फिलहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा में एमक्यू-9 बी रीपर या प्रेडेटर ड्रोन की डील हो चुकी है। करीब 29 हजार करोड़ रुपये के इस सौदे से देश को 30 लड़ाकू ड्रोन मिलेंगे. इनमें से 14 नौसेना और आठ-आठ वायुसेना और सेना को मिलेंगे. इसकी तैनाती राजस्थान में पाकिस्तान से लगती सीमा पर भी हो सकती है. ’हंटर किलर’ वही ड्रोन है, जिससे अमेरिका ने तीन साल पहले मिसाइल हमला कर ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या की थी. एयरफोर्स के पास 42 के बजाय 22 स्क्वाड्रन ही हैं. नेवी के पास मिग-29 के फाइटर जेट हैं. स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के लिए लड़ाकू विमान खरीदे जाने हैं. अब इस ड्रोन से नेवी और वायुसेना को नई ताकत मिलेगी. वहीं आर्मी को ग्राउंड अटैक के लिए यह मजबूत हथियार साबित होगा. कहा जा सकता है ’हंटर किलर’ बालाकोट जैसी सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सेना का सबसे ताकतवर हथियार बनेगा. या यूं कहे इससे भारत की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। देखा जाएं तो भारत को सुपरपावर बनाने वाली अब तक की यह सबसे बड़ी डिफेंस डील है
–सुरेश गांधी
अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व राष्ट्रपति जोबाइडेन के बीच हुई डील के मुताबिक जीई के एफ 414ए जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन 31 एमक्यू -9बी की खरीदारी को भी हरी झंडी मिल गयी है। भारत 16 एमक्यू 9बी सशस्त्र सी गार्डियंस की डील पक्की हो गयी है। मतलब साफ है सबसे घातक ’हंटर किलर’ ड्रोन डील से न सिर्फ चीन व पाकिस्तान की हेकड़ी या उसके छद्म वार पर ब्रेक लग जायेगा, बल्कि राजस्थान बॉर्डर हवाई और जमीनी सुरक्षा के लिहाज से काफी माकूल हो जोगा। खासकर इस डील से भारत और अमेरिका दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नई दिशा मिलेगी। बता दें, यह डील पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच हुई थी। लेकिन प्रकिया पूरी नहीं होने से इसे 2018 में निरस्त कर दिया गया था। ’हंटर किलर’ वही ड्रोन है, जिससे अमेरिका ने तीन साल पहले मिसाइल हमला कर ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या की थी। यह अलग बात है कि इसका मुकाबला करने के लिए चीन ने हाल में चेंग होंग-4 सीरीज के ड्रोन लॉन्च किए हैं. अगस्त 2021 में चीन ने ट्रायल के लिए 5 ड्रोन पाकिस्तान को दिए हैं. उसने बहावलपुर एयरबेस पर चार और एक को नेवल बेस पर तैनात किया है. हंटर ड्रोन की खासियत है कि 40 से 50 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है. चीन से लगती एलएसी पर यह काफी कारगर साबित होगा. इसमें 30 से 40 घंटे तक लगातार उड़ान भरने की क्षमता है. यह पांच,670 किलो तक वजन ले जा सकता है. इसकी ईंधन क्षमता दो हजार 721 किलो की है. यह ड्रोन पनडुब्बी रोधी, सतह रोधी और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन में कारगर है.
रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को और आगे लेकर जाएगी. डेमोक्रेसी, डायवर्सिटी और आजादी के मूल्यों पर आधारित हमारे संबंधों को और मजबूत करेगी. इससे वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए दोनों को मजबूती मिलेगी। इससे भारत की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. अमेरिका का बेहद खतरनाक ड्रोन 1200 किमी तक मार करने की क्षमता रखता है. तालिबान और आइएसआइएस के खिलाफ अमेरिका ने इन ड्रोन्स के जरिए अचूक हमले किए. भारत को अपनी लंबी समुद्री सीमा और थल सीमा की निगरानी के लिए भी इस ड्रोन की खास जरूरत थी. माना जा रहा है कि इस हथियार से भारतीय नेवी को 14 और सेना-वायुसेना को 8-8 ड्रोन मिलेंगे. चीन के साथ हिंद महासागर में चल रहे पावर गेम के लिहाज से ये ड्रोन भारत के लिए काफी काम के साबित होंगे. हिंद महासागर में इनकी तैनाती से इंडियन नेवी को चीनी मंसूबों को फेल करने, उनपर निगरानी रखने और बढ़-चढ़कर अपने मिशन को चलाने में मदद मिलेगी. बता दें, राफेल विमानों के आने से बदले एयर डिफेंस पावर के बाद अब भारत चीन का मुकाबला करने के लिए अपने लड़ाकू विमानों की तादाद तेजी से बढ़ाने की ओर कदम उठा रहा है. इस वक्त तेजस मार्क-2 के लिए नए इंजन की जरूरत थी. इस डील से जीइएफ 414 का निर्माण भारत में होने लेगा। इससे जेट इंजन भारत में बनने लगेगा. इसके लिए अमेरिका टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर सहमत हो गया है. इस कदम से फाइटर जेट्स को लेकर भारत की निर्भरता दूसरे देशों पर कम होगी और देसी तकनीक के जरिए एयर पावर बढ़ाने की दिशा में हम आगे बढ़ पाएंगे.
भारत के पास इस वक्त एम -777 लाइट होवित्जर तोप हैं, जो लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक के पहाड़ी इलाकों में चीन का मुकाबला करने के लिए तैनात हैं. इस डील से इस तोप की मारक क्षमता बढ़ जाएगी. भारत चाहता है कि वो हवा से हवा में मार करने वाले अमेरिकी मिसाइल और लंबी रेंज वाले आर्टिलरी बम का निर्माण अपने देश में करे. खासकर तब जब चीन हिंद महासागर क्षेत्र में आक्रामक रुख अपनाए हुए है. इसे लेकर अमेरिका के साथ उसका टकराव भी है. अमेरिका भारत को चीन का मजबूत प्रतिद्वंदी मानता है. दोनों देश ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ मिलकर क्वाड सुरक्षा समूह का भी हिस्सा हैं, जो चीन को कड़ा संदेश देता है. साथ ही मुक्त और निष्पक्ष हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है. साथ ही चीन अक्सर अमेरिका पर हिंद महासागर में बीजिंग का मुकाबला करने के लिए एक मंच के रूप में क्वाड का इस्तेमाल करने का आरोप लगाता रहा है. दूसरी ओर अमेरिका भारत को रूसी हथियारों से दूर करने की कोशिश कर रहा है. उधर, भारत ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ हुई झड़प के बीच अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग भी बढ़ाया है. वैसे भी स्ट्राइकर बख्तरबंद वाहन, दुनिया की सबसे ताकतवर बख्तरबंद गाड़ियां मानी जाती हैं. अपने मोबाइल गन सिस्टम के साथ, 105 एमएम की तोप और एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस ये वाहन टैंकों को भी तबाह करने की ताकत रखता है. अमेरिका ने अपने सबसे शक्तिशाली स्ट्राइकर वाहन को भारत के साथ मिलकर बनाने का ऑफर दिया है. अमेरिका माइक्रोन सेमीकंडक्टर परीक्षण और असेंबली संयंत्र पर 82.5 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी, बाकी वित्त का इंतजाम सरकार करेगी. अमेरिकी कंपनी माइक्रोन गुजरात में सेमीकंडक्टर परीक्षण एवं असेंबली संयंत्र लगाएगी, कुल 2.75 अरब डॉलर का होगा निवेश.
इसके अलावा भारत में फाइटर जेट के इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए जीई एरोस्पेस ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए. डील के मुताबिक भारत इस अमेरिकी कंपनी ऐसे 30 ड्रोन खरीद रहा है. माना जा रहा है कि भारत के पास एमक्यू 9बी रीपर होने से हिंद महासागर और चीन के साथ लगी सीमा पर निगरानी क्षमताओं में इजाफा होगा. जनरल एटॉमिक्स से 30 एमक्यू-9बी रीपर ड्रोन खरीदने के लिए करीब तीन अरब डॉलर की रकम खर्च होगी. एमक्यू 9बी ड्रोन के दो वैरिएंट हैं, जिनमें स्काई गार्डियन और सी गार्डियन शामिल हैं. सी गार्डियन वैरिएंट भारत के तीनों सशस्त्र बलों के बेड़े में शामिल किया जाएगा. समुद्र की निगरानी हो या पनडुब्बी रोधी जंग, ये ड्रोन कई रोल में फिट है. पिछले दिनों सूत्रों ने जानकारी दी थी कि अमेरिकी कंपनी से खरीदे जाने वाले 30 ड्रोन में से नौसेना को 14 और वायुसेना और थलसेना को 8-8 ड्रोन मिल सकते हैं. एमक्यू-9 रीपर ड्रोन 500 फीसदी ज्यादा पेलोड ले जा सकता है और इसका हॉर्स पावर पहले के एमक्यू-1 प्रीडेटर की तुलना में नौ गुना है. लगातार निगरानी करने समेत कई प्रकार से इसकी क्षमता ज्यादा बताई गई है. एमक्यू-9 रीपर की क्षमता 27 घंटे से ज्यादा है. इसकी स्पीड 240 केटीएएस है. यह 50,000 फीट तक उड़ान भर सकता है और इसकी पेलोड क्षमता 3,850 पाउंड (1,746 किलोग्राम) है, जिसमें 3,000 पाउंड (1,361 किलोग्राम) के एक्सटर्नल स्टोर्स शामिल हैं. बता दें कि 2020 में भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में निगरानी के लिए जनरल एटॉमिक्स से दो एमक्यू-9बी सी गार्जियन ड्रोन एक साल की अवधि के लिए लीज पर लिए थे. बाद में लीज की अवधि बढ़ा दी गई थी.
जो वाइडेन कॉल में भी मोदी का डंका
पूरी दुनिया में पीएम मोदी का डंका बज रहा है, ऐसे में आप ये ज़रूर जानना चाहेंगे कि आखिर अमेरिका की स्टेट विज़िट यानी राजकीय दौरा, अलग क्यों होता है, क्यों इसे एक बड़े सम्मान के रूप में देखा जाता है। हम आपको बता दें कि पीएम मोदी दुनिया के तीसरे नेता बन गए हैं जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडेन ने स्टेट विज़िट का बेहद सम्मानजनक निमंत्रण दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8वीं बार अमेरिकी यात्रा पर हैं. साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से लेकर आजतक मोदी सरकार में भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों ने दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की की है. अपनी पिछली 7 अमेरिकी यात्राओं में पीएम मोदी ने रिश्तों की जो पिच तैयार की, अब उस पर खुलकर खेलने को वो तैयार हैं. खास यह है कि धरती अमेरिका की है लेकिन जोश हिंदुस्तान वाला है। पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से वहां रहने वाले भारतीय बेहद उत्साहित हैं…। लोगों का कहना है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में देश का मान सम्मान बढ़ा है…। अमेरिका के अलग अलग शहर भारतीय तिरंगे के रंग में रंग गए हैं। मोदी के ग्रैंड वेलकम की ये तस्वीरें पूरी दुनिया में भारत के बढ़ते वर्चस्व का डंका बजा रही हैं।
अमेरिकी कंपनी जीई एयरो स्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच करार हो गया है. अब जीई एयरोस्पेस और एचएएल मिलकर भारतीय वायुसेना के लिए लड़ाकू जेट इंजन बनाएगा. यह अति महत्वपूर्ण डील ऐसे समय हुई है जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की राजकीय यात्रा पर हैं. इस अहम डील से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा. यह समझौता महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भारत अभी तक रूस और यूरोपीय गठजोड़ से सैन्य जेट प्राप्त करता रहा है. हाल में भारत ने फ्रांसिसी लड़ाकू विमान निर्माता देसां से भारतीय वायु सेना के लिए राफेल लड़ाकू विमान खरीदा था. वहीं, जीई एयरोस्पेस उन्नत मध्यम श्रेणी के लड़ाकू विमान (एएमसीए) के एमके2 इंजन कार्यक्रम के लिए भारत सरकार से गठजोड़ जारी रखेगा.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे पर प्रथम महिला जिल बाइडेन को ग्रीन डायमंड गिफ्ट किया। 7.5 कैरेट के इस डायमंड को सूरत की लैब में तैयार किया गया। इसे सीवीडी टेक्नीक से तैयार किया गया है जो कि सबसे शुद्ध डायमंड बनाता है। ’इस हीरे को कार्बन वेपर डीपोजिशन यानी सीवीडी टेक्नॉलजी से बनाया गया है जो कि सबसे शुद्ध डायमंड तैयार करता है।’ ’कोहिनूर टाइप 2। शुद्ध हीरा था। सीवीडी टेक्नॉलजी भी उसी तरह के टाइप 2। शुद्ध हीरे तैयार करती है। इसी के साथ यह 7.5 कैरेट का डायमंड है जो आजादी के 75 साल का प्रतिनिधित्व करता है।’ इसी के साथ यह हीरा पर्यावरण के अनुकूल है।
मोदी तोहफे में दिखा भारत की विविधता
पीएम मोदी वॉशिंगटन डीसी स्थित व्हाइट हाउस पहुंचे तो अमेरिका के सर्वोच्च नागरिक और फर्स्ट लेडी के लिए नायाब तोहफे भेंट की। उन्होंने डॉ. जिल बाइडेन को लैब में तैयार किया गया 7.5 कैरेट का हीरा दिया. पीएम मोदी ने तोहफों के आदान-प्रदान के बाद ट्वीट करके लिखा, ’मैं राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन को शुक्रिया कहना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया और आवभगत की. हमने कई मुद्दों पर अच्छी चर्चा की.’ पीएम मोदी ने जो बाइडेन को चंदन की लड़की का हाथ से बना एक छोटा सा डिब्बा भी तोहफे में दिया. इस डिब्बे में भारत की विविधता समाई हुई थी. इस डिब्बे को बनाने में इस्तेमाल हुआ चंदन मैसूर (कर्नाटक) से था. इसे बनाया राजस्थान की राजधानी जयपुर के कारीगरों ने था. इस बॉक्स में भगवान गणेश की एक चांदी की मूर्ति थी जिन्हें सभी बाधाओं को खत्म करने वाला माना जाता है. इस मूर्ति को कोलकाता में चांदी का काम करने वाले एक परिवार की पांचवी पीढ़ी ने तैयार किया था.