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Transform : पूर्वांचल में सहकार से समृद्धि लाएगी बनास काशी संकुल

पीएम मोदी 23 फरवरी को अमूल बनास डेयरी प्लांट का उद्घाटन करेंगे

सुरेश गांधी

वाराणसी : धर्म एवं आस्था की नगरी काशी की कायापलट करने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हरसंभव कोशिश में जुटे है। इसी कड़ी में ‘बनास डेयरी संकुल’ पूर्वांचल के लिए मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 फरवरी को अमूल बनास डेयरी प्लांट का उद्घाटन करेंगे। इस मौके को खास बनाने के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही है। दावा है कि मोदी के इस कार्यक्रम में वाराणसी सहित पूर्वांचल के एक लाख से अधिक गोपालक और किसान मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम की थीम ’पूर्वांचल के विकास में सहकार का प्रयास’ है। इसमे प्रधानमंत्री पूर्वांचल के विकास की कुछ अन्य परियोजनाओं की भी चर्चा एवं लोकार्पण करेंगे।

बता दें, पूर्वांचल में विकास को एक नई गति प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को बनास काशी संकुल की आधारशिला रखी थी। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण फूड पार्क, कारखियां, वाराणसी में 30 एकड़ भूमि में फैले 475 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस डेयरी का निर्माण 2 साल में पूरा भी कर लिया गया है। दावा है कि ’बनास डेयरी संकुल’ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और क्षेत्र के किसानों के लिए नकदी कमाई का जरिया बनेगा। इसमें रोज़ाना 5 लाख लीटर दूध के प्रसंस्करण की सुविधा होगी. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और क्षेत्र के किसानों को प्रगति के नए अवसर मिलेंगे।

बनास डेरी 81,750 लोगों को दे रही रोजगार : शंकर भाई चौधरी

बनास डेयरी के चेयरमैन शंकर भाई चौधरी के मुताबिक इस डेयरी से वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, भदोही, गाजीपुर, मिर्जापुर और आजमगढ़ के 1000 गांवों के किसानो को फायदा होगा. इन किसानों को दूध के बदले, हर महीने दस हजार तक का मूल्य मिलेगा. वर्तमान में बनास डेरी पूर्वांचल के 750 प्रत्यक्ष एवं 81,000 अप्रत्यक्ष लोगों को रोजगार दे रही है। जिसमें दूध उत्पादक और किसान भी शामिल हैं। इस प्लांट में रोजाना 50 हजार लीटर आइसक्रीम, 20 टन पनीर, 75 हजार लीटर बटर मिल्क, 50 टन दही, 15 हजार लीटर लस्सी और 10 हजार किग्रा अमूल मिठाई का उत्पादन होगा. इसके साथ ही, प्लांट में एक बेकरी यूनिट भी होगी. प्लांट का लक्ष्य 5 लाख लीटर दुग्ध उत्पाद की क्षमता को 10 लाख लीटर तक ले जाना है. उनका कहना है कि छोटे एवं सीमांत किसानों की आय का स्तर बढ़ाने के लिए डेरी व्यवसाय एक उपयुक्त साधन है।

उनका कहना है कि वाराणसी की प्रसिद्ध मिठाईयां, लौंगलता और काशी का लाल पेड़ा भी इस संयंत्र में स्वचालन के साथ स्वच्छतापूर्वक निर्माण किया जाएगा और अमूल ब्रांड के तहत राष्ट्रीय बाजारों तक इसे पहुंचाया जाऐगा। इस संयंत्र से विभिन्न मिठाइयों को बेहतर शेल्फ-लाइफ, ताजगी और उपभोक्ता सुविधा के लिए सिंगल सर्व पैक में भी बनाया जा रहा है। किसानों और पशु-पालन श्रमिकों के बीच पशु-पालन ज्ञान और जागरूकता विकसित करने के लिए, पूर्वांचल के 150 से अधिक स्थानीय किसानों का पालनपुर गुजरात में 6 दिवसीय कक्षा और फील्ड प्रशिक्षण आयोजित किया गया था। 150 उच्च गुणवत्ता वाली गिर गायें, पूर्वांचल के किसानों को उपहार में दी गईं और यूपी से साहीवाल, लाल सिंधी और गंगातीरी और गुजरात से गिर की सर्वोत्तम स्थानीय गाय की नस्लों से भ्रूण तैयार करके दिये गये।

कार्यक्रम में पूर्वांचल के एक लाख से अधिक गोपालक और किसान मौजूद रहेंगे

अपनी विस्तार सेवाओं के माध्यम से, बनास डेरी वैज्ञानिक पशुपालन, टीकाकरण और बीमारी की रोकथाम, एथनोवेट, पशु पोषण और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में स्थानीय पशुपालको को ज्ञान प्रदान कर रही है। वर्तमान में यूपी में बनास डेरी का दूध का कारोबार 47 जिलों (7 पूर्वाचल में) के 4,600 गांवों में फैला हुआ है। यह दूध संग्रहण अगले साल तक 70 जिलों के 7,000 गांवों तक विस्तारित हो जाएगा, जिसमें पूर्वाचल में 15 नए जिलों का विस्तार भी शामिल है। पूर्वांचल में 600 से ज्यादा समितियां चालू हैं, 1,300 से ज्यादा बन चुकी हैं। जो वर्ष के आखिर तक बढ़कर 2,600 समितियां हो जांएगी। बनास डेरी मौजूदा समय में यूपी में 3.5 लाख दूध उत्पादकों के साथ काम कर रही है। इनमें से 58 हजार दूध उत्पादक पूर्वांचल एंव वाराणसी के हैं। गांवों में व्यापक काम करके, बनास डेरी यूपी में 2 लाख अतिरिक्त दुग्ध उत्पादक परिवारों को जोड़ेगी, जिनमें से 1 लाख पूर्वांचल और वाराणसी के अन्य जिलों से आएंगे।

मोदी के नेतृत्व मे पूर्वांचल में शुरू हुये विकास के अंतर्गत वर्तमान में ख़ुशीपुर, चोलापुर, मिर्ज़ापुर, ग़ाज़ीपुर और दूबेपुर में 5 चिलिंग सेंटर काम कर रही हैं। अगले महीने तक 8 और चालू हो जाएंगे। यूपी में कुल मिलाकर, 29 चिलिंग सेंटर चालू हैं। साल के अंत तक यह बढ़कर 50 हो जाएंगे। इस बुनियादी ढांचे के माध्यम से वर्तमान में उत्तर प्रदेश से 19 लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक दूध एकत्रित किया जा रहा है, जिसमें औसतन 3 लाख लीटर प्रतिदिन दूध पूर्वांचल और वाराणसी से आ रहा है। उत्तर प्रदेश में इस साल के अंत तक यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन 25 लाख लीटर हो जाएगी, जिसमें 7 लाख लीटर प्रतिदिन वाराणसी और पूर्वांचल से आएगा। बनास काशी संकुल 30 एकड़ में फैला हुआ है, यह 8 एलएलपीडी (लाख लीटर प्रति दिन) का दूध प्रोसेसिंग संयंत्र है। इस परीयोजना को प्रधान मंत्री के मार्गदर्शन के साथ, 622 करोड रुपये की कुल लागत में स्थापित किया गया है़। सस्टेनेबिलीटी की दिशा में प्रयास करते हुऐ इस प्लांट मे 4 एलएलपीडी का एलटीपी और 1 एमडब्ल्यू का रूफटॉप सोलर प्लांट भी स्थापित किया गया है़।