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लखनऊ और गोरखपुर में जल्द शुरू होगा टीबी स्टेट ट्रेनिंग एंड डिमॉस्ट्रेशन सेंटर

राजधानी के पीजीआई में बन रही कल्चर लैब

लखनऊ : टीबी मुक्त भारत के लिए गांव के प्रधान से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक सभी को मिलकर सहयोग करना होगा। इसके लिए देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार काम कर रहे हैं। यही वजह है कि जल्द ही गोरखपुर और लखनऊ में स्टेट ट्रेनिंग एंड डिमॉस्ट्रेशन सेंटर की शुरूआत की जायेगी। जहां पर टीबी रोग के खात्मे को लेकर शिक्षण-प्रशिक्षण देने का काम होगा। अभी तक चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को टीबी के बारे में प्रशिक्षण देने के लिए केवल आगरा में स्टेट ट्रेनिंग एंड डिमॉस्ट्रेशन सेंटर हुआ करता था। सेंटर की संख्या बढ़ने पर अधिक से अधिक लोगों को प्रशिक्षित करने के साथ ही इलाज की कारगर रणनीति बनाने में भी आसानी होगी। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के नार्थ जोन टॉस्क फोर्स के चेयरमैन प्रो.सूर्यकांत ने शनिवार को दी। वह एसजीपीजीआई में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम टीबी रोग को लेकर आयोजित किया गया था। 

प्रो.सूर्यकांत ने बताया की लखनऊ के एसजीपीजीआई और गोरखपुर स्थित चारु चंद्र दास टीबी अस्पताल में स्टेट ट्रेनिंग एंड डिमॉस्ट्रेशन सेंटर की शुरूआत होनी है प्रो.सूर्यकांत ने इस दौरान टीबी मुक्त भारत के लिए मेडिकल कॉलेज की भूमिका पर भी जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि इलाज, शिक्षण-प्रशिक्षण, जागरुकता, एडवोकेसी और शोध पर काम की जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेजों की हैं। तभी टीबी मुक्त भारत बनेगा। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि टीबी की कल्चर जांच के लिए एसजीपीजीआई स्थित माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में लैब निर्माणाधीन है। जल्द ही उसका कार्य पूरा हो जायेगा। चुनाव के बाद यह लैब कार्य करने लगेगी। अभी तक राजधानी में टीबी की कल्चर जांच के लिए लैब केजीएमयू में ही हुआ करती थी।

बता दें कि विश्व टीबी दिवस प्रति वर्ष 24 मार्च को दुनिया भर में मनाया जाता है। यह याद दिलाता है कि क्षय रोग अभी भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है। भारत में प्रति वर्ष क्षय रोग से ग्रस्त रोगियों की संख्या लगभग 27 लाख है, जो विश्व की कुल रोगियों की संख्या का लगभग एक चौथाई है। अच्छी बात यह है कि मृत्यु दर में थोड़ी कमी आई है और अधिसूचना दरों में सुधार हुआ है।दरअसल, उत्तर प्रदेश निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में अधिसूचना के मामले में अग्रणी है। इस दिशा में नर्सिंग स्टाफ, विद्यार्थियो और चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से एसजीपीजीआई में दो दिवसीय शिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में निदेशक, एसजीपीजीआई, प्रोफेसर आर के धीमन, जिला टीबी अधिकारी डॉ अतुल कुमार सिंघल, उप राज्य टीबी अधिकारी डॉ ऋषि सक्सेना, विभागाध्यक्ष पल्मोनरी मेडिसिन, पीजीआई, प्रोफेसर आलोक नाथ और जनरल हॉस्पिटल की वरिष्ठ मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. प्रेरणा कपूर मौजूद रहीं।