Sunday , May 5 2024

हे जगजननी, रणचंडी, रण में शत्रुनाशिनी मां दुर्गे

द्भुत व अलौकिक काशी में जगत जननी आदिशक्ति माता दुर्गा पूजा की धूम है। दुर्गोत्सव के उल्लास में पूरा शहर सराबोर है। हर तरफ भक्ति का उत्सव दिख रहा है। माता के दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। पूजा पंडाल की खूबसूरती और मां दुर्गे का अलौकिक रूप देखकर हर कोई भावविभोर हो रहा है। हर चेहरे पर उमंग और उत्साह है। महानवमी यानि सोमवार को हर तरफ भक्तों की कतार लगी रही। पंडालों की खूबसूरती सबका मन मोह रही है। रात में कृत्रिम प्रकाश से परिसर जगमगा रहा है। रोशनी से नहायी जगमग पंडाल अपनी भव्बता बिखेर रहे है। मेले में पग-पग पर उल्लास बिखरा है। खासकर बच्चे काफी उत्साहित हैं। लोग झूले का आनंद ले रहे हैं। चमचमाती रोशनी में मां का दर्शन हर किसी को उत्साहित कर रहा है। पंडालों की झांकियों में कहीं शिव परिवार के साथ तो कहीं राक्षसों का वध करती मां दुर्गा बरबस अपनी ओर लोगों का मन मोह रहे है। मां सिद्धिदात्री मंदिर एवं विंध्यधाम में आस्था का रेला उमड़ा।

सुरेश गांधी

मां विन्ध्यवासिनी धाम हो या काशी के माता मंदिर या फिर अन्य देवी मंदिर सब जगह भक्तों का अंबार लगा है। अनगिनत पंडालों में भी मां दुर्गा भक्तों को साक्षात दर्शन दे रही है। देवी दुर्गा के पंडालों की रौनक देखते ही बन रही है। रात की रोशनी दिन के उजाले को फीका कर रही है। चारों ओर लोग मां दुर्गा की भक्ति में डूबे हुए नजर आ रहे है। धूम-धड़ाके नाच-गाने के बीच मां के जयकारे गूंज रहे है। हाल यह है कि रौनक, रौशनी और भक्ति का ऐसा रंग काशी के कण-कण में ऐसे रच बस चुका है जो देखते ही बन रहा है। कहीं मां दुर्गा की प्रतिमा अनोखी है तो कहीं उनका साजो-श्रृंगार, लेकिन इन सबके बीच कुछ ऐसे भी पंडाल हैं जो न केवल पूजा-पाठ, सजावट के तौर पर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं बल्कि समाज में फैली बुराइयों का एक दर्पण दिखाकर लोगों को एक सामाजिक संदेश भी देने का काम कर रहे हैं।

जगह-जगह जगराते व गरबा-डांडिया भी हो रहे हैं। सोमवार को दुर्गापूजा घूमने आएं श्रद्धालुओं की भीड़ ऐसी थी कि सड़क पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद थी, फिर भी लोगों के हुजूम से सड़क पटा था। निर्मल-शास्वत, उत्सवी रंग में डूबा, सतरंगी रोशनी में नहाया काशी का चप्पा-चप्पा, सृष्टि की देवी, त्रिनेत्र धारणी मां जगदंबा की भक्ति में लीन-तल्लीन कोना-कोना, मइया के चरणों पर रखे ज्वार अंकुरित होकर प्रष्फुटित हो चुके है, तो मां के दर्शन के लिए भक्तों की उत्कंठा भी हिलोरे मारती रही। धूप-नवेद सुगंधित वातावरण, ढोल-ढाक, करताल के बीच मंत्रों से गुंजायमान गली-कूचा। पूरे शर में कौतूहल, भवानी के दर्शन में कहीं न पीछे न छूट जाय, हर कदम बरबस पूजा पंडालों की ओर दिखाई दी। शहर के पूजा पंडाल एक से बढ़कर एक कहीं भारतीय संस्कृति की झलक तो कहीं भारतीय वास्तु कला का अद्भूत नजारा तो कहीं पौराणिक विरासत को याद कराती कलाकृति, इनकी भव्यता, सुंदरता ऐसी की हर कोई निहारता ही रह गया।

कलाकारों की दक्षता-क्षमता पर इतराते लोग, बच्चों को कलाकृति की गुत्थियां समझाते बुजुर्ग, हर कदम पूजा पंडाल के पास जाकर ठीठक जाते। रातभर शहर गुलजार रहा। सेल्फी लेने की होड़ मची हुई है। लोग मेला का भी आनंद उठा रहे हैं। बच्चे झूले का मजा ले रहे हैं। महिलाएं लजीज व्यंजनों का लुफ्त ले रही है। खुशनुमा मौसम के कारण पूजा की भव्यता और बढ़ गई है। भक्त मां के दिव्य स्वरूप का दर्शन करने के लिए विभिन्न पंडालों का भ्रमण कर रहे हैं। मां के अद्भुत और दिव्य स्वरुप को देखकर भक्त निहाल हो जा रहे हैं। श्रद्धा भाव से सबके शीश मां के आगे झुक जा रहे हैं। आशीर्वाद पाने की तमन्ना ऐसी की दर्शन को सुबह से शाम तक कतार में लग रहे है। पंडालों में मां भक्तों को साक्षात दर्शन दे रही है। हर ओर पूजा व भक्ति का माहौल है। धूप-नवेद मां के चरणों की खुशबू लेकर चर्तुदिक भक्तों को जैसे मदमस्त कर रहे है। ुर्गोत्सव में सराबोर कोना-कोना खिल रहा है। भव्य पूजा पंडाल की छटा निराली है। अपनी कल्पना को सधे कलाकारों ने ऐसा उकेरा है कि धर्म एवं आस्था की नगरी काशी की धरती पर दूर-दूर की कलाकृतियां व धरोहर अवतरित हो गए है। रात की छटा तो स्वर्गिक है। विद्युत सज्जित तोरण द्वार दानव संहारिणी दुर्गा की दरबार की भव्यता बखान कर रहे है। सभी पंडालों को देखने की कौतूहल देर रात सड़कों पर चहल-पहल में तब्दील कर दी है।

हर सड़क पर भक्तों का रेला उमड़ रहा है। भगवती के दर्शन से भक्तों का जीवन निहाल हो रहा है। कई जगहों पर पूजा पंडालों के आसपास मेलों ने भी अपनी जगह बना ली है। झूला, घोड़ा, गाड़ी की चक्कारी तो कहीं इलेक्ट्रानिक चलित मां का दरबार का जलवा है। दर्शनार्थी आकर्षक तरीके से सजे कहीं राम मंदिर, तो कहीं बाबा केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर बने भव्य पूजा पंडाल को एकटक निहार रहे है तो कहीं कारीगरों की इस अनोखी कलाकारी को दाद दे रहे है। आकर्षक विद्युत साज-सज्जा सुंदरता व भव्यता में चार चांद लगा रही है। इधर शारदीय नवरात्र के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की गई। ढोल, ढकी और घंटी की धुन के बीच पूजा प्रारंभ की गई। सभी देवी देवताओं का आह्वान कर भगवान गणेश सहित अन्य देवी देवता की पूजा अर्चना के बाद मां की पूजा की गई। इसके बाद चंडी पाठ कर पुष्पांजलि व आरती की गसी। पूजा पंडालों में खीर और खिचड़ी का महा भोग लगाया गया। कुल मिलाकर माता की आराधना में पूरा शहर लीन है। जगह-जगह जगराते व गरबा-डांडिया भी हो रहे हैं।

शाम हो या आधी रात, मेले की रौनक बनी रही। देवी दर्शन को सड़कों पर रेला लगा रहा। पूजा पंडालों के अंदर जितनी भीड़ थी, बाहर उससे ज्यादा लोग दर्शन को आतुर थे। कोई खरीदारी में मग्न, कोई खाने-पीने में तो काई माता की एक झलक पाने के लिए बेताब। दिन से शाम तक सोमवार को कुछ ऐसा ही नजारा था काशी में सजे दुर्गापूजा पंडालों का। जैसे-जैसे शाम गहराती गई लोगों की भीड़ भी बढ़ती गई। संध्या आरती संग एक ओर भक्ति की धार बही तो दूसरी ओर आस-पास लगे विविध स्टॉल वालों की किस्मत भी चमक उठी। बात खिलौने के स्टॉल की हो या फूड स्टॉल की। इन सभी दुकानों पर इतने लोग जुटे थे कि दुकानदारों के लिए इनको संभालना मुश्किल हो रहा था। गहराती शाम संग रंगीन लाइटों से सजा पूजा पंडाल व आस-पास का माहौल भी जगमगा उठा। पूजा पंडाल की खूबसूरती व भव्यता के साथ मां की प्रतिमा को भी लोग देर तक निहारते नजर आए। आरती की, प्रसाद चढ़ाया और ढेर सारा आर्शीवाद लेकर एक ओर लोग जाते रहे तो दूसरी ओर नए लोग जुटते रहे। यही सिलसिला देर रात तक चलता रहा। सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वेशक्तिसमन्विते। भयेभ्यस्त्रहि नो देवि दुर्गे देवि नमोùस्तुते।।