-20 सम्मेलन का समापन हो गया. इसमें आए तकरीबन 200 विदेशी मेहमानों ने भारत की संस्कृति, सभ्यता और यहां की परंपराओं के बारे में जाना और समझा. गंगा आरती से लेकर भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ में रखे गए लगभग 500 साल पुराने अशोक स्तंभ को देखा. इस दौरान कई यादों को अपने कैमरों में कैद भी किया. मेहमानों ने प्राचीन खंडहर स्मारक धमेख स्तूप, भगवान बुद्ध के उपदेश स्थली और पुरातत्व विभाग के अधीन संचालित होने वाले सारनाथ म्यूजियम को देखा. गुप्तकालीन धमेख स्तूप के बारे में विदेशी मेहमानों को जानकारी दी गई. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि काशी का जी-20 सम्मेलन अद्भुत रहा. इस बैठक में जी-20 ने लाइफ स्टाइल फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर सहमति बनाई. यह वास्तव में मां गंगा की ही प्रेरणा है. जबकि वीडियों कांफ्रेसिंग के जरिए प्रधान मीं नरेन्द्र मोदी ने एजेंडा 2030 को बढ़ावा देने और ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरजोर तरीके से अपनी बाते रखी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जोर देकर कहा कि डिजिटलीकरण से भारत में एक क्रांतिकारी बदलाव आया है और बढ़ते डेटा विभाजन के मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि उच्च गुणवत्ता वाले डेटा सार्थक नीति-निर्माण, कुशल संसाधन आवंटन और प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए महत्वपूर्ण है. “डेटा डिवाइड को पाटने में मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण एक महत्वपूर्ण उपकरण है. भारत में डिजिटलीकरण से एक क्रांतिकारी बदलाव आया है.” ‘भारत साथी देशों के साथ अपने अनुभव साझा करने को तैयार है’. काशी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सदियों से ज्ञान, चर्चा, बहस, संस्कृति और आध्यात्मिकता का केंद्र रहा है, जबकि इसमें भारत की विविध विरासत का सार भी है. “मुझे खुशी है कि जी20 विकास का एजेंडा काशी तक भी पहुंच गया है. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि, “वैश्विक दक्षिण के लिए विकास एक मुख्य मुद्दा है” ग्लोबल साउथ के देश वैश्विक कोविड महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधानों से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं. “ऐसी परिस्थितियों में, आपके द्वारा लिए गए निर्णय पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं.”

यह तभी संभव हो जायेगा जब समावेशी, निष्पक्ष और टिकाऊ और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने के लिए निवेश बढ़ाने के प्रयास किए जायेंगे। इसके लिए जरुरी है कि कई देशों द्वारा सामना किए गए ऋण जोखिमों को दूर करने के लिए समाधान भी ढूंढे जाने चाहिए. “भारत में, हमने सौ से अधिक आकांक्षी जिलों में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास किए हैं, जो कि अल्प-विकास थे, जो अब देश में विकास के उत्प्रेरक के रूप में उभरे हैं.” खास यह है कि प्रधानमंत्री ने जी20 विकास मंत्रियों से विकास के इस मॉडल का अध्ययन करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, “यह प्रासंगिक हो सकता है क्योंकि आप एजेंडा 2030 को गति देने की दिशा में काम कर रहे हैं.” उन्होंने कहा, कि “भारत भागीदार देशों के साथ अपने अनुभव को साझा करने के लिए तैयार है और आशा व्यक्त की कि विकासशील देशों में चर्चा, विकास और वितरण के लिए डेटा को बढ़ावा देने के लिए ठोस कार्रवाई होगी.” “भारत में, हम नदियों, पेड़ों, पहाड़ों और प्रकृति के सभी तत्वों के लिए बहुत सम्मान रखते हैं”, जैसा कि पारंपरिक भारतीय विचार पर कहा गया है जो एक ग्रह-समर्थक जीवन शैली को बढ़ावा देता है.

खास यह रहा कि जी20 देशों के विकास मंत्रियों ने सतत विकास के भारतीय मॉडल व जीवनशैली को सर्वश्रेष्ठ बताया और इसे अपनाने पर जोर भी दिया। सतत विकास के लक्ष्य को हासिल करने की जीवन शैली पर हुई चर्चा में कहा गया कि लैंगिक समानता एक मौलिक मानव अधिकार है। सभी महिलाओं और लड़कियों को उनकी पूरी क्षमता का एहसास कराने के लिए सशक्त बनाना होगा। भारत में महिला सशक्तीकरण के प्रयासों को विस्तार से बताया गया। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत अभियान, मिशन पोषण, उज्ज्वला योजना, जल जीवन मिशन, सुकन्या समृद्धि योजना, और परिवर्तनकारी प्रधानमंत्री जन धन योजना जैसी पहल ने भारतीय महिलाओं के जीवन को बदल दिया है। भारत के इन प्रयासों को जी20 देशों के प्रतिनिधियों ने खूब सराहा। इन सबके बीच दुनिया की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जी20 देशों के विकास मंत्रियों के समूह ने सभी चुनौतियों को एक परिवार की तरह मिलकर पार करने की बात करते हुए भारत की तरफ से एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य के प्रस्ताव पर मुहर लगाई, जिस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मिलकर सहमति जताई है. कोरोना महामारी के बाद स्थिति जलवायु परिवर्तन और जरूरतमंद लोगों की मदद के वैश्विक प्रयासों को बढ़ाने पर सभी ने सहमति व्यक्त की है.

जी20 के विकास मंत्रियों की बैठक में सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि सभी देश अपनी परिस्थितियों और क्षमताओं के साथ मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के अलावा पर्यावरण और जलवायु को स्वच्छ बनाने के लिए ठोस प्लानिंग तैयार करेंगे और इस दिशा में सभी मिलकर काम करेंगे. इस पर सभी की सहमति बनी. बैठक में सभी जी20 देशों ने मिलकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रयास करने का संकल्प लिया. बैठक में जीवन के सकारात्मक बदलाव को मजबूती के साथ लागू करने की बात पर भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमति जताकर इस दिशा में ठोस निर्णय लेने पर भी सहमति व्यक्त की गई है. भारत की तरफ से यह प्रस्ताव रखा गया था कि विकास की प्रक्रिया से हर वर्ग को लाभ मिलना चाहिए. कोई वर्ग पीछे ना छूटे यह हम सभी का दायित्व है. जिस पर सभी ने सहमति जताते हुए इस दिशा में मिलकर काम करने की बात कही है.सभी देशों के विकास मंत्रियों के समूह ने पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यक्तिगत तथा सामूहिक प्रयासों से कार्य करने पर भी अपनी सहमति व्यक्त की है. दुनिया में आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाए रखने के लिए सभी देशों की सहभागिता पर भी सहमति बनी है.

जी20 देशों के विकास मंत्रियों के सम्मेलन में विदेश मंत्री ने 7 सालों में 17 टारगेट्स को सेट किया है और सभी देशों की तरफ से निर्धारित लक्ष्य पर मिलकर भागीदारी का संकल्प भी दोहराया गया है. यह अलग बात है कि वाराणसी में जी-20 देशों के मंत्री समूह की बैठक के बाद यूरोपीय संघ की अंतरराष्ट्रीय सहभागिता आयुक्त जट्टा उर्पिलैनन ने रूस की निंदा की है। उन्होंने कहा कि रूस की आक्रामकता ने युद्ध के खतरों को बढ़ा दिया है। यूक्रेन पर हमला अनुचित है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ रूस के कदमों की निंदा करता रहेगा। जट्टा ने कहा कि कोविड-19 की वजह से पहले ही सतत विकास का लक्ष्य धीमा पड़ा गया था। महामारी और युद्ध से असमानताएं बढ़ रही हैं। दुनिया कई संकटों का सामना कर रही है। इससे सतत विकास का लक्ष्य प्रभावित हो रहा है। कई देश ऋण संकट से पीड़ित हैं। जी-20 को ऋण पारदर्शिता और ऋण स्थिरता को बढ़ावा देना जारी रखना चाहिए। जी-20 के साथ दुनिया के सभी देश वर्ष 2030 तक के एजेंडा को तय कर रहे हैं। उन्होंने बहुपक्षवाद का समर्थन किया और कहा कि मानवाधिकारों को ध्यान में रखते हुए सतत विकास की दिशा में प्रगति में तेजी लाने के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है। उधर, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने यूरोपीय संघ के इस बयान पर कहा कि बंद कमरे में क्या हुआ, इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। यह जरूर है कि बैठक में सभी लोगों ने अपनी स्पष्ट तौर पर प्रमुखता के साथ रखीं।

पीएम मोदी ने जोर देते हुए कहा कि, “महिलाएं विकास का एजेंडा तय कर रही हैं और विकास और परिवर्तन की एजेंट भी हैं.” उन्होंने सभी से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लिए गेम-चेंजिंग एक्शन प्लान अपनाने का आग्रह किया. प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे विश्वास है कि गंगा आरती का अनुभव और सारनाथ का दौरा आपको वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा.” इस मौके पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सारनाथ दर्शन की अद्भुत स्मृतियों को साथ लेकर हम लोग आज वाराणसी से प्रस्थान कर रहे हैं। इससे पहले वाराणसी में जी 20 विकास मंत्रियों के सम्मेलन ने जी 20 देशों द्वारा सतत विकास लक्ष्यों एसडीजीएस पर प्रगति में तेजी लाने के लिए भारत द्वारा प्रस्तुत एक महत्वाकांक्षी सात वर्षीय कार्य योजना को अपनाया। इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन संबंधी लक्ष्यों की पूर्ति के लिए टिकाऊ जीवन शैली के संबंध में सहयोग और भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से एक और दस्तावेज को बैठक में स्वीकार किया गया।

विकास मंत्रियों द्वारा अपनाए गए परिणाम दस्तावेज 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले समूह के शिखर सम्मेलन में जी20 नेताओं द्वारा विचार के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि एसडीजी पर कार्य योजना न केवल विकास एजेंडे के लिए एक मजबूत जी20 प्रतिबद्धता को प्रेरित करेगी बल्कि तीन प्रमुख क्षेत्रों में परिवर्तनकारी कार्रवाइयों को आगे बढ़ाएगी। इसके अलावा विदेशी मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए लाइफ स्टाइल को लेकर जी 20 देशों के बीच विचार-विमर्श किया गया। यहां पर भारत की लाइफस्टाइल को मॉडल की तरह पेश किया गया। बैठक के दौरान लाइफ स्टाइल के 9 सिद्धांत तय किए गए। बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज बन गया है और उसने सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के संबंध में वित्तीय अंतर और ऋण चुनौतियों के मुद्दों को उठाने की कोशिश की है। जी20 की अध्यक्षता संभालने के बाद भारत द्वारा लाए गए बड़े बदलाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के दृष्टिकोण ने जी20 के फोकस पर विकास को वापस लाया है और वैश्विक दक्षिण के देशों के लिए आशा जगाई है।

बेटियों के आगे बढ़ाने की मुहिम को जी20 देशों ने सराहा

इन मेहमानों ने हस्तकला संकुल में हस्तशिल्पियों के द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पादों को लाइव देखा. हस्तशिल्पियों के द्वारा इन प्रोडक्ट को कैसे बनाया जाता है और इनके पीछे कितनी मेहनत होती है इस पर भी जीआई विशेषज्ञ डॉ रजनीकांत ने विस्तार से मेहमानों को जानकारी दी. लकड़ी के खिलौनों से लेकर गुलाबी मीनाकारी के प्रोडक्ट और जरदोजी से लेकर अन्य तरह के जीआई प्रोडक्ट के बारे में भी पद्मश्री डॉ रजनीकांत की तरफ से मेहमानों को जानकारी दी गई. “भारत में, हम नदियों, पेड़ों, पहाड़ों और प्रकृति के सभी तत्वों के लिए बहुत सम्मान रखते हैं”, प्रधानमंत्री ने कहा, जैसा कि पारंपरिक भारतीय विचार पर कहा गया है जो एक ग्रह-समर्थक जीवन शैली को बढ़ावा देता है. काशी के सदा नीरा जाह्नवी के तट पर रविवार को जी-20 देशों के विकास मंत्रियों ने गंगा आरती देखी। सनातनी संस्कृति के एक-एक पल को मोबाइल में कुछ ने कैद किया तो कुछ भक्तों की तरह भाव में डूबे दिखे। भाव विभोर कर देने वाली इस आरती को कुछ मेहमान समझने में भी जुटे रहे। आरती की विशेषताओं से भरे ब्रोसर को कुछ ने ध्यान से पढ़ा। कुछ अपने साथ लेकर गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में हमने 100 से अधिक आकांक्षी जिलों में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास किए हैं। यह जिले अल्प-विकास वाले पॉकेट थे। ये आकांक्षी जिले अब देश में विकास के उत्प्रेरक के रूप में उभरे हैं। उन्होंने जी-20 देशों के विकास मंत्रियों से विकास के इस मॉडल का अध्ययन करने का आग्रह किया। कहा कि यह मॉडल प्रासंगिक हो सकता है, क्योंकि आप सभी संयुक्त राष्ट्र संघ के एजेंडा-2030 को गति देने की दिशा में काम कर रहे हैं।

दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के लिए विकास बड़ा मुद्दा

जी-20 देशों के विकास मंत्रियों से सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आह्वान किया कि वह दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों की बेहतरी के लिए गंभीरता से सोचें। उन्होंने कहा कि दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के लिए विकास एक मुख्य मुद्दा है। ऐसे में आपके द्वारा लिए गए निर्णय संपूर्ण मानवता के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। उन्होंने ने दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि ये देश कोविड महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित हुए। इन देशों में खाद्यान्न, ईंधन और उर्वरक के संकट के लिए भू-राजनीतिक तनाव भी जिम्मेदार है। इसलिए सतत विकास लक्ष्यों को पीछे नहीं छूटने देना लोगों की सामूहिक जिम्मेदारी है। पीएम ने आगे कहा, ग्लोबल साउथ के लिए विकास एक प्रमुख मुद्दा है. यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम सतत विकास लक्ष्यों को पीछे न जाने दें. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी पीछे न छूटे. ग्लोबल साउथ के देश वैश्विक कोविड महामारी से उत्पन्न व्यवधान से गंभीर रूप से प्रभावित थे और भू-राजनीतिक तनाव के कारण खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट ने एक और झटका दिया है. ऐसी परिस्थितियों में आप जो निर्णय लेते हैं उसका बहुत महत्व होता है.

जरूरतमंद लोगों तक सुलभ हो वित्त

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे प्रयास व्यापक, समावेशी, निष्पक्ष और टिकाऊ होने चाहिए और एसडीजी को पूरा करने के लिए निवेश बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए और साथ ही कई देशों द्वारा सामना किए जा रहे ऋण जोखिमों को दूर करने के लिए समाधान खोजने चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि पात्रता मानदंड का विस्तार करने के लिए बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों में सुधार किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वित्त जरूरतमंद लोगों के लिए सुलभ है। उन्होंने बताया कि भारत में सौ से अधिक आकांक्षी जिलों में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास किए गये हैं जो अल्प-विकास वाले पॉकेट थे। ये आकांक्षी जिले अब देश में विकास के उत्प्रेरक के रूप में उभरे हैं, क्योंकि उन्होंने जी-20 विकास मंत्रियों से विकास के इस मॉडल का अध्ययन करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत भागीदार देशों के साथ अपने अनुभव को साझा करने के लिए तैयार है और आशा व्यक्त करता है कि विकासशील देशों में चर्चा, विकास और वितरण के लिए डेटा को बढ़ावा देने के लिए ठोस कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि भारत में, हम नदियों, पेड़ों, पहाड़ों और प्रकृति के सभी तत्वों के लिए बहुत सम्मान रखते हैं। प्रधानमंत्री ने पारंपरिक भारतीय विचार को वन प्लैनेट समर्थक जीवन शैली को बढ़ावा देने वाला बताया।