Saturday , May 18 2024

अन्नकूट महोत्सव में दर्शन करने के लिए उमड़ा आस्थावानों का रेला

बाबा विश्वनाथ धाम में 21 कुंतल लड्डुओं का चढ़ा प्रसाद
स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दरबार में सजी छप्पन भोग की झांकी

सुरेश गांधी

वाराणसी : अन्नकूट महोत्सव के मौके पर चाहे बाबा विश्वनाथ धाम हो या माता अन्नपूर्णा मंदिर हर जगह अन्नकूट देखने के लिए भक्तों की कतार लगी रही। लोग घंटों में लगकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते दिखे। बाबा विश्वनाथ धाम में 21 कुंतल लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाया गया। जबकि स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के दरबार में छप्पन भोग की झांकी सजी. अन्य देवालयों में भी भगवान को कूटे हुए अन्न से खुद बनाए गए 56 प्रकार के मिष्ठान-पकवान का भोग अर्पित किया गया। बता दें, दीपावली के दूसरे दिन राम-राम के दिन एकम को अन्नकूट महोत्सव का आयोजन होता है। लेकिन इस दिन सोमवती अमावस्या होने से अन्नकूट महोत्सव का आयोजन मंगलवार को किया गया। दोपहर बाद दर्शन के लिए कतारबद्ध श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ धाम व स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दरबार में अन्नकूट की झांकी देख निहाल हो गये. दोनों जगहों पर मंदिर के गर्भगृह में लड्डूओं से मंदिर बनाया गया. मध्याह्न भोग आरती के बाद भोग प्रसाद भक्तों में वितरित किया गया।

मंगला आरती के बाद काशी विश्वनाथ दरबार में 21 कुंतल लड्डूओं से भव्य मंदिर बनाया गया. इसकी तैयारी मंदिर बंद होने के बाद शुरू कर दी गई. कई कुंतल देशी घी के लड्डू सहित दाल-चावल, पूड़ी-सब्जी और विभिन्न प्रकार के मेवे और फल का भोग बाबा विश्वनाथ को लगाया गया. दरबार में अन्नकूट की झांकी दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी. शहर के अन्य मंदिरों काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित ढुंढिराज गणेश, शनि मंदिर, कैलाश मंदिर, अक्षयवट हनुमान मंदिर, साक्षी विनायक मंदिर, विशालाक्षी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भी अन्नकूट श्रृंगार में छप्पन भोग की झांकी सजाई गई. दर्शन पाने के लिए घंटों पहले से ही श्रद्धालु कतारबद्ध रहे. श्रद्धालुओं ने अन्नकूट का भोग-प्रसाद मंदिर परिसर के अन्नक्षेत्र में ग्रहण किया. अन्न से बनाए गए मिष्ठान्न को प्रसाद के रूप में पाने की श्रद्धालुओं में होड़ मची रही ।

काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी विग्रह का दर्शन अब अगले वर्ष धनतेरस पर्व पर मिलेगा. वर्ष में सिर्फ चार दिन लेकिन इस बार पांच दिन स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन श्रद्धालुओं को मिला है. संकटमोचन मंदिर, मां दुर्गा मंदिर, शनिदेव मंदिर, महामृत्यंजय, गोपाल मंदिर, मणिमंदिर, राम जानकी मंदिर, काल भैरव, दुर्गा मंदिर, बटुक भैरव, कालिका मंदिर, अक्षयवट हनुमान मंदिर, विशालाक्षी देवी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में मिठाइयों का ‘पहाड़’ सजने से करीब 200 क्विंटल मिठाई खप गई। अन्नकूट की झांकियां देखने के लिए पूरे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। दोपहर के समय मंदिरों में कच्चे भोजन का प्रसाद भक्तों में बांटा गया। धनतेरस के दिन से चल रहे मां अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन का मंगलवार को आखिरी दिन रहा। देर रात मंदिर के कपाट अगले धनतेरस के दिन तक के लिए बंद कर दिए जाएंगे। अन्नकूट पर 5 हजार से अधिक भक्तों को मां के प्रसाद के रूप में भोजन कराने की व्यवस्था की गई थी। देवी अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर है। मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार, अन्नकूट का पर्व मनाने से इंसान को लंबी आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

बाबा विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि प्राचीन काल में ब्रज में संपूर्ण नर-नारी अनेक पदार्थों से इंद्र का पूजन करते और नाना प्रकार के सभी रसों से परिपूर्ण 56 भोग का भोग लगाते थे। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बाल्यावस्था में ही इंद्र की पूजा को निषिद्ध कर गोवर्धन की पूजा कराई। स्वयं ही दूसरे स्वरूपों से गोवर्धन बन कर अर्पण की हुई संपूर्ण भोजन सामग्री का भोग लगाया। यह देख कर इंद्र ने ब्रज पर प्रलय करने वाली वर्षा की लेकिन भगवान श्रीकृण ने गोवर्धन पर्वत को हाथ पर रख कर ब्रजवासियों को उसके नीचे खड़ा कर बचा लिया तब से कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजनोत्सव व अन्नकूट मनाने की परंपरा चली आ रही है।

उन्होंले बताया कि अन्नकूट का पर्व श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें पिछले कई दिनों से मंदिर में मिठाइयों और व्यंजनों को बनाने का कार्य शुरू हो जाता है। दोपहर की भोग आरती के पश्चात सभी व्यंजन बाबा को अर्पित किया जाता है और अगले दिन से इस प्रसाद के वितरण का कार्य मंदिर द्वारा किया जाता है। इस बार मंदिर का प्रसाद मंदिर के हेल्प डेक्स काउंटर से भी रसीद काटा कर प्राप्त किया जा सकता है। अन्नपूर्णा मंदिर में 501 क्विंटल कच्चा-पक्का भोग अर्पित किया गया। जबकि दुर्गा मंदिर में सौ क्विंटल, काशी विश्वनाथ मंदिर में 21 क्विंटल, राम मंदिर व गोपाल मंदिर में 51- 51 क्विंटल, कालभैरव, बटुक भैरव और श्रीकृष्ण मंदिर में 21-21 क्विंटल के भोग प्रभु को किया गया।