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फिल्म महोत्सव में अवार्ड पाकर चहके कलाकार, अभिनेत्रियां

आईएफएफसी 6 का पुरस्कार वितरण के साथ समाप्त हुआ फिल्म महोत्सव
अन्तर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव में दिखी विश्व की संस्कृतियों व सैरसपाटों की झलक

सुरेश गांधी

वाराणसी : छठवां सांस्कृति पर्यटन का अन्तर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव रविवार को पुरस्कार वितरण के साथ समापन हो गया। इस मौके पर जूरी चीफ और प्रसिद्ध अभिनेत्री देबाश्री रॉय, अभिनेता सुधीर पांडे, मनीष तिवारी (निर्माता-निर्देशक), मधुरिमा तुली (अभिनेत्री और मॉडल), विनोद गनात्रा (निर्माता-निर्देशक) अशोक कुमार बर्मन आई.ए.एस. (रि), के अलावा समापन समारोह की गेस्ट ऑफ ऑनर भाभी जी घर पर हैं, की प्रसिद्ध अभिनेत्री सौम्या टण्डन मौजूद रही। इस मौके पर कुल दस पुरुस्कार वितरीत किए गए। स्टूडेंट जो जूरी में थे उनमें सर्वश्रेष्ठ जूरी होने का गौरव तीन स्टडेंट्स और उनके कॉलेज मिला है, जिसमें हैं मिस कोमल रॉय, हिम्स कॉलेज ऑफ नरसिगं एंड पैरामैडिकल, मिस्टर भानू प्रताप, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, एवं ईश्वर प्रताप सिंह, उदय प्रताप ऑटोनोमस कॉलेज। इन सभी कॉलेजस जहां के ये स्टूडेंट्स हैं उन कॉलेजस को भा ट्रॉफीज़ से नवाज़ा गया है।

आईएफएफसी अंतर्राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरुस्कार भारतीय फिल्म अमृत मंथन को। “अमृत मंथन“ डॉक्यूमेंट्री फिल्म प्रयागराज कुंभ पर्व पर आधारित है। इस फिल्म में कुंभ पर्व की खासियत के तौर पर प्रयागराज कुंभ की धार्मिक मान्यताओं, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का वर्णन किया गया है। आईएफएफसी सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए फिल्म इंडियास ग्रैंड फेस्टिवल दुर्गा पूजा को चुना है। दुर्गा पूजा माँ दुर्गा और नवरात्रि के महत्व और महत्ता को पुनः स्थापित करने का प्रतीक है।

आईएफएफसी पर्यटन पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म, इरान की फिल्म दुबई – द मिडल ईस्ट बीटिंग हार्ट रही। यह 2023 में दुबई के कला व्यवसाय और यात्रा क्षमता के बारे में एक वृत्तचित्र है क्योंकि दुबई मध्य पूर्व का धड़कता दिल जो है। आईएफएफसी संस्कृति पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरुस्कार पाया भारत की फिल्म मुखो शिल्पो, द मास्क मेकिंग ट्रेडिशन ऑव माजुली ने। ये डॉक्यूमेंट्री का उद्देश्य 16वीं सदी के सुधारक और दार्शनिक महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव द्वारा आविष्कृत प्राचीन शिल्प कौशल को सामने लाती।

आईएफएफसी उत्तर प्रदेश की सर्वश्रेष्ठ फिल्म केवल उत्तर प्रदेश के फिल्म निर्माताओं या उत्तर प्रदेश विशेष पर बनी कोई फिल्म के लिए दिया जाता है और ये पुरस्कार हासिल किया फिल्म स्पैन की फिल्म वाराणसी रोड ने। फिल्म का लुब्बो लुबाब कुछ इस तरह है – मैड्रिड में अपने जीवन से तंग आकर सैमुअल कई महीनों की भारत यात्रा पर जाता है। जब वह लौटता है, तो उसकी आत्म-खोज की यात्रा जारी रहती है, वह एक ऐसे शहर में अपना स्थान ढूंढने की कोशिश करता है जो अब उसे अजीब लगता है। आईएफएफसी एनीमेशन की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरुस्कार दो फिल्मों में बंटा जिसमें पहली है भारत की कुमारतुली।

फिल्म का सारांश कुछ इस प्रकार अपने कुशल कुम्हार दादा, तापस चंद्र पाल, के दुर्गा पूजा के वार्षिक ऑर्डर पूरा करने से पहले ही निधन हो जाने के बाद, रूपक ने अनुभव की कमी के बावजूद बकाया ऑर्डर को पूरा करने के लिए इस व्यापार को अपना लिया। समय ख़त्म होने के साथ, रूपक को अपने दादा की विरासत का सम्मान करने और अपने परिवार के मिट्टी के बर्तनों के व्यवसाय को जीवित रखने की एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ता है। और दूसरी बेस्ट फिल्म इन एनीमेशन केटेगरी में अंगोला की फिल्म द एडवेंचर्स ऑव प्रिंसेस मिराबिलिस रही। इस फिल्म का उद्देश्य अंगोला में मौजूद इतिहास, संस्कृति, पर्यटक स्थलों, आदतों और रीति-रिवाजों और नस्लीय और जातीय बहुलता को दिखाना है।

आईएफएफसी जूरी पुरस्कार के लिए जूरी ने भारत की डिसर्निंग इंडियाः यक्षगान को चुना है। यक्षगान एक जीवंत और अद्वितीय पारंपरिक कला है जो भारत के कर्नाटक के तटीय जिलों और केरल के कासरगोड जिले में किया जाता है। यह नृत्य, संवाद और संगीत का मिश्रण है। यह कला आमतौर पर भारत के महान महाकाव्यों- महाभारत और रामायण की कहानियों को दर्शाती है। यह क्षेत्र में शिक्षा, मनोरंजन और सामुदायिक सहभागिता के स्थल के रूप में कार्य करता है। नई दो कैटैगरी जिसमें पहली थी यूपी फिल्म चैलेंज जो केवल उत्तर प्रदेश के उभरते फिल्मकारों के लिए दस दिन की अवधि में उत्तर प्रदेश के पर्यटन पर फिल्म बनाना था, जिसे जीता है फिल्म कानपुर के फिल्मकार ने और फिल्म का टायटल है नीबिया खेड़ा। बता दें, इसमें जहां फिल्मों के प्रदर्शन रहे और साथ ही फिल्मकारों और फिल्मी हस्तियों का तांता लगा था, वहीं फिल्मोत्सव के पहले दिन प्रकाश झा जैसे दिग्गज फिल्म निर्देशक पूरे दिन दर्शकों के साथ, दर्शकों के बीच रहे तो वहीं अश्विनी तिवारी अय्यर (फिल्म निर्देशक), वरुण शेट्टी (फिल्म निर्माता), रूमी जाफरी (लेखक निर्देशक) जो बोर्ड ऑफ जूरी के सदस्य भी थे। पूर्व माननीय मंत्री सूचना प्रसारण व अल्पसंख्यक मंत्रालय भारत सरकार, श्री मुख्तार अब्बास नकवी के साथ मंचासीन रहे थे।