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दिव्यांगजनों को हुनर दिखाने का सबसे बड़ा प्लेटफार्म है दिव्य कला मेला

दिव्यांग उद्यमियों और हस्तशिल्पियों के उत्पाद एवं शिल्प कौशल दिखाने का सबसे बड़ा प्लेटफार्म बन चुका है दिव्य कला मेला। इस मेले में जम्मू और कश्मीर, उत्तर पूर्वी राज्यों सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आकर्षक उत्पादों, जैसे हस्तशिल्प, हथकरघा, कढ़ाई के काम और पैकेज्ड फूड आदि का प्रदर्शन किया जाएगा, जो बिक्री के लिए भी उपलब्ध रहेंगे। यह मेला दिव्यांगजन के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक अनूठी पहल है। यह ’वोकल फॉर लोकल’ की अवधारणा को जन-जन तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम साबित हो रहा है। मेला प्रति दिन सुबह 10 बजे से रात 10 बजे खुला रहेगा। यहां देश के जाने-माने कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। देश के विभिन्न राज्यों के प्रसिद्ध फूड स्टॉल्स भी मेले का विशिष्ट आकर्षण होंगे, जिनका लुफ्त आमजन उठा पाएंगे। देश के कोने-कोने से आए कलाकारों को देखकर आप मुग्ध हो जाएंगे

सुरेश गांधी

फिलहाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा देशभर के दिव्यांग उद्यमियो, कारीगरों के उत्पादों और शिल्प कौशल को प्रदर्शित करने के लिए एक अनूठा ’दिव्य कला मेला’ आयोजन किया गया है। यह ’दिव्य कला मेला’ 15 से 24 सितंबर तक वाराणसी के मैदागिन स्थित टाउनहाल में आयोजित है। दावा है कि यह दिव्य कला मेला आगंतुकों के लिए एक रोमांचक अनुभव पेश करेगा। इसमें जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्वी राज्यों सहित देश के विभिन्न हिस्सों के जीवंत उत्पाद, हस्तशिल्प, हथकरघा, कढ़ाई के काम और पैकेज्ड फूड आदि एक साथ एक छत के नीचे नजर आएंगे। यह मेला दिव्यांगजन के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की एक अनूठी पहल है। दिव्य कला मेला दिव्यांगजन के उत्पादों और कौशल के विपणन और प्रदर्शन के लिए एक बड़ा मंच प्रस्तुत करता है। दिव्य कला मेला, वाराणसी में शुरू होने वाली मेलों की श्रृंखला में सातवां मेला है।

इसके पहले दिल्ली, मुंबई, भोपाल, गुवाहाटी, इंदौर व जयपुर में आयोजित किया जा चुका है। इस मेले में लगभग 20 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 100 दिव्यांग कारीगर, कलाकार और उद्यमी अपने उत्पादों और कौशल का प्रदर्शन करेंगे। इस मेले में गृह सजावट और जीवन शैली, कपड़े, स्टेशनरी और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद, पैकेज्ड भोजन और जैविक उत्पाद, खिलौने और उपहार, व्यक्तिगत सहायक उपकरण, आभूषण, क्लच बैग आदि उत्पाद होंगे। इस मेले में दिव्यांग कारीगरों द्वारा निर्मित उत्पादों को देखा व खरीदा जा सकता है। 10 दिवसीय ’दिव्य कला मेला’ सुबह 10.00 बजे से रात्रि 10.00 बजे तक खुला रहेगा। मेले में दिव्यांग कलाकारों और जाने-माने पेशेवरों के प्रदर्शन सहित सांस्कृतिक गतिविधियों की एक श्रृंखला देखने को मिलेगी। कार्यक्रम में आगन्तुक देश के विभिन्न क्षेत्रों के अपने पसंदीदा भोजन का आनंद भी ले सकते हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन 15 सितम्बर को सायं पांच बजे केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री, भारत सरकार डॉ. ए. नारायणस्वामी किया जायेगा। इस अवसर पर कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहेंगे।

विभाग के पास इस अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए भव्य योजनाएं हैं, जिसके फलस्वरूप देश भर में ’दिव्य कला मेलों’ का आयोजन किया जा रहा है। 2023-2024 के दौरान यह कार्यक्रम 12 शहरों में आयोजित किया जाएगा। दिव्य कला मेला दिव्यांगों के उत्पादों और कौशल के विपणन और प्रदर्शन के लिए एक बड़ा मंच प्रस्तुत करता है। दिव्य कला मेले में लगभग 20 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 100 दिव्यांग कारीगर, कलाकार और उद्यमी अपने उत्पादों को प्रदर्शित करेंगे। इसमें घर की सजावट और जीवन शैली, कपड़े, स्टेशनरी और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद, डिब्बाबंद भोजन और जैविक उत्पाद, खिलौने और उपहार, व्यक्तिगत सहायक उपकरण – आभूषण और क्लच बैग आदि श्रेणी के उत्पाद रहेंगे। इस 10 दिवसीय दिव्य कला मेला के उद्घाटन के पूर्व संध्या पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए आयोजक मंडल के चेयरमैन नवीन शाह ने बताया कि दिव्यांगजन को उद्यमी और शिल्पकार के रूप में विकसित करने का यह एक बेहतर अवसर है। इस तरह के मेलों और प्रदर्शनियों में दिव्यांगजनों को स्टॉल निःशुल्क आवंटित किये जाते हैं ताकि अपनी प्रतिभा को बड़े शहर और बड़े मंच में प्रदर्शित कर सके। देश के संपूर्ण विकास में समाज के सभी वर्गों का योगदान आवश्यक है और हम सभी मिलजुल कर दिव्यांगजन और समाज के कमजोर तबके के विकास के लिए काम करते हुए देश को एक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में ला सकते हैं। स्पेशल नीड बच्चों के लिए कई स्व्यंसेवी संस्थाएं काम कर रही हैं। मेले में नागदा और खजुराहों के कई ऐसे बच्चों के प्रडोक्ट्स आएं हैं।

खास बात ये है कि ये प्रोडक्ट्स एनवायरमेंट फ्रेंडली हैं। इसमें एक ऐसा पेन आया है जो पूरी तरह पेपर से बना है और इसे इस्तेमाल करने के बाद मिट्टी में लगाने से पौधा उग जाता है। वहीं ई-वेस्ट से भी कई डेली यूज प्रोडक्ट्स बनाएं हैं। मेले की खास बात यह है कि यहां पर दिव्यांग कलाकारों की तरफ से निर्मित उत्पादों की खरीदी-बिक्री भी होगी। यहां आए कलाकारों में से कोई देख, सुन नहीं सकता, तो कोई चल नहीं सकता। खास बात यह है कि इन सभी के अंदर कला कूट-कूटकर भरी है। दिव्य कला मेले में घर सज्जा, लाइफस्टाइल, कपड़े, स्टेशनरी और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद, खाद्य और जैविक उत्पाद, खिलौने और उपहार, व्यक्तिगत उपकरण, आभूषण आदि उपलब्ध हैं। यहां पर जम्मू-कश्मीर से आए कलाकार की तरफ से कपड़ों में शॉल भी आकर्षण का केंद्र होंगे। दोनों पैरों से दिव्यांग कलाकार इन कपड़ों को बनाए हैं। इन कपड़ों और शॉलों को देखकर कोई भी मुग्ध हो सकता है। दिव्यांगजन को उद्यमी और शिल्पकार के रूप में गढ़ने के लिए केंद्र सरकार की तरफ इस मेले में दिव्यांगजनों को निःशुल्क स्टॉल आवंटित किए गए हैं। इसका लक्ष्य यह है कि दिव्यांगजन कलाकार अपनी प्रतिभा को बड़े शहर और बड़े मंच में प्रदर्शित कर सकें। यहां पर प्रदर्शित किये जा रहे सभी उत्पाद पर्यावरण संरक्षण करने वाले हैं।

आयोजकों ने बताया कि भारत सरकार के केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की तरफ दिव्यांगजनों को हर संभव सहायता प्रदान करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य ये ऐसे मेले आयोजित किये जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने विशेष रूप से दिव्यांगजनों के बीच उद्यमिता और शिल्प कौशल को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं। इसी के तहत दिव्यांग भाइयों और बहनों को प्रशिक्षण, कौशल और वित्त प्रदान करने के उद्देश्य से यह आयोजन किया जा रहा है। इसमें दिव्यांग कलाकारों और जाने-माने पेशेवरों के प्रदर्शन सहित सांस्कृतिक गतिविधियों की एक श्रृंखला देखी जाएगी। कार्यक्रम में पर्यटक देश के विभिन्न क्षेत्रों के अपने पसंदीदा भोजन का आनंद भी ले सकते हैं। घर की साज सज्जा, ऊनी, सूती व रेशमी कपड़े, विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ, ऑर्गेनिक खाद्य सामग्री, जूट से बने सामान, हस्तशिल्प व हथकरघा के सामान, पश्मीना शॉल, जूते, ज्वैलरी, लकड़ी के सामान, खिलौने और हर राज्य के खाने पीने के 80 स्टाल लगाए गए हैं। पहली बार दिव्यांग हस्तशिल्पियों, कलाकारों के लिए दिव्य कला मेले की शुरूआत की गई है, दिन बीतने के बाद शाम होते ही टाउनहाल की रंगबिरंगी लाइटों के बीच यह मेला और खिल जाता है।

दिव्यांगजन स्कीम के तहत इन कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर हुनर दिखाने का मौका मिला है। किसी देश की ताकत देखनी है तो उस देश के सबसे कमजोर तबके के विकास की तरफ देखना चाहिए। टाउनहाल में आकर अपने देश के दिव्यांगजनों की ताकत को देखा जा सकता है। मेले में हौज खास से एनएबी इंडिया नाम से दृष्टिबाधित महिलाओं के समूह ने स्टाल लगाया है, ये किसी शरीर को छूकर दर्द पहचान लेती हैं। विशेष थेरेपी के माध्यम से उस दर्द को खत्म करने का हुनर जानती हैं। यहां 22 राज्यों के ब्लाइंड आर्थोपैडिक कलाकार आए हैं। जुनैद अली और सपना जापानी मैनुअल थेरेपी के माध्यम से शरीर का दर्द पहचान लेती हैं, नसों को दबाकर 20 मिनट थेरेपी कर दर्द से निजात दिलाती हैं। कई दिव्यांग यहां पर अपने उत्पाद को बनाकर भी लोगो को दिखा रहे हैं। वाराणसी में पहली बार हो रहे मेले से दिव्यांग कलाकारों के मनोबल को पंख लगेगा है। देशभर के दिव्यांगजनों को मेले में बेहतरीन मार्केटिंग प्लेटफार्म मिलेगा।