विश्व स्वास्थ्य दिवस (7 अप्रैल) पर विशेष
मुकेश कुमार शर्मा
राष्ट्र की उन्नति के लिए हर किसी का पूर्ण रूप से स्वस्थ एवं खुशहाल होना बहुत जरूरी है, क्योंकि स्वस्थ नागरिकों से ही समृद्ध राष्ट्र की कल्पना की जा सकती है। यही कारण है कि स्वस्थ स्वास्थ्य व्यवहार अपनाने के प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्थापना दिवस यानि सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इसका मूल मकसद लोगों को स्वस्थ जीवनयापन के लिए जरूरी परामर्श प्रदान करने के साथ ही बेहतर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाना है। हर साल अलग-अलग थीम पर मनाये जाने वाले विश्व स्वास्थ्य दिवस की इस बार की थीम है- “मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार”। इसके माध्यम से इस वर्ष यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है कि हर किसी को, हर जगह, स्वस्थ जीवन जीने का अवसर अवश्य मिले।
शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से भी पूर्ण स्वस्थ होना हम सभी के लिए बहुत जरूरी है। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि सही पोषण के साथ ही ध्यान, योग और प्राणायाम को भी जीवन में जरूर शामिल किया जाए। आज शारीरिक श्रम से नाता तोड़ने का ही परिणाम है कि तरह-तरह की बीमारियाँ मानव शरीर पर कब्ज़ा जमाती जा रहीं हैं। चिकित्सकों की भी यही सलाह रहती है कि गैर संचारी रोगों से बचना है तो रोजाना कम से कम 45 मिनट तक कड़ी मेहनत व शारीरिक श्रम जरूर करें। इससे तेजी से पैर पसार रहे हृदय रोग और डायबिटीज से सुरक्षित रह सकते हैं। इसके अलावा बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों और शराब से दूरी बनाने में ही सभी की भलाई है क्योंकि कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियां इन्हीं से पैदा होती हैं। गैर संचारी रोगों के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए ही घर के करीब में आयुष्मान भारत आरोग्य मंदिर (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) स्थापित किये गए हैं। इन केन्द्रों पर इन बीमारियों की स्क्रीनिंग, जांच और परामर्श के लिए कम्युनिटी हेल्थ आफिसर (सीएचओ) की तैनाती की गयी है। इसलिए जब भी कुछ असहज महसूस करें तो अप्रशिक्षित चिकित्सकों के पास जाने के बजाय बेहिचक सीएचओ की मदद लें, जो सही मायने में आपके सच्चे मददगार साबित होंगे।
अपने ही देश नहीं बल्कि विदेशों में भी आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी और बदलती जीवन शैली ने सबसे अधिक युवा पीढ़ी को प्रभावित किया है। जीवन में जल्दी से जल्दी सब कुछ हासिल कर लेने की चाह ने जहाँ युवाओं के सुकून को छीना है वहीँ उनके पास न तो सही वक्त पर खाना खाने का समय है और न ही सोने का। यही कारण है कि फ़ास्ट फ़ूड और दिखावे के लिए शराब और सिगरेट का सहारा लेने वाले युवाओं में हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर और हाइपरटेंशन जैसे गंभीर गैर संचारी रोग अब 30 साल की उम्र में ही शरीर पर कब्ज़ा जमाने लगे हैं।
स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है कि भोजन संतुलित मात्र में ही करें और उसमें फल और हरी सब्जियों को जरूर शामिल करें। शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें। इसके अलावा तनाव से दूर रहें और कभी भी कोई परेशानी महसूस हो तो परिवार वालों से जरूर साझा करें। प्रतिदिन कम से कम छह से सात घंटे की नींद लें और आराम करें। यह भी ध्यान रहे कि शारीरिक वजन बढ़ने (मोटापा) से भी कई बीमारियाँ घेर लेती हैं, इसलिए वजन नियंत्रित रखें। खानपान में इस बात का जरूर ध्यान रहे कि नमक और चीनी का कम से कम इस्तेमाल करें। इसके अलावा अधिक तैलीय खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करें।
जलवायु परिवर्तन के साथ ही बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण भी सेहत के लिए कई दिक्कतें पैदा कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हर साल विश्व में एक करोड़ से अधिक लोगों की जान पर्यावरणीय कारणों से चली जाती है जबकि यह ऐसे कारण हैं जिनसे सतर्कता बरतते हुए बचा जा सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव भी पारित किया है, जिसके अनुसार- स्वच्छ, स्वस्थ और शुद्ध पर्यावरण हर एक मनुष्य का सार्वभौमिक अधिकार होना चाहिए। पृथ्वी पर हमें अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ हवा, पानी और भोजन की जरूरत होती है। आंकड़े बताते हैं कि 90 प्रतिशत से अधिक लोग दूषित हवा में सांस लेते हैं। केवल वायु प्रदूषण से विश्व भर में प्रति वर्ष लाखों लोगों की मौत हो जाती है। इस सभी के प्रति भी हम सभी सचेत नहीं हुए तो आने वाला समय और कष्टकारी साबित हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर आज आइये प्रण करें-
“आओ अपनाएँ स्वस्थ स्वास्थ्य व्यवहार, मेरा स्वास्थ्य-मेरा अधिकार”
(लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर हैं)