Saturday , May 18 2024

व्रती महिलाओं ने उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य देकर किया पारण

गाजे-बाजे का साथ थाल सजाकर पूजी गई छठ माता
हर घाट पर मेले जैसे माहौल, बच्चों ने की आतिशबाजी

सुरेश गांधी

वाराणसी : सोमवार को सुबह सूर्य पूजा के छठ महापर्व पर आस्था का अनूठा संगम दिखाई दिया। सरोवरों, तालाबों, कुंडों व नदी-नहरों के किनारे साक्षात देव सूर्य को व्रती महिलाओं ने अर्घ्य देकर सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की। घाटों पर गूंज रहे छठ मईया के पुरबिया गीत ‘जय हो सुरुज बाबा की.. दोहाई दीनानाथ.. आपन अर्घ्य स्वीकार करीं देवता आ पूरा करीं मनसा हमार’ वातावरण को सरस भक्तिमय बना रहे थे। हर घाट पर मेले जैसे माहौल था। बच्चों ने आतिशबाजी भी की। इसी के साथ चार दिवसीय व्रत का पारण कर पर्व का समापन किया गया।

घाटों के किनारे रात से ही खड़ी व्रती महिलाओं के ललाट पर सिंदूर, हाथों में जल कलश व कलश पर घृत दीप दमक रहे थे। नजर उगते सूर्य का दीदार करने को आतुर थी तो जुबां सूर्य देव व छठ माता को समर्पित गीत, भजन व मंत्र पाठ कर रहे थे। नदिया के घाट पे देहली अरघिया हो बेटा लागी, ए करेला छठ बरतिया हो बेटा लागी, केहू मांगे अन-धन केहू अंखियां के जोति, मइया से मांगि हम मंगियां के मोती, ए करीला छठ बरतिया हो बेटा लागी, केलवा जो फरेला घबद से, ओह पर सुगा मेड़राय, सेविले चरन तोहार हे छठी मइया, महिमा तोहर अपार., ‘कांचहि बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय’, लाल हमार जिए हजार साल, ए सूरुज देव.. बरसाई किरपा के किरन हे सुरुज देव.. आदि गीत गूंज रहे थे। काशी के घाटों पर एक ओर गंगा तो दूसरी ओर आस्था हिलोरें ले रही थी। नजर जिधर भी गयी छठ का सौंदर्य था। व्रती महिलाएं मंगलगान के बीच जल में कमर तक खड़ी थीं और सूर्य की ओर मुंह किए भक्तिभाव से लबालब थीं।

सुरुज महाराज को अर्घ्य दान की तैयारियां तो तीन दिन पहले से चल रही थीं, लेकिन सुबह से ही इस अभियान में गजब की जान आ गई। व्रतियों ने सपरिवार छठ मइया का गीत गाते चढ़ावे के लिए मीठे पकवान बनाए। कुछ पुण्य बटोर लेने की कामना से पड़ोसियों व नाते रिश्तेदारों ने भी इसमें सुर मिलाए और सहकारिता के हाथ बढ़ाए। पूजन के डाल की साज संभाल के साथ इसे और भी समृद्ध किया। साज श्रृंगार, हथेली की ओट में दीप व पुष्प हार, गीतों की फुहार के बीच सूप, दौरी, दौरा में दीप से निकल रही आस्था की लौ सूरज देव की ओर खिंची जा रही थी। घाट आदि पर पहुंचने वाले सभी मार्ग पैदल चलने वालों से पटे रहे।

व्रती महिलाएं नवीन परिधानों व आभूषणों के साथ सोलह श्रृंगार किये समूह व परिवार के सदस्यों के साथ घाटों व सरोवरों पर दिखी। जिनकी मन्नतें पूरी हुई थी वह नगाड़ा, ढ़ोल, बैंड बाजा, शहनाई आदि के साथ झूमते नाचते प्रभु व मां छठी की उपासना को पहुंचे। वहीं दंडवत करते भी कई भक्त तट पर पहुंचे। सूर्य के पूरब दिशा में ठिठकते-ठिठकते छठ मइया के प्रति अगाध श्रद्धा रखने वालों से घाट भर गए। पहले से छेंकी और संवारी वेदियों को गंगा जल से शुद्ध किया। चार गन्ने को खड़ा कर घेरा बना कर पूजन का डेरा सजाया। कलशे में गंगा जल भर कर उस पर दीप जलाया और कमर भर जल में साधनावत हुईं। भगवान सूर्य के उगते ही सूप व डलिया को गंगा जी से स्पर्श कराया। दूध जल की धार सुरुज महाराज को समर्पित की और एक दूसरे को सिंदूर लगाकर अक्षय सुहाग की कामना की।

10 हजार आस्थावानों को पिलाई चाय

न्यू नवयुवक संघ समिति, गोलघर कचहरी वाराणसी के सदस्यों ने सोमवार को लोक पर्व छठ के मौके पर शास्त्री घाट वरुणा पुल पर पहुंचे व्रतियों के परिजनों सहित 10,000 से अधिक श्रद्धालुओं को निशुल्क चाय वितरण की व्यवस्था की। सुबह के ठंड में घाट पहुंचे आस्थावनों ने गरमागरम का चाय का आंनद लिया। सहयोगकर्ता मनीष गुप्ता, चंदन गुप्ता, आर्यन मोदनवाल, कुंदन गुप्ता, आनंद मोदनवाल, रोहित गुप्ता, रावेश गुप्ता, सागर कुमार, रिक्की, विक्रम सिंह, बलवंत सिंह आदि ने बताया कि वे हर साल निशुल्क चाय वितरण की व्यवस्था करते है।