यह वाक्य सिर्फ और सिर्फ एक पिता ही कह सकता है। जी हां, पिता रोटी है, पिता कपड़ा है, पिता मकान है, पिता नन्हे से परिन्दे का बड़ा सा आसमान है, पिता है तो हर घर मे हर पल राग है, पिता से माँ की चूड़ी है बिन्दी है सुहाग है, पिता है तो बच्चों के सारे सपने है, पिता है तो बाज़ार में सारे खिलोने अपने हैं…. कभी नरम, तो कभी गरम अंदाज में बच्चों को अनुशासन व व्यावहारिकता का पाठ पढ़ाने वाले पापा ही नई पीढ़ी के सपनों को पंख फैलाने का आसमान देते हैं। इसी खुले आकाश में आज बेटे हो या बेटियां बेहिचक उड़ान भर रहे हैं। इस बदलाव के दौर में पापा एक मजबूत ढाल बन रहे हैं। जिस तरह मां का नाम आते ही करुणा का एहसास होता है, ठीक उसी तरह पिता का नाम आते ही शक्ति का एहसास होता है। लेकिन ऊपर से सख्त दिखने वाले पिता अंदर से कोमल हृदय के होते हैं। मतलब साफ है पाकेट में पैसे हो या नहीं, लेकिन आपकी हर जरूरतों को पूरा करने वाले पिता के लिए इस रविवार विशेष दिन है। हर वर्ष की तरह 18 जून को फादर्स डे मनाया जाएगा।
-सुरेश गांधी
बेशक, पिता मार्गदर्शक है, जो संतान को जीवनभर साये की तरह साथ रखकर सही राह दिखाता है। वह रक्षक-संरक्षक है, जो पल-पल बच्चों के लिए ढाल बनता है। पिता पोषक है, जो परिवार की रीढ़ बनकर जरुरतें पूरी करता है। वह प्रेरक है, जो हमेसा आगे बढ़ाता है। बच्चों का हर दुख वह अपने उपर ले लेता है और अपने हक का सुख बच्चों के नाम कर देता है। मां न हो तो मजबूती से वह दोहरी भूमिका भी निभाता है। खासकर बेटियों के लिए तो वह हीरो है। चाहे वह दशहरें के मौके पर अपने कंधों पर बैठाकर रावण दिखाने ले जाने का हो या अंगुली पकड़ कर मेला घुमाने का। अपने बच्चे को वो सारे लाड़-प्यार, वो गाड़ी पर घुमाना, खाने-पीने की चीजें दिलाकर लाना। बात-बात पर उन्हें टॉफी-आइस्क्रीम दिलाना, पान खिलाना और उनकी घर जरूरतों को समयानुसार पूरे करते रहना यह एक पिता के बिना कतई संभव नहीं है। या यू कहें हमारी वह हर जिद पूरा करते हैं। पिता अनुशासन प्रिय जरुर होते है, लेकिन ऐसा कभी महसूस नहीं होने देते कि वे बेवजह सख्ती कर रहे हों। वह हमेशा ईमानदार बने रहने की सींख देते है। क्योंकि पिता का अस्तित्व मात्र ही संतान के लिए ब्रह्मांड से भी व्यापक है और सागर से भी गहरा। उनके अनकहे शब्द भी खुद में कई शब्दों को समेटे हैं और उनकी हर एक बात… में अनेक सबक हैं। उनकी परछाई में सुरक्षा की राहत है तो उनके कदमों में जन्नत के निशां…। वैसे भी हर पिता की यही इच्छा होती है कि उसकी संतान नित नई कामयाबी हासिल करती रहे। जीवन के अंतिम मुकाम तक फले-फूले। संतान के चेहरे पर खुशी के लिए पिता कोई कसर नहीं छोड़ता। कहा जा सकता है पिता मात्र एक संबोधन नहीं है, बल्कि पुरुष‘ के कोमल स्वरूप की वो अभिव्यक्ति है जहां चाहे वह बेटा हो या बेटी, दोनो पुष्पित और पल्लवित होती है…। पिता हमेशा उस कुम्हार की तरह होता है, जो ऊपर से आपको आकार देता है और पीछे से हाथ लगाकर सुरक्षात्मक सहयोग।
पितृत्व दुनिया के सबसे खूबसूरत अहसासों में से एक है। यह पुरुष को पूर्ण करता है। पिता, जो न सिर्फ अपनी संतान को सुरक्षा का अहसास देता है, बल्कि उसकी उड़ान के लिए खुद को आसमान बना लेता है। कोई भी पीढ़ी हो, उसका पहला हीरो पिता ही होता है। अपने इस नायक की छवि और उसके सम्मान की शैली में अंतर हो सकता है, लेकिन वह भाव सदा से अपरिवर्तित रहा है, जो एक पुत्र के मन में पिता के लिए होता है। पिता हम सभी को काबिल बनाते हैं। जिंदगी की सही राह दिखाते हैं। हमें खुश रखने के लिए पिता हरेक उपाय करते हैं। बचपन में अनुशासनप्रियता व सख्ती के चलते पिता की बात हमें अच्छी नहीं लगती, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमें पिता की डांट का महत्व का पता चलता है। जीवन की कठिन डगर पर चलने की तैयारी में पिता की बातें काफी महत्व रखती है। मालूम पड़ता है पिता कितने साथ थे और हैं। एक शोध के मुताबिक मां बच्चों की पहली पाठशाला है, तो पिता पहला आदर्श। वे अपने पिता से ही सिखते हैं और उनके जैसा ही बनना चाहते हैं। मतलब साफ है एक पिता हजारों शिक्षकों से अधिक प्रभावशाली होता है। स्कूल और जिंदगी के ज्यादातर शिक्षक किताबी होते हैं। वे सिखाते तो हैं लेकिन उनका सीमित असर होता है। पिता अपने बच्चों के जेहन पर गहरी छाप छोड़ता है। खासकर बेटियों पर। माना जाता है कि फादर्स डे सर्वप्रथम जून के तीसरे संडे जून 1910 को वाशिंगटन में मनाया गया। इस साल 18 जून 2023 में फादर्स-डे के 113 साल पूरे हो गए।
संतान के लिए वरदान है पिता
पिता का हमारे जीवन में एक कैटेलिस्ट सा ही रोल होता है न? वो खुद हमेसा नेपत्थ्य में रहते हैं, लेकिन अपने संतानों की भलाई और तरक्की के लिए बिना कोई दिखावा करें अपना पूरा जीवन होम कर देते हैं। कहते हैं न कि एक पिता की अहमियत बच्चों के जीवन में सांसों की रवानगी की मानिंद होती है। सांस लेना एक आदत है लेकिन जैसे इस आदत में हल्का सा भी परिवर्तन आएं तो जान पर बन आती हैं। ऐसे ही पिता का होना संतान के जीवन में किसी वरदान से कम है क्या? संतान के जीवन में जितनी जरुरत मां की होती है उतनी ही जरुरत पिता की भी, मां अपने बच्चों में परिवार की सुरक्षित चाहरदीवारी के भीतर संस्कार और दायित्वों का पौधा पल्लवित करती हैं वहीं पिता अपने बच्चों को बाहरी दुनिया में कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए प्रैक्टिकली तैयार करता है। जिस तरह सागर की अपार गहराई में जहाज और नावों को सही रास्ता दिखाने में एक लाइट हास का काम बेहद जरुरी है उसी तरह पिता अपने बच्चों की जिंदगी के गहरे समुन्दर को पार कराने में एक लाइट हाउस ही काम होता है।
पिता बगैर सपना अधूरा
कहते हैं कि मां दुनिया की अनोखी और अद्भुत देन हैं। वह अपने बच्चे को नौ महिने तक अपनी कोख में पाल-पोस कर उसे जन्म देने का नायाब काम करती है। अपना दूध पिलाकर उस नींव को सींचती और संवारती है। जैसा कि मां का स्थान दुनिया सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। वैसे भी पिता का स्थान भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। भले ही पिता एक मां की तरह अपने कोख से बच्चे को जन्म न दे पाएं। अपना दूध न पिला पाएं, लेकिन सच तो यह है कि एक बच्चे के जीवन में अपने पिता का बहुत बड़ा और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण स्थान होता है। जिस घर में पिता नहीं है। उन घरों की हालत दुनिया वाले बदतर से भी बदतर कर देते हैं। पिता न होने का खामियाजा घर की औरत साथ-साथ उसके बच्चों की जीवन भर भुगतना पड़ता है। उसके माता-पिता द्वारा किए गए अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब बच्चों को पूरी तरह चुकाना पड़ता है। बच्चों की देखरेख करने के लिए अगर पिता नहीं है तो उन मासूम बच्चों के सारे लाड़-प्यार, दुलार, पिता की छांव सबकुछ अधूरा रह जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी के घर में मां नहीं है तो बच्चों की देखरेख ठीक से नहीं हो पाती। ठीक उसी तरह पिता के न होने पर भी बच्चों का वहीं हाल होता है। बच्चों को हर उस जरूरत के लिए तरसना पड़ता है, जिसके वे हकदार होते है। कम उम्र में ही बच्चों को काम में हाथ बंटाना पड़ता है। ना चाहते हुए भी नौकरी करनी पड़ती है। ना चाहते हुए भी अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़कर काम-धंधे की और कमाई की फिक्र करते हुए इन्कम के नित नए-नए रास्ते खोजना पड़ते है ताकि वो घर का खर्चा बंटाने में मां की मदद कर सकें। वो अपना सारा आराम छोड़कर मां की तरह इस चिंता में घुलते रहते है कि किसतरह अच्छी नौकरी, अच्छा व्यवसाय जमा कर अपने घर को संभाला जाए।
अगर घर में पिता होते है तो इन सारी जिम्मेदारियों से बच्चों को काफी हद तक मुक्ति मिल जाती है। फिर उन पर किसी तरह का कोई एक्स्ट्रा बर्डन नहीं रहता। वो अपनी मर्जी से घूम-फिर सकते हैं। अपने दोस्तों के साथ पार्टियों में शामिल हो सकते हैं और सारी दुनिया की फिक्र छोड़कर पिता के गोद में सिर रखकर आराम से सो सकते हैं। यह सब एक मां के राज में संभव नहीं हो पाता। बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों तक सभी को पिता के साथ की जरूरत होती है। बच्चों के मन में पिता न होने का भय हर समय सताता रहता है। लेकिन क्या करें भगवान के इस फैसले के आगे सभी नतमस्तक होते हैं। उनके फैसले के आगे किसी की नहीं चलती। इसलिए वो मासूम बच्चे पिता की छत्र छाया से वंचित होकर मायूसीभरा जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं। हमारे आस-पास भी कई ऐसे परिवार मौजूद हैं, जो इन परिस्थितियों से गुजर रहे होते हैं और हम उनके लिए कुछ नहीं कर पाते। अगर घर में पिता नहीं है तो परिवार वाले, रिश्ते-नातेदार सभी मुंह मोड़ लेते हैं या फिरशर्तों की नोंक पर उन्हें जीवनयापन के लिए मजूबर करते हैं। ऐसे दुख और मायूसीभरा जीवन ईश्वर किसी को भी न दें। संसार के सभी लोगों को माता-पिता का भरपूर प्यार मिलें, ताकि किसी भी बच्चे के मन में उसके पितान होने की मजबूरी न हो और वे अपना जीवन पिता के हरेभरे पेड़ की छांव में सुचारू रूप से अपना जीवन जी पाएं और हर पर खुश रहकर दूसरों को भी खुशियां बांट सकें।
पिता नहीं तो अनाथ है बचपन
मां से भावनाओं का जुड़ाव, तो पिता से समझ का। मां की ममता और करुणाशीलता तो जगजाहिर है, लेकिन कई बार पिता की अनकहे शब्द और जता न पाने की आदत उनके भावों… को ठीक तरह से अभिव्यक्त नहीं कर पाती और हम पिता को जरूरत से ज्यादा सख्त और भावनाविहीन मान बैठते हैं। लेकिन सच तो ये है कि एक मां बच्चे को जितना प्रेम करती है, उतनी ही चिंता पिता को भी होती है। बस फर्क इतना होता है कि मां के प्रेम का पलड़ा भारी होता है और पिता के सुरक्षात्मक रवैये का, जो कई बार बच्चों..को कठोर लगने लगता है। मां हमेशा दुलारती है और पिता हमेशा आपको बनाते हैं, आपके व्यक्तित्व को संवारते हैं। अर्थात पापा वो इंसान है जो कभी प्यार को दर्शाता नहीं है पर मां से भी बढ़कर अपने बच्चों को प्यार करते हैं। मां घर में रोटी बनाती है तो पिता कड़ी धूप में पैसा कमाता है। मां बच्चे को पढ़ाती है तो पिता बच्चे को शिक्षा देता है। एक पिता जितनी कुर्बानी देना आसान बात नहीं। फटे जूते पहन बच्चों को नए कपड़े दिलाता है पिता। लेकिन कभी अपना प्रेम नहीं दर्शाता है पिता। मां लाख बार बोले मेरा बेटा..मेरी बेटी, पर जीवन जीना पिता सिखाता है। पिता जीवन है, संबल है, शक्ति है, पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है। पिता उंगली पकड़े बच्चे का सहारा है।
पिता कभी कुछ खट्टा, कभी खारा है पर पिता पालन है, पोषण है, पारिवार का अनुशासन है। पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है। पिता अपदर्शित अनन्त प्यार है पिता है तो बच्चों को इंतजार है। पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं। पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने हैं। पिता से परिवार में प्रतिपल राग है पिता से ही मां का बिंदी और सुहाग है। पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है। पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है। पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ति है। पिता रक्त में दिये हुए संस्कारों की मूर्ति है। पिता एक जीवन को जीवन का दान है। पिता दुनिया दिखाने का अहसान है। पिता सुरक्षा है, सिर पर हाथ है पिता नहीं तो बचपन अनाथ है। तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो पिता का अपमान नहीं, उन पर अभिमान करो क्योंकि मांबाप की कमी कोई पाट नहीं सकता और ईश्वर भी इनके आशीशों को काट नहीं सकता। विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है मांबाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है। विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्राएं व्यर्थ हैं यदि बेटे के होते मांबाप असमर्थ हैं वो खुशनसीब हैं मांबाप जिनके साथ होते हैं। क्योंकि माबाप की आशीशों के हजारो हाथ होते है।