नई दिल्ली : भारत के लिए आज का दिन बेहद खास है। चंद्रयान-3 शुक्रवार को चांद के दक्षिणी ध्रुव की उस सतह पर जाएगा, जिसके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है। पूरी दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय की इस पर निगाह है। यह अभियान हमारे लिए इसलिए और खास है, क्योंकि भारत की ‘रॉकेट वूमन’ के नाम से मशहूर लखनऊ की बेटी डॉ. रितु कारिधाल के इशारे पर चंद्रयान-3 श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष के लिए रवाना होगा। इसरो ने जानकारी दी है कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग की जिम्मेदारी इस बार वरिष्ठ महिला वैज्ञानिक डॉ. रितु को सौंपी गई है और वह चंद्रयान-3 की मिशन डायरेक्टर हैं। अभियान के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरा मुथुवेल हैं। इसके पहले डॉ. रितु मंगलयान की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर और चंद्रयान-2 में मिशन डायरेक्टर रह चुकी हैं। इस बार चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं बल्कि एक प्रोपल्शन मॉड्यूल है, जो किसी संचार उपग्रह की तरह काम करेगा।
पौराणिक कथाओं में जहां चंद्रमा को देवता, सौंदर्य और कलाओं का स्वामी माना गया है। वहीं शायरियों और कविताओं में चंद्रमा प्रेमी हृदयों के भीतर उपमा बनकर अलंकृत हुआ। आधुनिक विज्ञान की दृष्टि ने चंद्रमा को एक उपग्रह के रूप में देखा है। बीते लंबे समय से चंद्रमा इंसानों के लिए एक उत्सुकता का केंद्र बना रहा है। दुनिया की अलग-अलग सभ्यताओं ने चांद और सूरज को लेकर कई कल्पनाओं, मिथकों और कहानियों को अपने जीवन और परंपरा का हिस्सा बनाया। चांद और सूरज आसमान में प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले ऐसे उपग्रह और सितारे हैं जिन्हें रोजाना खुली आंखों से निहारते हुए मनुष्य मन के भीतर उन तक पहुंचने और उनके बारे में जानने की जिज्ञासा सहज पैदा होती रही है। सूरज अपनी दूरी और अपनी गर्म प्रकृति के कारण दुर्लभ बना हुआ है लेकिन चांद जो पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब है और हमारे ग्रह का उपग्रह कहलाता है उसने वह सारी संभावनाएं खुली रख छोड़ी हैं जिससे मनुष्य जाति चांद पर जाकर बसने और वहां कॉलोनियां बनाने का सपना देख सकती है।