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29 से भगवान भोलेनाथ के हाथों में होगी सृष्टि की कमान

29 जून को देवशयनी एकादशी है. इसे हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं. देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान श्रीहरि योगनिद्रा में जाते हैं और चातुर्मास की शुरुआत होती है. भगवान विष्णु के योगनिद्रा में जाने के बाद भगवान शिव संसार का संचालन संभालते हैं. इसीलिए चातुर्मास में और विशेषकर सावन महीने में भगवान शिव की भक्ति न सिर्फ हर कष्टों से मुक्ति दिलाती है, बल्कि सावन सोमवार के व्रत और शिव जी की आराधना हर मनोकामनाएं पूरी कर देती है. हालांकि इस अवधि में कोई भी शुभ काम नहीं किए जाते हैं. सिर्फ और सिर्फ पूजा-पाठ, भगवान की भक्ति ही विशेष पुण्यकारी होता है.

सुरेश गांधी

देवशयनी एकादशी आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को होती है. हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है. देवशयनी एकादशी के दिन किए गए उपाय मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की अपार कृपा बरसती है. हिंदू पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी तिथि की शुरुआत 29 जून की सुबह 03 बजकर 18 मिनट से होगी और 30 जून की सुबह 02 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी. यह व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा बहुत अधिक फलदायी मानी जाती है। लोग इस विशेष दिन पूजा, व्रत, जागरण और ध्यान करते हैं। मान्यता है कि इस एकादशी पर विष्णु भगवान् अपनी कृपा बरसाते हैं और भक्तों के द्वारा की गई पूजा और व्रत से वे अत्यधिक प्रसन्न होते हैं। मान्यताओं के मुताबिक, एकादशी का व्रत करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

देवशयनी एकादशी से शुरू होकर चार माह तक भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। देवउठनी एकादशी को वे योगनिद्रा से बाहर आते हैं, जिससे चातुर्मास का समापन होता है। चातुर्मास की अवधि आषाढ़ मास से शुरू होती है और कार्तिक की एकादशी के दिन समाप्त होती है। इस वर्ष, श्रावण पुरुषोत्तम मास के कारण चातुर्मास की अवधि दो माह तक बढ़ जाएगी, इसलिए चातुर्मास की कुल अवधि पांच माह होगी। चातुर्मास के दौरान, विशेष रूप से हिंदू धर्म में मांगलिक कार्यों का परिहार किया जाता है। लोग तपस्या, ध्यान, पूजा, व्रत और साधना में ज्यादा समय बिताते हैं। चातुर्मास को मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु की विशेष आराधना का समय माना जाता है। इस मास में तपस्या, दान, जप, पूजा और सेवा करने से धार्मिकता, आध्यात्मिकता और मानसिक शुद्धि मिलती है।

नहीं होंगें मांगलिक कार्य
चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्य जैसे मुंडन, उपनयन, विवाह आदि को रोक दिया जाता है। मान्यता है कि इस समय भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं और इसलिए व्यक्ति को उनका आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है, जिससे विघ्न होने का खतरा बना रहता है। राशि अनुसार श्रीहरि विष्णु की पूजा और उपाय किए जाए तो मनचाहा फल प्राप्त होता है.

मेष राशि – देवशयनी एकादशी पर मेष राशि वाले श्रीहरि को गुड़ का भोग लगाएं. मान्यता है ये आपके सौभाग्य में वृद्धि करेगा.

वृषभ राशि – इस राशि के लोग देवशयनी एकादशी पर विष्णु जी को वैजयंती माला अर्पित करें और फिर उनके मंत्रों का जाप करें. ये उपाय आपके सुख-संपत्ति में कभी कमी नहीं होने देगा.

मिथुन राशि – मिथुन राशि के लोग सुखी दांपत्य जीवन के लिए इस दिन गाय को हरा चारा खिलाएं और तुलसी के पौधे में गंगाजल अर्पित करें.

कर्क राशि – कर्क राशि के लोग देवशयनी एकादशी पर 7 हल्दी की गांठ चलाएं, ॐ ह्रीं हिरण्यगर्भाय अव्यक्तरूपिणे नमरू मंत्र का जाप करें.मान्यता है इस विधि से पूजा करने पर शत्रु कभी काम में बाधा नहीं डालेगा.

सिंह राशि – सिंह राशि के लोग धन लाभ के लिए विष्णु जी को स्नान के बाद पीतांबर चढ़ाएं, ॐ पीं पिताम्बराय नमरू मंत्र का एक माला जाप करें.

कन्या राशि – कन्या राशि के जातक इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें. संतान प्राप्ति के लिए ये उपाय कारगर है.

तुला राशि – तुला राशि के लोगों को एकादशी के दिन मुल्तानी मिट्टी का लेप भगवान विष्णु जी की तस्वीर पर लगाना चाहिए. ऐसा करने से आपके व्यक्तित्व में आकर्षण बढ़ेगा.

वृश्चिक राशि – करियर में कामयाबी पाने के लिए जगत के पालनहार विष्णु जी को शहद और दही का प्रसाद चढ़ाएं.

धनु राशि – धनु राशि वाले देवशयनी एकादशी विष्णु जी को नारियल चढ़ाएं और रात्रि जागरण कर अगले दिन इस नारियल से व्रत का पारण करे. ये उपाय रोग से मुक्ति दिलाएगा.

मकर राशि – मकर राशि वाले देवशयनी एकादशी पर सप्तधान का दान करें.ये उपाय विष्णु जी, पितर और शनि देव को प्रसन्न करेगा.

कुंभ राशि – कुंभ राशि के लोग देवशयनी एकादशी पर तुलसी माता को लाल चुनरी ओढ़ाएं.

मीन राशि – देवशयनी एकादशी पर आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए मीन राशि के लोग ब्राह्मण भोजन कराएं और गौशाला में दान दें. मान्यता है इससे समस्त कष्ट दूर होंगे

व्रत जरूर रखें
देवशयनी एकादशी के दिन व्रत जरूर करें। साथ ही भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा में विष्णु जी को तुलसी जल अर्पित करें। ध्यान रखें कि एकादशी से पहले ही तुलसी तोड़कर रख लें। एकादशी और रविवार के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने या तुलसी का पौधा छूने की मनाही होती है। इस दिन तुलसी के पौधे को जल भी न दें।

मां लक्ष्मी की पूजा
देवशयनी एकादशी के दिन मां लक्ष्मी की भी पूजा करें। साथ ही भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख से जलाभिषेक करें। इससे भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।

पूजा विधि
देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के दौरान एक रुपए का सिक्का विष्णु जी की फोटो के पास रख दें। पूजा के बाद इस सिक्के को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख लें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी। साथ ही धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कर लें और भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प लें। अब अपने पूजा घर को साफ करें और पीला आसन बिछा कर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। भगवान विष्णु की पूजा के लिए दीप-धूप जलाएं और अक्षत, पीले फल तथा पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु की षोढशोपचार पूजा करें। इस दिन सहस्त्रनाम का पाठ करना भी लाभदायक बताया गया है। पूजा के बाद फलाहार व्रत करें और दान दें। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ मंत्रों का जाप करना लाभदायक होता है।

मंत्रों का जाप
देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा के साथ मंत्रों का जाप करना भी लाभदायक होता है। भगवान विष्णु के मंत्र बहुत प्रभावशाली माने जाते हैं। मंत्रों के जाप से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। आप इस दिन इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।

सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्।
विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।।
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम।
विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं