Wednesday , December 4 2024

एसएमएस में पेड़ लगाकर पृथ्वी दिवस मनाया गया

                                                                                                                                                                               
लखनऊ : हम सब जानते हैं कि ‘बढ़ती आबादी, घटते पेड़' से धरती पर संकट गहराया है । पिछले सात (07) वर्षों में भारत देश की आबादी लगभग 10करोड़ बढ़ गई है, जो पूर्व में 2015 में 127 करोड़ थी, और अब पिछले 9 वर्षो में 15% बढ़कर लगभग 142 करोड़ हो गई। वहीं सात (07) वर्षों में विश्व की आबादी में 55 करोड़ का इजाफा हुआ है जो वर्ष 2015 में 738 करोड़ थी जो अब बढ़कर लगभग 800 करोड़ हो चुकी है। बढ़ी हुई आबादी का सीधा असर प्रकृति पर मौजूद प्राकृतिक सम्पदा को खत्म करने पर सीधे पड़ रहा है। आज सबसे ज्यादा बड़ा खतरा प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है जो धीरे-धीरे हमारी उपजाऊ जमीन को बर्बाद कर रही है । इस वर्ष के विश्व पृथ्वी दिवस का थीम भी प्लास्टिक व उस पर रोक है । जहां की आबादी घनी होती जा रही है। वही इसके कारण अन्य प्राकृतिक संसाधन कम भी कम पड़ने लगे हैं और पानी का भी संकट दिखने लगा है। दूसरी तरफ प्रदूषण ने भी अपना भीषण गर्मी के रूप में एवम अप्रत्यासित चक्रवाती वारिस के रूप में असर दिखाना शुरू कर दिया है। यदि समय रहते न चेते तो उपलब्ध पानी और हवा के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। उपरोक्त बाते पृथ्वी दिवस के अवसर पर स्कूल ऑफ मैनेजमेण्ट साईंसेज, लखनऊ में छात्र-छात्राओं में चेतना जगाने हेतु कही गयी। 

22 अप्रैल, 2024 को पृथ्वी दिवस के अवसर पर धरती को हरा-भरा रखने, इसे प्रदूषण मुक्त करने हेतु आवश्यक कदम उठाने व अधिक से अधिक पेड़ लगाने तथा पृथ्वी की सम्पदा के दोहन को कम करने एवं पानी बचाने के प्रयास हेतु श्री शरद सिह, सचिव व कार्यकारी-अधिकारी, व डॉ0 भरत राज सिंह पर्यावरणविद् व महानिदेशक आदि ने अपने वक्तव्य में वचनबद्धता की प्रेरणा दी। इस अवसर पर संस्था में वृक्षारोपड़ का कार्य छात्र/छात्राओं ने ईंजीनियर्स विसिजन के माध्यम से किया किया गया। इस अवसर पर महा-निदेशक, डा.भरत राज सिंह, सह-निदेशक, डा. धर्मेंद्र सिह, अधिष्ठाता, डा.पी.के. सिंह, डॉ.हेमंत कुमार सिँह, विभागाध्यक्ष डॉ. आशा कुलश्रेष्ठ, पंकज यादव, सुनीत मिश्रा, डॉ. अजय सिँह, और शिक्षकगण डॉ.मनमोहन सिँह, मृतुन्जय, सुजाता सिन्हा एवं छात्र-छात्रायें भी उपस्थित रहे।